सर्कस एक प्रकार का बहुत से खेलो का आयोजन होता है जिसे लोग देखने जाते है। आज हम इस लेख में आपके लिए ‘10 Lines on Circus in Hindi‘ लेकर आये है।
Circus in Hindi
सर्कस एक मनोरंजन का साधन है। यह एक प्रकार का खेल है, जिसे हर उम्र के लोग बड़ी दिलचस्पी के साथ देखते हैं। सर्कस एक ऐसा खेल है जो 20 वीं सदी के अंत तथा 21वीं सदी के आरंभ में खूब चली, कारण उस समय चलचित्र उतने विकसित नहीं हो पाए थे। थिएटर थे पर इतने आधुनिक प्रसाधन हमारे पास उपलब्ध नहीं थे, जिनके माध्यम से हमारा मनोरंजन होता। परिवार के सभी सदस्य आपस में मिलकर सर्कस देखने जाते थे। सर्कस में एरोबिक्स करने वाले प्रशिक्षित युवक और युवतियां होते थे जो नाना प्रकार के करतब दिखाते थे। सर्कस में तरह-तरह के जंगली जानवर होते थे- जैसे शेर, भालू , बंदर, बाघ, चीता, चिंपैंजी आदि जिन्हें प्रशिक्षित कर तमाशा दिखाया जाता था। इन जानवरों के करतब को देखकर लोग दांतों तले उंगली दबा लेते थे। सर्कस करने वाले लोग बंजारों सा जीवन यापन करते थे तथा विभिन्न स्थानों पर जाकर अपना खेल दिखाते थे। यह विभिन्न स्थानों पर तंबू बनाकर रहते थे।
सर्कस का इतिहास
सर्कस की शुरुआत प्राचीन रोम से हुई बाद में जिप्सीयो के द्वारा यह यूरोप तक पहुंची। सर्कस जिसका अंग्रेजी अर्थ है सर्कल वास्तव में आधुनिक रेसट्रैक के अग्रदूत थे। पहले सर्कस खेल दिखाने के लिए विशेष रूप से टेंट आयोजित किए जाते थे। अखाड़ा बीच में होता था,जहां करतब दिखाए जाते थे। वहां रंगीन जोकर भी होता था। बैंड और फ्लडलाइट सर्कस का मुख्य आकर्षक होता था ट्रैपेज सबसे कठिन और खतरनाक खेल होता था।
भारतीय सर्कस का इतिहास
20 मार्च 1880 को मुंबई में आयोजित द ग्रेट इंडियन सर्कस भारत में पहला आयोजित सर्कस था, जिसे विष्णुपंत मोरेश्वर छत्रे द्वारा स्थापित किया गया था। विष्णुपंत मोरेश्वर कुर्दूवाडी राजा के यहां एक प्रसिद्ध अश्वरोही तथा गायक थे। किल्लेरी कुन्हिकन्नन मार्शल आर्ट और जिमनास्टिक के शिक्षक थे और जिन्हें भारतीय सर्कस का जनक भी कहा जाता है। किल्लेरी को मोरेश्वर ने अनुरोध किया, जिसके चलते हुए उन्होंने एक्रोबेटिक्स की प्रशिक्षण की शुरुआत की। 1901 में उन्होंने केरल के पास एक स्कूल खोला।
दामोदर गंगाराम धोत्रे
एक साधारण से गरीब परिवार में जन्मे दामोदर गंगाराम धोत्रे अब तक के सबसे प्रसिद्ध रिंग मास्टर थे। बाद में यह एक मालिक के रूप में ईशाको नामक रूसी सर्कस में शामिल हो गए। 1939 मे वे बर्रट्राम फिल्म सर्कस के साथ फ्रांस चले गए और फिर उन्होंने विश्व प्रसिद्ध रिंगलिंग ब्रदर्स और बारनम और बेली सर्कस में खूब प्रसिद्धि पाई। उन्हें विल एनिमल्स मैन के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें 1960 में अमेरिका की नागरिकता भी मिल चुकी थी। 1943 से 1946 तक उन्होंने द ग्रेटेस्ट शो ऑन अर्थ में काम किया। बाद में भारत वापस लौट आए और 1973 तक अपनी पहचान भारत में भी बना ली थी। केरल के भारतीय सर्कस का पालना क्रैडल ऑफ इंडियन सर्कस नामक अकादमी के छात्र पी कन्नन ने ग्रैंड मालाबार के नाम से सर्कस कंपनी शुरू की थी। सर्कस की शुरुआत भले ही रोम से हुई हो पर यह जल्द ही पूरे यूरोप में विख्यात हो गया।
भारत में भी सर्कस का दौर खूब चला। प्रसिद्ध निर्माता और निर्देशक श्री राज कपूर ने सर्कस पर एक फिल्म ही बना डाली, जिसका शीर्षक था ‘मेरा नाम जोकर’ सर्कस पर बनी यह फिल्म खूब चली। मुझे याद है बचपन में मैं अपने परिवार के साथ हर साल हमारे शहर में आयोजित सर्कस देखने जाती थी, जहां हम पहले कुर्सियों पर बैठते थे। पीछे वालों के लिए सीढ़ियां बनी होती थी, जिन पर बैठकर वे तमाशा देखते थे। पीछे वालों के लिए टिकटों के दाम भी सस्ते हुआ करते थे। वहां विभिन्न युवक तथा युवतियां विभिन्न प्रकार के जिमनास्टिक तथा एरोबिक्स के खेल दिखाते थे। बंदर एक छोटी सी साइकिल चलाता था। जोकर बना एक बौना आदमी बीच-बीच में हंसा जाता था। एक रिंग मास्टर होता था जो शेर और बाघ का खेल दिखाता था। एक जलता हुआ रिंग हुआ करता था जिसके बीच में से कुदते हुए शेर और बाघ को जाना होता था। जानवरों को बहुत ही सख्त प्रशिक्षण दी जाती थी, जिसकी वजह से जानवर ऐसा कर पाते थे। यह एक लाइव शो होता था। सर्कस के बाहर कुछ लोग ढेला लगाकर खाने पीने के सामान भी बेचते थे।सर्कस कम से कम किसी निश्चित स्थान पर एक या दो हफ्ते तक चलता था जो कि लोगों की भीड़ पर निर्भर करता था। सर्कस कंपनियां भिन्न-भिन्न स्थानों विशेषकर गांव तथा कस्बों में जाकर अपना खेल दिखाती थी। पर समय के साथ बदलाव आया और यह सर्कस कंपनियां अपना वजूद भी खोने लगी। अभी लोगों के पास मनोरंजन के ढेरों विकल्प मौजूद है, वह भी सस्ते दरों पर तो फिर ढेर सारे पैसे खर्च कर कौन सर्कस देखने जाएगा? सर्कस के खेल भी काफी महंगे होते हैं क्योंकि इसमें कई करतब दिखाने वाले लोग, जानवर उनके उचित खाने की व्यवस्था, तंबू का खर्च, आयोजन का खर्च सब कुछ अधिक होता था इसीलिए यह अब बिल्कुल विलुप्त होने के कगार पर है। सर्कस में जानवर होते भी हैं तो बहुत कम। बस अब कुछ गांव में ही सर्कस का खेल होता है पर दर्शकों की संख्या काफी कम हो गई है।
10 Lines on Circus in Hindi
- सर्कस में जंगली जानवर जैसे शेर, हाथी,भालू, चीता आदि को प्रशिक्षण दिया जाता है।
- यह जानवर तरह तरह के खेल दिखाते हैं।
- सर्कस एक प्रकार का मनोरंजन है ।
- सर्कस की शुरुआत रोम से हुई।
- सर्कस में जोकर भी खूब मनोरंजन करता है।
- थिएटर के बाद एक यही एक मनोरंजन का साधन था जिसका लाइव प्रदर्शन होता था।
- ‘द ग्रेट इंडियन सर्कस’ भारत का पहला आधुनिक सर्कस था।
- सर्कस में जिमनास्टिक, एरोबिक्स, मार्शल आर्ट आदि का प्रदर्शन होता है।
- द ग्रेट इंडियन सर्कस को विष्णुपंत मोरेश्वर द्वारा स्थापित किया गया था।
- दामोदर गंगाराम धोत्रे अब तक के सबसे प्रसिद्ध रिंग मास्टर थे।
5 Lines on Circus in Hindi
- सर्कस मनोरंजन का साधन है।
- इसमें कई लोग एक स्थान पर बैठ सकते हैं।
- यह कुछ स्टेडियम जैसा होता है जिसके बीच में अखाड़ा होता है।
- सर्कस का शो 2 से 3 घंटे तक का होता है।
- सर्कस पर बनी मशहूर बॉलीवुड फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ है।
FAQ on Circus in Hindi
Question : सर्कस का खेल कहां होता है?
Answer : सर्कस का खेल एक बड़े मैदान में बड़ा सा तंबू गाड़ कर किया जाता है। इसमें कई दर्शक एक साथ बैठकर तमाशा देख सकते है।
Question : सर्कस की शुरुआत किस देश में हुई?
Answer : सर्कस की शुरुआत रोम देश में हुई।
Question : सर्कस के जानवर किस प्रकार का खेल दिखाते हैं ?
Answer : सर्कस के जानवर तरह-तरह के करतब दिखाते हैं जैसे बंदर साइकिल चलाता है ,विभिन्न प्रकार के चिड़िया भी मनोरंजन करती है, जलती हुई रिंग के अंदर से शेर कुदते हैं इत्यादि।
Question : सर्कस विलुप्त क्यों होते जा रहे हैं ?
Answer : आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी ने इतना विकास कर लिया है, कि लोगों के पास सस्ते दामों में मनोरंजन के कई विकल्प मौजूद हैं इसीलिए सर्कस में दर्शकों की भीड़ घटती जा रही है।
Question : भारत में आयोजित होने वाला पहला सर्कस कौन सा था ?
Answer : 20 मार्च 1880 को मुंबई में आयोजित हुआ भारत का सर्वप्रथम सर्कस ‘द ग्रेट इंडियन सर्कस’ था।