नाव को अंग्रेजी भाषा में Boat कहा जाता है। नाव पानी पर चलने वाला जलयान है। आज हम आपके लिए इस लेख में 10 Lines on Boat in Hindi लेकर आये है।
Boat in Hindi
नाव एक प्रकार का जलयान है, जिसमें लोग बैठकर नदिया पार करते हैं। जब से मानव सभ्यता बनी तभी से मनुष्य ने नाव बनाना सीख लिया था। नाव उन लोगों के काफी काम आई -जैसे सामान ले जाना,नदी पार करना, यातायात करना। इन सभी कामों में नौका बहुत उपयोगी साबित हुई। उसके बाद धीरे-धीरे और भी आधुनिक, मजबूत और अच्छी नौका बनने लगी। वर्तमान में नौकाओं के प्रयोग में कमी आई है कारण है कि सड़क के मार्ग पानी की मार्ग से काफी सुगम होते हैं, पर नाव का इतिहास उतना ही पुराना है जितना नदी घाटी सभ्यता।
नाव का इस्तेमाल कब और कहां और किस प्रकार हुआ? इसका तो कोई प्रमाण हमारे पास नहीं है, पर संभवत मनुष्य ने बाँसों को बांधकर पहला नौका बनाया होगा फिर धीरे-धीरे इसका और अधिक विकास हुआ होगा इसके बाद लोगों ने चप्पू का प्रयोग किया होगा जहां वह आसानी से अपनी मर्जी से नावो को किसी भी दिशा में मोड़ने में सक्षम रहा होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि नाव के इस्तेमाल से लोगों का जीवन सुगम बन गया होगा। अब उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में कोई कठिनाई ना रही होगी। राजा महाराजाओं के समय अगर विदेशों से व्यापार होता भी था तो वह जलमार्ग से होता था, पर जलयान बड़े और विकसित रूप ले चुके थे। वे जहाज की आकृति की तरह बड़े हुआ करते थे जिसमें काफी भारी भारी सामान आसानी से लादे जा सकते थे। समुद्री मार्ग से ही वास्कोडिगामा ने भारत की खोज की, समुद्री मार्ग से ही क्रिस्टोफर कोलंबस ने अमेरिका की खोज की।कह सकते हैं कि जहाज ही हमारी यातायात का प्रमुख स्त्रोत था।
नौका विहार का अपना की एक अलग आनंद है। मैं खुद नाव में तीन चार बार बैठ चुकी हूं। पानी की लहरों के बीच तैरती छोटी नाव में बैठने का मजा ही कुछ और है। नौका विहार का अपना अलग ही अनुभव है, जिसे प्लेन, बस या ट्रेन से तुलना नहीं की जा सकती। कश्मीर का डल झील नौका विहार के लिए प्रसिद्ध है। केरल में ओणम के दिन नौका प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस दिन हजारों की संख्या में दर्शक आते हैं तथा अनेक लोग भाग लेते हैं। आजकल नावे इंजन से चलने लगी है जिसमें नावो की तैरने की गति बढ़ गई है। यातायात के लिए इंजन बोट या स्टीमर का उपयोग होता हैं जो नाव से आकार में बड़ी तथा लकड़ी तथा लोहे की बनी होती है। जहां नदिया पार करने के लिए सेतु नहीं बने होते वहां बड़ी- बड़ी नौका ही यातायात का साधन होती है ।
मछुआरे छोटी-छोटी नाव में बैठकर मछली पकड़ने जाते हैं। नौका का आनंद लेने हेतु अनेक बड़े बड़े झीलो में पैडल बोट आयोजित किए जाते हैं, जहां आपको पैडल मारकर बोट चलानी होती है। पश्चिम बंगाल के सुंदरवन में यातायात का प्रमुख स्रोत नाव है हां अब बस नाव चप्पू से नहीं चलाए जाते बल्कि इंजन के माध्यम से चलाए जाते है।
नदी घाटी सभ्यता के विकास से ही नावो का उल्लेख मिलता है यहां तक कि रामायण में भी केवट द्वारा प्रभु को नदी पार प्रसंग में भी नाव का उल्लेख मिलता है। नदी घाटी सभ्यता में चाहे वह मिस्र की सभ्यता हो, चीन की सभ्यता हो, सिंधु घाटी सभ्यता हो या मेसोपोटामिया की सभ्यता हो हर सभ्यता में नाव और नदियां यातायात का प्रमुख स्रोत हुआ करती थी। सड़क मार्ग में हमारे पास हाथी, घोड़े, पालकी, तांगा, बैलगाड़ी इत्यादि होती थी जिसमें तांगे और बैलगाड़ी साधारण लोगों के लिए थे तथा बाकी सभी राजाओं और सम्राटों के लिए हुआ करती थी। नदी मार्ग का ही ज्यादा उपयोग होता था जिसमें एक माझी होता था और नौका पर बैठे यात्रियों की संख्या पूरी होने पर नाव को इस पार से उस पार तक ले जाता था। नौकायन प्रतियोगिता को ओलंपिक में भी शामिल किया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भी नौका प्रतियोगिता रखी जाती है। नाव के प्रति बच्चों का एक विशेष आकर्षण होता है। बारिश आने पर बच्चे कागज की छोटी छोटी नाव बनाकर उसे पानी में तैराते हैं। नाव विभिन्न प्रकार के पाए जाते हैं मछली पकड़ने वाली नाव छोटी और बीच में थोड़ी सी गोल होती है। केरल में जो प्रतियोगिता होती है उसकी नाव काफी लंबी होती है। जो यात्रियों को ले जाती है,वह आकार में बड़े होते हैं। जब बड़ा जहाज पानी में तैरता है तो उसके साथ लाइफ सेविंग बोट भी हुआ करती है अगर कभी जहाज डूब जाए तो लाइफ सेविंग बोट यात्रियों को डूब जाने से बचाती है। अमेरिका के रहने वाले जॉन फिच ने नाव में स्टीम इंजन लगाकर सन 1787 में स्टीम नाव का आविष्कार किया था। यह नाव 45 फीट लंबी थी। इसके बाद नाओं में स्टीम इंजन लगने से स्टीम इंजन बोट चलने लगी थी और उनकी गति में भी बदलाव आ गया था।
नाव का आविष्कार तो बहुत पहले ही हो गया था पहले नावे चप्पू से चलती थी इसके बाद पाल और पतवार लगाकर नावे चलने लगी थी। पर नावों में स्टीम लगाने से अब नावो के आकार में वृद्धि होने लगी।इसकी रफ्तार में भी वृद्धि हुई। स्टीम इंजन लगाने से नाव चलाना अब और भी आसान हो गया। सबसे पहले जो नावे चलती थी वह लकड़ियों को बांध कर नीचे प्लास्टिक के ड्रम बांधकर चलाया जाता था, जिसका संचालन पतवारों द्वारा किया जाता था। उसके बाद पाल से चलने वाली जहाज बनी जिसके ऊपर बहुत सारे कपड़े बांधकर नावे चलाई जाती थी जो हवा की दिशा से ही चलती थी और जब हवा की दिशा बदल जाती थी तो उन पालों को रस्सियों की मदद से हवा के बहाव की दिशा में कर दिया जाता था। सन 1904 में डीजल से चलने वाला पहला जहाज बनाया गया, जो कि125 फीट लंबी और 25 HP डीजल इंजन से चलती थी। उसके बाद टेक्नोलॉजी इतनी तेज हो गई कि जहाज में घर, होटल, स्विमिंग पूल , बास्केटबॉल कोर्ट बनाए जाने लगे। जैसे पहिए के अविष्कार ने मानव जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाएं उसी प्रकार नाव ने भी मानव जीवन में यातायात के मार्ग को सुगम बनाया।चाहे बड़ी बड़ी जहाज हो या स्टीम बोट हो इसका ढांचा नाव ने ही बनाया। समय के साथ-साथ नाव के आकार और चलाने की प्रक्रिया में परिवर्तन आना भी नाव में क्रांतिकारी बदलाव थ। आज भले ही कम लोग जहाजों में या नावों में सफर करते हैं या यूं कहें जहाज लोगों की रूचि बनकर ही रह गई है। लोग सिर्फ मनोरंजन के लिए नौका विहार करते हैं,पर एकसमय यही यही नाव लोगों की यातायात का प्रमुख स्रोत हुआ करती थी। कुछ लोग अपने घरों में पतवार के नाव सजा कर रखना पसंद भी करते हैं।
10 Lines on Boat in Hindi
- नाव सबसे पुरानी यातायात का प्रमुख स्रोत है।
- हमारे ग्रंथों जैसे रामायण और महाभारत में भी नाव का उल्लेख मिलता है।
- पहले बाँस को एक साथ बांधकर पानी में चलाया जाता था।
- बाद में इसके निर्माण में परिवर्तन होने लगा।
- अब लकड़ियों को काटकर एवं तराश कर सुंदर नौकायन बनने लगी।
- पहले नाव में चप्पू ना होने के कारण पानी के बहाव की दिशा में ही नाव चलाना पड़ता था।
- नाव हो जाने पर नाव को मनचाही दिशा में ले जाना संभव हो सका।
- नाव आकार और बनावट में बड़े होते गए। अब नावे पतवारो के माध्यम से चलते थे।
- जॉन फिच ने नावो में स्टीम इंजन लगाकर क्रांतिकारी बदलाव की।
- स्टीम इंजन लगने से नाव की गति बहुत तेज हो गई।
5 Lines on Boat in Hindi
- चाहे कोई कितनी ही बार एरोप्लेन में बैठा हो नौका बिहार का आनंद ही कुछ और है।
- कश्मीर के डल झील में हाउसबोट बने हैं जिससे हर यात्री उपभोग करना चाहता है।
- नौकायान को ओलंपिक खेलों में भी शामिल किया गया है।
- अभी भी बहुत स्थानों पर नदी पार करने के लिए नावो का ही प्रयोग होता है।
- नाव को यातायात का साधन बनाना प्राचीन समय से चला आ रहा है।
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FAQ on Boat in Hindi
Question. नाव का आविष्कार कैसे हुआ?
Answer. नाव का आविष्कार उतना ही पुराना है जितना की मानव सभ्यता का विकास। पहिए के आविष्कार से मानव सभ्यता में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए उसी प्रकार नाव के अविष्कार से यातायात के मार्ग सुगम बने।
संभवत मनुष्य ने पहले लकड़ी को पानी में तैरते हुए देखा होगा वहीं से उसे नाव बनाने का विचार आया होगा और यह प्रक्रिया धीरे-धीरे विकसित हुई होगी।
Question. नाव कैसे करते हैं?
Answer. यूनानी गणितज्ञ भौतिक वैज्ञानिक और आविष्कारक आर्कमिडीज के अनुसार किसी द्रव्य में आंशिक या पूरी तरह डूबी हुई वस्तु उस पर ऊपर की ओर से एक बल या फोर्स लगता है, जिसे उत्प्लावन बल कहते हैं इसी बल के कारण लकड़ी पानी में तैरती है।
Question. नाव किससे बनते हैं?
Answer. नाव मुख्यतः लकड़ी की बनी होती है पर अब लोहे के बड़े बड़े जहाज जिसका वजन 100 टन से भी बहुत अधिक होता है पानी में आसानी से तैरते हैं।
Question. नाव के इतिहास के बारे में बताएं।
Answer. इतिहास की बात करें तो मानव सभ्यता के विकास के दौरान नाव के अस्तित्व का प्रमाण मिलता है। यातायात, मछली पकड़ने के लिए लोगों ने हाथों से बने छोटी नाव का आविष्कार कर लिया था।
Question. जहाजों में लाइफ सेविंग बोट कितने होते हैं?
Answer. जहाजों को यात्री की क्षमता के अनुसार लाइफबोट प्रदान किया जाता है।औसतन एक आधुनिक बड़े जहाज में 18 से 20 लाइफबोट होते हैं जिसकी यात्री क्षमता सौ से डेढ़ सौ प्रति व्यक्ति होती है।