10 Lines on Cleanliness in Hindi। स्वच्छता पर 10 लाइन निबंध

Spread the love

स्वच्छता जीवन का बहुत ही आवश्यक अंग है। विकसित समाज का पता स्वच्छता से लगाया जा सकता है। व्यक्ति को सदैव स्वच्छ रहना चाहिए। स्वच्छ शरीर में ही स्वच्छ आत्मा का निवास माना जाता है, इसी तरह स्वच्छता से समाज कितना विकसित है इसका पता चलता है। Cleanliness Essay in Hindi अक्सर विद्यालयों में निबंध के रूप में आता है। इसलिए आज हम “स्वच्छता पर 10 लाइन निबंध” लेकर आपके समक्ष आये है इस आर्टिकल में आप “10 Lines on Cleanliness in Hindi” में पढ़ेंगे।

10 Lines on Cleanliness in Hindi

  1. स्वच्छता मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  2. गाँधी जी ने स्वच्छता को सेवा का भाव कहा था।
  3. स्वच्छ मनुष्य ही स्वच्छ समाज की नीव रख सकते है।
  4. लोगो को अपने घरो के साथ साथ अपने आस पड़ोस को भी साफ़ रखना चाहिए।
  5. स्वच्छता से रहने पर हम बहुत सी बीमारियों से बच सकते है।
  6. भारत में 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान को शुरू किया गया था।
  7. स्वच्छ भारत अभियान का मकसद भारत को गन्दगी मुक्त बनाना है।
  8. विश्व स्तर पर आयरलैंड सबसे स्वच्छ देश है।
  9. विश्व स्तर पर भारत स्वच्छ देशो की सूचि में 98वे स्थान पर स्थित है।
  10. स्वच्छता की आवश्यकता व्यक्ति और समाज दोनों को है।

5 Lines on Cleanliness in Hindi

  1. सरकार ने समयसमय पर नारो द्वारा लोगो को जागरूक करने का प्रयास किया है।
  2. आज भी देश की अधिकांश जनता सफाई से नहीं रहती।
  3. देश की अधिकांश जनता सफाई से नहीं रहते।,जिसका कभीकभी उन्हें मुआवज़ा भी देना पड़ता है।
  4. देश में पानी से संक्रमित रोग अधिक होते है ,जिसका कारण है गन्दा पानी।
  5. कहना ना होगा की हाल के वर्षो में स्वछता के प्रति लोगो की चेतना बढ़ी है।

Cleanliness in Hindi

स्वच्छ एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनकर मन में पवित्रता का एहसास होता है। स्वच्छ तथा शुद्ध एक दूसरे के पुरक है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जहाँ स्वछता होती है ,वहां लक्ष्मी का वास होता है। स्वछता का अभिप्राय केवल पूजा घर की स्वछता से नहीं अपितु घर और बाहर के प्रत्येक स्थान की  साफ़सफाई से है। साफ़ कपडे कीटाणुरहित होते है और पहनने में भी अच्छे लगते है। आप एक व्यक्ति को देखे जो साफ़सुथरे कपडे पहनकर आपके सामने खड़ा है और उस व्यक्ति को देखे जो गंदे कपडे ,गंदे जूते तथा बिखरे बालो के साथ आपके सामने खड़ा है। आपको वही व्यक्ति आकर्षित करेगा जो साफ़ कपड़ो में है एवं उसके प्रति आपके मन में श्रद्धा जागेगी। यहाँ साफ़ कपड़ो का अर्थ महंगे कपड़ो से हरगिज़ नहीं है। साफ़ अर्थात साबुन से धोये तथा आयरन किये हुए कपडे।

अपने कपडे की साफ़सफाई हमारा पहला दायित्व है। स्वछता यानि रोगो से मुक्ति चाहे वो शरीर की हो ,खानेपीने से सम्बंधित हो,घर की स्वछता से सम्बंधित हो अथवा अपने पर्यावरण की स्वछता से सम्बंधित हो। साफ़सुथरा घर किसे नहीं पसंद ? लकिन घर को साफ़ रखने हतु हमें थोड़ी सी परिश्रम की आवश्यकता है। रोज़ाना डेटोल से घर की सफाई करनी चाहिए। घर की प्रत्येक वस्तु को अपने निश्चित स्थान पर रखना चाहिए। घर साफ़ रखने के लिए घर की गन्दगी को बाहर फैलाये। एक साफ़ घर में जाना किसको नहीं पसंद? जहाँ हर वस्तु व्यवस्थित ढंग से रखी हुई हो। सरकारी दफ्तर तो गन्दगी का खज़ाना होता है। इसमें कोई शक नहीं की ऐसा हमारे करतूतों की वजह से ही होता है। हम पान के पीच जहाँ -तहाँ दीवारों के ऊपर फेंक देते है। जहाँ दीवारों पर लिखा रहता है कि यहाँ थूकना मना है उसी स्थान पे विशेषरूप से थूकते है ,खुले स्थान पर शौच करते है ,जैसे कि हमने कसम खाई हो कि हम नहीं सुधरेंगे।

हम अक्सर गन्दगी का सम्बन्ध गरीबी से लगा लेते है,पर ये सरासर गलत है। जहाँ बस्तियाँ होती है वहां गन्दगी का ढेर होता है। घर हो अथवा बाहर लोग अपने घर को ही कचरा का ढेर बना देते है। और यहीं से शुरू होता बीमारियों का सिलसिला। इसका सबसे बड़ा और साक्षात प्रमाण है 2020 में हुए भारतवर्ष का सबसे बड़ा स्लम एरिया धारावी में कोरोना का फैलाव।

यह सच है कि कोरोना एक संक्रमित बीमारी है पर इसका सम्बन्ध सफाई से भी है। हम जितने साफ़ -सुथरे रहेंगे,कोरोना भी उतनी ही दूर रहेगी।सफाई की जरुरत हर प्राणी को है। हम प्राणियों में सबसे श्रेष्ठ कहे जाते है। शायद  इसलिए प्रकृति को गन्दा और प्रदूषित करने का दायित्व भी सबसे ज़्यादा हमारे ही कंधो पर है। गन्दगी भी फैलाते जा रहे है और पेड़ो की अंधाधुन कटाई भी करते जा रहें है।

स्वछता के ऊपर लोगो को शिक्षित करने की आवश्यकता है। जब तक सभी लोगो में जागरूकता नहीं आ जाती। लोग स्वछता का पालन सही ढंग से नहीं करेंगे। हमारी पुरानी संस्कृति इस बात का प्रमाण है की हमारा समाज साफ़ -सफाई को कितना महत्व देता था। सिंधु घाटी सभ्यता के बने चौड़े रास्ते, सड़क किनारे बड़े -बड़े नाले ,बड़ा स्नानागार इस बात का सबूत है की लोग सफाई को कितना महत्व देते थे।

पर बढ़ती जनसँख्या ने जैसी स्वछता पर अंकुश लगा दिया हो। सामने कूड़ादान होते हुए भी हम अपने खाने,पीने का रैपर रास्तों में ही फैक देते है। लोगो को जागरूक करना अति आवश्यक है। केवल सरकार पर दोषारोपण कर देने भर से समस्या का हल नहीं हो जाता। रास्तो ,बस ,पार्क ,सार्वजनिक स्थानों पर सफाई पर भाषण देते काफी लोग नज़र आ जायेंगे ,पर उस पर अमल करने वाले कम ही लोग नज़र आएंगे। केवल नाक भर ढक लेने से समस्या का हल नहीं हो जाता।

लोगो के दिमाग में केवल ये बात घुसानी होगी कि स्वछता का पालन करना अर्थात बीमारियों से दूर रहना है। चलिए जानते है कि स्वछता का  पालन कैसे करें

1) रोज़ाना घर की साफ़सफाई करे।

2) खाना पक जाने उपरांत रसोई घर की अच्छे से सफाई करे।

3) सप्ताह में एक या दो बार शौचालय की सफाई करे।

4) घर का कूड़ा कूड़ेदान के फैके ,यदि वह उपलब्ध हो तो घर से सुनसान इलाके में फैके ,जहाँ कोई आताजाता नहीं।

5) रास्तों से चलते वक़्त जहाँतहाँ  ना थूके , ना शौच करे और ना गन्दगी फैलाएं।

6) हमें ध्यान रखना होगा की सफाई का सम्बन्ध बीमारियों से मुक्ति है।

7) रोज़ाना स्नान करके साफ़ कपडे पहने। सफ्ताह में कम से कम 2-3 बार साबुन लगाए।

8) नाखुनो को समयसमय पर काटते रहे।

9) बाहर जब भी निकले ध्यान रखे कि कपडे ज़मीन तक ना जाये और साथ में हमेशा सैनीटाइज़र रहे।

10) पहने हुए कपड़ो को साबुन से धोकर पुनः पहने।

11) बाजार से फलसब्ज़ी खरीदकर इस्तेमाल करने से पूर्व अच्छी तरह धो ले।

12) पीने का पानी तथा खाना अच्छी तरह ढक कर रखे।

13) घर में अगर कोई पालतू जीव है, तो स्वछता का खास ध्यान रखे।

14) घर में अगर बच्चे है, तो सफाई का खास ध्यान रखे।

उपरोक्त छोटेछोटे नियमो का पालन करके हम समाज में बड़े बदलाव ला सकते है। इस बात का ध्यान रखना होगा हम पहले अपनी स्वछता का ध्यान रखे फिर तो समाज स्वतः ही स्वच्छ हो ही जायेगा।

स्वछता के बारे में 10 पंक्तियाँ हिंदी में

  1. स्वछता हमारे जीवन का मूल आधार है।
  2. गन्दगी रोगो को निमंत्रण देती है।
  3. स्वच्छ रहने से चित भी प्रसन्नचित रहता है।
  4. साफसुथरा व्यक्ति सामान्य लोगो से ज़्यादा आकर्षित लगता है।
  5. साफ़ वातावरण में मच्छरमक्खी तथा दूसरे रोग फ़ैलाने वाले कीड़ेमौकोड़े भी कम भिनभिनाते है।
  6. यदि पर्यावरण स्वच्छ रहे तो देखने में भी अच्छा लगता है और बीमारियाँ भी कम फैलती है।
  7. गन्दगी रोगो का घर है। इसलिए यदि रोगमुक्त रहना है तो स्वच्छ रहें।
  8. रसोई तथा शौचालय की विशेष रूप से साफ़सफाई का ध्यान रखे।
  9. पानी तथा खाने को अच्छी तरह ढक कर रखे।
  10. साफ़ बर्तनो में खाना पकाये और खाना बनने के बाद बर्तनो को अच्छी तरह धो ले।

हमें आशा है आप सभी को Cleanliness in Hindi पर छोटा सा लेख पसंद आया होगा। आप इस लेख को अपने स्कूल में 10 lines about Cleanliness in Hindi या 10 Lines on Swachata in Hindi के रूप में भी प्रयोग कर सकते है।

Read Also :-

10 Lines on Republic Day in Hindi
10 Lines on Holi Festival in Hindi
10 Lines on Diwali in Hindi
10 Lines on Jawaharlal Nehru in Hindi
10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi
10 Lines on Mother in Hindi

FAQ on Cleanliness in Hindi

Question: जीवन में स्वछता का क्या महत्व है?
Ans-जीवन में स्वछता का बहुत महत्व है। स्वच्छ रहने से तन तो अच्छा रहता ही है साथ ही साथ मन भी अच्छा रहता है। घर और परिवेश के स्वच्छ रहने से तन निरोगी और मन भी प्रसन्नचित रहता है।

Question: स्वच्छ रहने के क्या -क्या फायदे है?किन्ही पाँच का उल्लेख करे।
Ans-स्वच्छ रहने के निम्नलिखित फायदे है –
1) तन निरोगी रहता है।
2) मन प्रसन्न रहता है।
3) रोग दूर रहते है।
4) घर और परिवेश सुन्दर लगता है।
5) व्यक्ति आकर्षक और अच्छा लगता है।

Question: स्वच्छ रहने से हम रोगो से कैसे दूर रह सकते है?
Ans-कीटाणु वहां जन्म लेते है, जहाँ गन्दगी पनपती है। सड़ी-गली वस्तुएं ,भोज्य प्रदार्थ ,कचरा आदि अनेक दिनों से पड़े रहने से इसमें रोगो की उत्पत्ति होती है। इसके कीटाणु यहाँ जन्म ग्रहण करते है तथा चारो ओर फ़ैल जाते है। घर की सफाई के लिए हम परिवेश को दूषित कर डालते है और रोगो का फैलने का अवसर प्रदान करते है। अतः रोगो से दूर रहना है तो हमें स्वच्छ रहना होगा।

Question: क्या स्वच्छ रहने वाले लोग कम बीमार पड़ते है? अगर हाँ तो कैसे?
Ans-स्वछता के नियमो का पालन करने वाले व्यक्ति कम बीमार पड़ते है, क्योकि गदगी रोगो का घर होती है। जहाँ के लोग साफ -सफाई का ज़्यादा ध्यान रखने है। औरो की तुलना में कम बीमार पड़ते है।

Question: स्वच्छ रहने से सकरात्मक ऊर्जा का का विकास होता है? कैसे समझाइये ?
Ans-स्वच्छ रहने से यक़ीनन सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है, जब हम स्वछता के नियमो का पालन करते है ,तो हमारा चित प्रसन्नचित रहता है। व्यक्तित्व आकर्षक लगता है ,मन का आत्मविश्वास बढ़ता है और हमारे अंदर के सकरात्मक ऊर्जा के विकास होता है। इसे एक छोटा सा उदहारण द्वारा समझा जा सकता है -जब हम एक नया कपड़ा पहनते है तो खुद को आईने में बार-बार देखते है। अर्थात उस वस्त्र के कारण हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।