10 Lines on Aryabhatta in Hindi । आर्यभट पर 10 लाइन निबंध

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आर्यभट्ट भारतीय गणितज्ञ और महान खगोलशास्त्री थे। उनके किये खोज को आज का आधुनिक विज्ञान भी नहीं झुटला सका है। आज हम इस लेख में आप सबके लिए ‘10 Lines on Aryabhatta in Hindi‘ लेकर आये है।

Aryabhatta in Hindi

“गणित के बिना, आप कुछ भी नहीं कर सकते। आपके आसपास सब कुछ गणित है। आपके आस-पास सब कुछ नंबर है।”
रामानुजन

वाकई में, रामानुजन का यह कथन सत्य है। गणित हमारे जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में आता है। फिर वह चाहे खरीदारी का विषय हो या हर चीज की गिनती, सब गणित से जुड़े हैं। गणित के बिना हम अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। गणित के क्षेत्र में बहुत से महान गणितज्ञों का नाम शुमार है। सबसे प्रसिद्ध गणितज्ञ में आर्यभट्ट ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य, गणितज्ञ एस रामानुजन, गणितज्ञ ‘डी आर. कापरेकर’ गणितज्ञ ‘नरेन्द्र कृष्ण करमाकर’ भारतीय महिला गणितज्ञ ‘नीना गुप्ता’ गणितज्ञ ‘डॉ हरीश चन्द्र’ का नाम शुमार है। विश्व के सारे गणितज्ञ और इंजिनियर दरअसल गणित की ही देन हैं। दुनियाभर में भारत के प्राचीन गणितज्ञों का नाम हमेशा ही पर्दे के पीछे ही रहा है। इसका सारे श्रेय पश्चिम के वैज्ञानिक और गणितज्ञ ही लुटते आए हैं। बहुत समय से शुन्य का अविष्कार एक मिस्ट्री बनी हुई थी। यह तो बहुत बाद में पता चला कि शुन्य का अविष्कार किसी विदेशी वैज्ञानिक ने नहीं बल्कि भारतीय वैज्ञानिक आर्यभट्ट ने किया था। विश्व के सबसे पहले गणितज्ञ का खिताब तो आर्यभट्ट के नाम ही जाता है। आर्यभट्ट प्राचीन भारत के पहले गणितज्ञ, खगोलशास्त्री और वैज्ञानिक थे जिन्होंने शून्य संख्या, स्थान मूल्य प्रणाली, बीजीय पहचान, त्रिकोणमितीय कार्य, पाई का मान आदि की खोज की थी। विज्ञान में उनका योगदान सराहनीय है। आज हम गणित में बीज गणित और त्रिकोणमिति पढ़ते हैं वह दरअसल आर्यभट्ट की ही देन है। हम आर्यभट्ट प्रथम और द्वितीय को लेकर उलझन में नहीं पड़ सकते। हालांकि आर्यभट्ट द्वितीय एक अच्छे गणितज्ञ और ज्योतिषाचार्य थे परंतु फिर भी आर्यभट्ट प्रथम अपने आप में एकदम अलग थे। माना जाता है कि महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट का जन्म 474 ईसवी के आसपास हुआ था। यह भी माना जाता है कि उनका जन्मस्थान कुसुमपुर (वर्तमान में बिहार के पटना के पास) में हुआ था। हालांकि उनके जन्मस्थान को लेकर लोगों की अलग अलग राय है। कोई लोग कहते हैं कि आर्यभट्ट का जन्म बिहार के कुसुमपुरा में हुआ था तो दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी है जो यह मानते हैं कि आर्यभट्ट दरअसल केरल के निवासी थे। वह भट्ट ब्रह्मभटट ब्राह्मण समुदाय से थे। वह भारत के स्वर्णिम युग से नाता रखते थे। यह वही समय था जब भारत गुप्त साम्राज्य का राज था। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की थी जिसमें प्रमुख ग्रंथ थे – दशगीतिका, आर्यभटीय और तंत्र। उनका सबसे प्रमुख और लोकप्रिय ग्रंथ आर्यभटीय है। इस ग्रंथ में आर्यभट्ट ने वर्गमूल, घनमूल, समान्तर श्रेणी आदि समीकरणों का वर्णन किया है। आर्यभट्ट के शिष्य भास्कर प्रथम थे। भास्कर प्रथम ने आर्यभट्ट के बारे में अपने कई लेखनों में उल्लेख किया है। भास्कर प्रथम भी अपने गुरू आर्यभट्ट की ही तरह एक अच्छे गणितज्ञ थे। आज हम स्कूल में जो पाई के मुल्य के बारे में पढ़ते है उस पाई की खोज भी आर्यभट्ट ने ही की थी। वह आर्यभट्ट ही थे जिन्होंने दुनिया को इस चीज से अवगत करवाया कि यह गोलाकार पृथ्वी अपनी धुरी के चारों ओर घूमती है। पृथ्वी का ऐसा चारों ओर घूमना घूर्णन कहलाता है। इसी के चलते दिन से रात होती है और रात से फिर दिन उगता है। उन्होंने यह भी बताया कि चांद और तारों का अपना प्रकाश नहीं होता है वह तो सूर्य की रोशनी पाकर चमकते हैं। वाकई में, आर्यभट्ट के कार्यों की जितनी भी प्रशंशा की जाए वह भी कम है। विज्ञान में दिए गए उनके योगदान से ही आज पूरा विश्व निरंतर प्रगति कर रहा है।

10 Lines on Aryabhatta in Hindi

  1. आर्यभट्ट प्राचीन भारत के भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे।
  2. वह नंबर जीरो के अविष्कारक थे।
  3. आर्यभट्ट का जन्म कुसुमपुरा (वर्तमान में बिहार) में हुआ था।
  4. कई लोग यह भी मानते हैं कि उनका जन्म दरअसल केरल में हुआ था।
  5. वह भारत के स्वर्णिम युग माने जाने वाले गुप्त काल से नाता रखते थे।
  6. आर्यभट्ट ने गणित पर कई सारी किताबें लिखी थी।
  7. आर्यभटीय और आर्य सिद्धांत उनके महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है।
  8. आर्यभट्ट ने नालंदा विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की थी।
  9. उनको बीजगणित का जनक कहा जाता है।
  10. 74 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया था।

5 Lines on Aryabhatta in Hindi

  1. त्रिकोणमिति आर्यभट्ट की ही देन है।
  2. भारत के पहले उपग्रह का नाम आर्यभट्ट ही रखा गया था।
  3. यह आर्यभट्ट ने ही बताया था कि यह पृथ्वी गोल है और यह अपनी धुरी या अक्ष पर घुमती है।
  4. शुरूआती दौर में आर्यभट्ट के कार्यों की खूब समीक्षा की गई परंतु बाद में लोगों ने उनके कार्यों को सही समझकर स्वीकार कर लिया।
  5. बचपन से ही वह अविष्कारों और नई खोज के दीवाने थे।

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FAQ on Aryabhatta in Hindi

Question : आर्यभट्ट के कुछ महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख किजिए?
Answer : चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण की व्याख्या, अपनी धुरी पर पृथ्वी का घूमना, चंद्रमा द्वारा प्रकाश का परावर्तन, साइनसोइडल कार्य, एकल चर द्विघात समीकरण का समाधान, का मान 4 दशमलव स्थानों तक सही, पृथ्वी का व्यास आदि कार्य उनके सबसे उत्कृष्ट कार्यों में से एक है।

Question : आर्यभट्ट का जन्म कब और कहां हुआ था?
Answer : आर्यभट्ट का जन्म 476 ईस्वी कुसुमपुर, पाटलिपुत्र (वर्तमान में बिहार) में हुआ था।

Question : आर्यभट्ट को गणित और विज्ञान के अलावा और किस में दिलचस्पी थी?
Answer : आर्यभट्ट को गणित और विज्ञान के अलावा खगोल विज्ञान में दिलचस्पी थी। वह एक अच्छे खगोलशास्त्री थे।

Question : जीरो संख्या का अविष्कार किसने किया था?
Answer : जीरो संख्या का अविष्कार आर्यभट्ट ने किया था।

Question : आर्यभट्ट ने कौन से ग्रंथों की रचना की थी?
Answer : आर्यभट्ट जैसे महान गणितज्ञ ने आर्यभटिय, दशगीतिका, तंत्र और आर्यभट्ट सिद्धांत जैसे ग्रंथों की रचना की थी। आर्यभट्ट बहुत ही प्रतिभाशाली थे।

Question : आर्यभट्ट ने अपनी शिक्षा कहां से प्राप्त की थी?
Answer : आर्यभट्ट का जन्म पाटलिपुत्र में ईस्वी सन् 476 में हुआ था। उस जमाने में पाटलिपुत्र के नालंदा विश्वविद्यालय का नाम पूरे जगत में प्रसिद्ध था। दूर देश के विद्यार्थी भी अपने देश से यहां आकर नालंदा विश्वविद्यालय में दाखिला लेते थे। उस जमाने में नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा का गढ़ माना जाता था। इसी कारण के चलते आर्यभट्ट ने भी इसी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया था। वह शिक्षा में इतने निपुण हो गए कि उन्होंने आर्यभटीय जैसा ग्रंथ रच डाला।