10 Lines on Death Anniversary of Lal Bahadur Shastri in Hindi

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आज हम “10 Lines on Death Anniversary of Lal Bahadur Shastri in Hindi” लेकर आपके समक्ष आये है, इस आर्टिकल में आप “लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर 10 लाइन्स निबंध” में पढ़ेंगे।

Death Anniversary of Lal Bahadur Shastri in Hindi

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त हुए सादगी पूर्ण जीवन से भरपूर लाल बहादुर शास्त्री का निधन 11 जनवरी 1966 को रहस्यमय ढंग से दुखद निधन हो गया था।

 जीवन परिचय

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में वाराणसी उत्तर प्रदेश में हुआ था। काशी विद्यापीठ से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। लाल बहादुर शास्त्री के पिता का नाम शारदा प्रसाद तथा माता का नाम राम दुलारी देवी था। मात्र 18 महीने की अल्पायु में ही इनके पिता की मृत्यु हो गई थी, जिसके कारण वह अपने नाना के पास मिर्जापुर में चले गए। काफी कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। वे रोज तैरकर नदी पार करते थे पर उन्हें मुफ्त की सवारी मंजूर नहीं थी।काशी विद्यापीठ से उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की, जिसके बाद उन्हें शास्त्री की उपाधि मिली -जिसका अर्थ है ‘विद्वान’ । वे जात- पात के सख्त खिलाफ है, जिसके कारण मात्र 12 वर्ष की अल्पायु में उन्होंने अपना उपनाम श्रीवास्तव छोड़ दिया था। उन्होंने 24 साल की उम्र में सन 1928 को ललिता जी के संग वैवाहिक जीवन की शुरुआत की। लाल बहादुर शास्त्री की दो पुत्रियां तथा चार पुत्र थे। पुत्रों के नाम थे -हरिकृष्ण, अनिल, सुनील और अशोक। उनकी दो पुत्रियां थी जिनके नाम से कुसुम और सुमन।

 स्वतंत्रता सेनानी के रूप में लाल बहादुर शास्त्री 

लाल बहादुर शास्त्री एक सक्रिय स्वतंत्रता सेनानी के रूप में कार्यरत थे। साल 1930 में हुए नमक सत्याग्रह के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उन्हें ढाई साल जेल में ही रहना पड़ा। जब साल 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था तब भी उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी थी और उस समय जेल में उन्हें 4 साल बिताने पड़े। स्वदेश प्राप्ति के लिए उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा था फिर भी उन्होंने कभी भी हार ना मानते हुए आगे बढ़ते गए। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने मुख्य रूप से 1921 में असहयोग आंदोलन 1930 में दांडी मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आखिरकार सन 1947 में भारत को आजादी दिलाई। 

लाल बहादुर शास्त्री की राजनीतिक यात्रा

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बने। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद यह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए। आजादी के पश्चात 1951 को वे दिल्ली आ गए और केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला। वे रेल मंत्री, परिवहन मंत्री एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री भी रहे। भारत के आजादी के पश्चात ही उन्हें पुलिस और परिवहन मंत्री बनाया गया।उनके कार्यकाल के दौरान पहली बार महिला कंडक्टरो की नियुक्ति की गई थी। अनियंत्रित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने पुलिस की लाठियों के बजाय पानी के जेट का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया था । 1952 में जब वे रेल मंत्री बने थे, तब 1956 में तमिलनाडु में एक रेल दुर्घटना हुई, जिसमें लगभग डेढ़ सौ यात्रियों की मौत हो गई और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया ।उन्होंने दूध के उत्पादन और आपूर्ति को बढ़ावा देने की घोषणा की और साथ ही साथ हरित क्रांति को भी बढ़ावा दिया। हरित क्रांति के कारण ही भारत अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ। जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के बाद वह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त हुए। उनका कार्यकाल अल्पकालीन ही रहा,जिसमें उन्होंने भारत में चल रहे भुखमरी, बेरोजगारी जैसे कड़ी चुनौतियों का सामना किया। उन्होंने सफलतापूर्वक अपने कार्य का निर्वाह किया। एक कुशल राजनीतिक की तरह देश के पक्ष में बड़े -बड़े फैसले लिए।

 लाल बहादुर शास्त्री ने जब बतौर प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला। तब भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती अनाज की थी। भारत अनाज काफी आयात करने लगा था, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर हो रहा था। इस मसले को प्रधानमंत्री ने सुलझाने की काफी हद तक कोशिश की और हरित क्रांति के बाद भारत को आत्मनिर्भर बना दिया। 

भारत- पाकिस्तान युद्ध उनके नेतृत्व में सन 1965 में हुआ, जिससे देश में अन्न की काफी कमी हो गई। इस संकट के समय में उन्होंने अपनी तन्खाव्ह लेनी बंद कर दी तथा लोगों से अपील की कि हफ्ते में कम से कम 1 दिन का उपवास रखे।

 सेना के जवानों और किसानों का महत्व बढ़ाने के लिए उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया। 10 जनवरी 1966 में ताशकंद में पाकिस्तान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 12 घंटे के बाद 11 जनवरी को उनकी रहस्यमय रूप से उनकी मृत्यु हो गई,जो आज भी हमारे बीच रहस्य और संदिग्ध का विषय है।

 उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वे पहले व्यक्ति थे। लाल बहादुर शास्त्री अपने गुणों के कारण सदा सदा के लिए हमारे बीच अमर रहेंगे।

10 Lines on Death Anniversary of Lal Bahadur Shastri in Hindi

  1.  1) 10 जून 1964 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने कार्यभार संभाला।
  2. 2) शास्त्री जी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला था।
  3. 3) तीन शास्त्री जी ने 1929 में इलाहाबाद में भारत सेवक संघ के सचिव के रूप में कार्य किया।
  4. 4) लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1950 को मुगलसराय में हुआ था।
  5. 5) इनके पिता का नाम शारदा प्रसाद तथा माता का नाम रामदुलारी था।
  6. 6) जब इनके पिता का निधन हुआ था तब वे मात्र 18 महीने के थे। 
  7. 7) ये कायस्थ परिवार से आते थे ।
  8. 8) पिता की मृत्यु के बाद ही अपने ननिहाल आ गए, जहां से इनकी पढ़ाई संपन्न हुई ।
  9. 9) शास्त्री जी ने अपनी शिक्षा हरिश्चंद्र हाईस्कूल और काशी विद्यापीठ से पूरी की।
  10. 10) शास्त्री जी जात- पात के सख्त विरोधी थे इसीलिए उन्होंने अपना श्रीवास्तव उपनाम को 12 वर्ष की आयु में ही छोड़ दिया था ।

5 Lines on Death Anniversary of Lal Bahadur Shastri in Hindi

  1.  1)लाल बहादुर शास्त्री को शास्त्री की उपाधि काशी विद्यापीठ से मिली थी, जिसका अर्थ है विद्वान ।
  2. 2)लाल बहादुर शास्त्री को बचपन में प्यार से सभी नन्हे कहकर बुलाते थे।
  3. 3) उनका विवाह गणेश प्रसाद की बेटी ललिता देवी से हुआ था।
  4. 4) भारतीय स्वाधीनता संग्राम में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी।
  5. 5) उन्होंने ‘करो या मरो’ नारे को ‘मरो नहीं तो मारो’ में बदलकर लोगों में क्रांति की ज्वाला जलाई।

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FAQ on Death Anniversary of Lal Bahadur Shastri in Hindi

1) एक शास्त्री जी के जीवन की विशेषता बताइए।

 उत्तर- शास्त्री जी का जीवन सादा जीवन उच्च विचारों पर आधारित था। वह एक कुशल नेतृत्व वाले गांधीवादी नेता थे।

2) शास्त्री जी का प्रसिद्ध नारा क्या था?

 उत्तर -शास्त्री जी का प्रसिद्ध नारा ‘जय जवान जय किसान’ था, जिसे उन्होंने 1965 भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान दिया था।

3) शास्त्री जी ताशकंद क्यों गए थे?

 उत्तर -लाल बहादुर शास्त्री समझौते के लिए सोवियत संघ के शहर ताशकंद गए तो वहां 10 जनवरी 1966 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किया।

4) शास्त्री जी की मृत्यु कैसी हुई?

उत्तर-अयूब खान से समझौते के बाद अचानक दिल का दौरा पड़ने से लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु हो गई। 

5) शास्त्री जी के जीवन के संदेश क्या है?

 उत्तर -शास्त्री जी के जीवन का संदेश है -‘कर्म के प्रति आस्था और संपूर्ण समर्पण’।