डस्टबिन को हिंदी भाषा में कूड़ेदान कहते है। आज इस लेख हम आपके लिए “10 Lines on Dustbin in Hindi” लेकर आये है।
Dustbin in Hindi
कूड़ा दान अर्थात कचरा रखने का स्थान या कोई पात्र। कूड़ा घर तथा बाहर हर स्थान से निकलता है कूड़ा करकट भी कई प्रकार के होते हैं –
- ऐसे कूड़े जिसमें अनाज और फलों के छिलके आते हैं।
- ऐसे कूड़े जो केवल प्लास्टिक का ढेर होते हैं।
- घर की सफाई से निकलने वाले कचरे।
- सब्जी के बाजारों से निकलने वाले कचरे।
- मछली तथा मांस के बाजारों से निकलने वाले कचरे।
- खाने की दुकानों से निकलने वाले कचरे।
अतः हमने देखा कि कचरा विभिन्न रूप और प्रकार का होता है। इन कचरो को अगर समय से ना फेंका जाए तो यह केवल स्थान को ही नहीं गंदा करते अपितु दुर्गंध फैलाने के साथ-साथ परिवेश को भी गंदा बनाते हैं। और नए प्रकार के रोगों को जन्म देते हैं इसीलिए इनका कचरों का निष्पादन बहुत ही अहम है। इन कचरो के सही ढंग से निष्पादन के लिए हमारी सरकार ने जगह-जगह कूड़ेदानो को स्थापित किया है, ताकि लोग कूड़ा कचरा इधर-उधर ना फेंककर सीधे कूड़ेदान में ही डालें। इसके अलावा भी नगरों और महानगरों में घर- घर से रोज कूड़ा ले जाने के लिए भी प्रबंध कर रखे हैं।
हमें कूड़ेदान की आवश्यकता होती है ताकि कचरा इधर-उधर ना पसरें बल्कि सही जगह जमा हो जैसे घर का कूड़ा कचरा हम घर के इधर उधर नहीं फेंकते सही सही जगह या घर के डस्टबिन में ही फेंकते हैं। उसी प्रकार हमें अपना पर्यावरण भी साफ रखना चाहिए। जहां हम जीते हैं क्योंकि पर्यावरण दूषित होने से इसका सीधा और प्रत्यक्ष प्रभाव हमारे स्वास्थ्य एवं जीवन पर पड़ता है। पर हम कूड़े को इधर-उधर फेंक देते हैं इसका कारण यह हरगिस नहीं है कि हम इसके दुष्प्रभावों को नहीं जानते हैं इसका कारण यह है कि हम अपनी आदतों से मजबूर हैं सामने कूड़ा दान रहते हुए प्लास्टिक या अन्य कूड़ा हम इधर-उधर फेंक देते हैं । भूमि प्रदूषण का मुख्य कारण मनुष्य की आदतें हैं, जिसकी वजह से वातावरण दूषित होता है अगर हम अपनी आदतों में सुधार लाएं तो यह भूमि प्रदूषण कुछ नहीं बल्कि काफी हद तक कम हो सकती है। जितने भी खाद्य पदार्थ हैं सब प्लास्टिक रेपर में ही पैक किए जाते हैं ताकि लंबे समय तक सुरक्षित रहे। इसमें लिकेज का खतरा भी कम रहता है।यह पानी नहीं सोकते इसीलिए भीगने पर भी सामान ठीक रहता है, पर इसका सबसे बड़ा तथा प्रमुख दोष यह है कि जब यह इधर उधर पड़े रहते हैं तो बारिश के पानी के बहाव में बहकर नालियों को जाम कर देते हैं। चुँकी यह ना तो सड़ते हैं और ना ही गलते हैं सालों साल सही बने रहते हैं इसीलिए यह भूमि प्रदूषण का मुख्य कारण भी बनते हैं।लोग यदि अपनी आदतो में थोड़ा सा सुधार करें तो परिवर्तन अवश्य आएगा क्योंकि भारत की आबादी बहुत ज्यादा है, तो यहां से कचरा भी यहां के लोगों के हिसाब से ज्यादा निकलता है। अनाज तथा फलों के छिलके तो कुछ समय बाद नष्ट हो जाते हैं पर जहां-तहां फेंकने से स्थान को गंदा बना देते हैं तथा दुर्गंध भी फैलाते हैं।
कूड़ेदान दो प्रकार के होते हैं-
नंबर 1) नीला कूड़ेदान -नीले कूड़ेदान में प्लास्टिक संबंधी जितने भी वज्य पदार्थ है फेंके जाते हैं।
नंबर 2) हरा कूड़ेदान-हरे कूड़ेदान में अनाज फल और सब्जी संबंधी वज्य पदार्थ फेंके जाते हैं।
कूड़ेदान से कूड़ा कचरा इकट्ठा होने के उपरांत इसे गाड़ियों से ले जाकर दूर जाकर फेंका जाता है ताकि शहर में और गंदगी ना फैले। जमा किए गए नीले कूड़ेदान वाले कचरे के ढेर को फिर से रीयूज योग्य बनाया जाता है। हर एक कूड़ेदान का वज्य पदार्थ ट्रकों या दूर मिट्टी में फेंका जाता है जिससे मिट्टी पहले से ज्यादा उर्वर बन सके।कूड़ेदान बना ही इसीलिए है कि हम इसका प्रयोग करें पर हम उचित प्रयोग कभी भी नहीं करते। कूड़ादान सामने रहने के बावजूद हम सोचते हैं कि सब कचरा फेंकने कौन चलकर जाए उससे तो अच्छा यही है कि जहां खड़े हो वही कचरा गिरा दो। हमारी कुछ छोटी-छोटी पर बुरी आदतें गंभीर समस्या को जन्म दे देती है घर तो साफ रखते हैं पर पर्यावरण को साफ रखने की बारी आ जाती है तो यह जिम्मेदारी सरकार के कंधों पर डाल देते हैं। बाहर से कुछ लाकर रैपर का छिलका पास में ही फेंक देते हैं जबकि कूड़ा दान करीब होता है। आश्चर्य की बात यह है कि ऐसा केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि सभी व्यक्ति करते हैं। आप सोच सकते हैं कि अगर प्रत्येक व्यक्ति जमीन पर ही कूड़ा गिराने लगे तो उसकी मात्रा कितनी अधिक होगी प्रदूषण पर भाषण तो बहुत कोई देते हैं पर असल में कुछ नहीं करते। प्रदूषण की मात्रा भी शहरों में इतनी अत्याधिक ना होती यदि प्रत्येक व्यक्ति अपने घर में दो चार पेड़ लगा सके। लोग कहते हैं कि इतने से क्या फर्क पड़ेगा पर अगर प्रत्येक के घर में पेड़ लगे रहे तो फर्क जरुर पड़ेगा। ऐसी बात नहीं है कि लोग भूमि प्रदूषण के दुष्प्रभाव से परिचित नहीं पर अपने आलस के कारण या कहें बुरी आदतों के कारण एक ही आदत बार-बार दोहराते रहते हैं पर आदते सुधारने होगी। जब जो खाया और नीचे गिरा दिया। गाड़ी ट्रेन की खिड़की से बाहर फेंक दिया। ऐसा करना असभ्यता की निशानी है।खाई हुई चीजों के प्लास्टिक अपने साथ रखें अथवा सफर के दौरान एक बड़ा प्लास्टिक रखें जहां कूड़ा दान दिखे वहां पर ही फेंके।साफ पर्यावरण स्वच्छ स्थान देखने में भी अच्छा लगता है और उस स्थान पर रहना भी लोगों को अच्छा लगता है। साफ सड़के सभी को भाती हैं पर इस सफाई की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं बल्कि उस देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिकों की भी है घर और बाहर जितना साफ और स्वच्छ रहेगा बीमारियां भी उतनी ही कम होगी। कभी-कभी कचरा में से खाने के साथ जानवर प्लास्टिक भी खा जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है कम से कम इन बेजुबान जानवरों पर तो तरस खाकर हमें कचरा इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए। जब कूड़ेदान बनाए गए हैं तो उसका सटीक इस्तेमाल करें। देश तभी स्वच्छ बनेगा जब हम स्वच्छता के नियमों का पालन करेंगे।
10 Lines on Dustbin in Hindi
- कूड़ेदान का प्रयोग कूड़ा फेंकने के लिए किया जाता है।
- कूड़ेदान सामान्यता दो प्रकार के पाए जाते हैं नीला और हरा।
- हरे कूड़ेदान में सड़ जाने वाले वज्य पदार्थ जैसे अनाज सब्जी के छिलके फेंके हुए खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं।
- नीले कूड़ेदान में प्लास्टिक संबंधी सभी वस्तुएं रखी जाती हैं।
- नगरों तथा महानगरों में जगह-जगह पर कूड़ेदान नजर आते हैं।
- कूड़ेदान में कूड़ा डालना एक बहुत अच्छी आदत है।
- कूड़ेदान में जमे कूड़े को नगर पालिका के कर्मचारी समय-समय पर ले जाते हैं।
- प्लास्टिक के बड़े-बड़े डिब्बे बोतल को मशीनों में गला कर फिर से इस्तेमाल करने योग्य बनाया जाता है ।
- अनाज तथा दूसरे खाद्य पदार्थों से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जाती है।
- कूड़ेदान के प्रयोग से पर्यावरण स्वच्छ रहता है ।
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5 Lines on Dustbin in Hindi
- हमें सदैव कूड़ेदान में ही कूरे फेंकने चाहिए ।
- स्वच्छता के नियमों के पालन में कूड़ेदान का प्रयोग एक महत्वपूर्ण नियम है।
- कूड़ेदान के प्रयोग से बीमारियां कम फैलती है।
- कूड़ेदान के प्रयोग से बारिश में नालियां जाम नहीं होती ।
- कूड़ेदान का प्रयोग एक अच्छी आदत है जिस की आदत हम सभी को डाल लेनी चाहिए ।
FAQ on Dustbin in Hindi
Question : हमें कूड़ेदान का प्रयोग क्यों करना चाहिए?
Answer : हमें कूड़ेदान का प्रयोग कूड़ा फेंकने के लिए करना चाहिए कूडा़ रखने के पात्र को कूडा़ दान कहा जाता है। हमारे घर से या बाहर से जो कूड़ा कचरा निकलता है। उसे हमें कूड़ेदान में ही फेंकना चाहिए।
Question : गांव में कूड़ेदान को लेकर जागरूकता कैसे फैल सकती है ?
Answer : नगरों तथा महानगरों में सरकार ने जैसे स्थान स्थान पर कूड़ेदान बनवाए हैं पर गांव की अभी भी इसका अभाव है।गांव में भी कूड़ेदान का निर्माण करवाकर लोगों को उसके व्यवहार के प्रति सचेत करना चाहिए।गंदगी के प्रति जागरूकता देश के हर कोने में होनी चाहिए फिर चाहे वह शहर हो या गांव।
Question : कूड़ेदान कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक का उल्लेख करें।
Answer : शहरों में कूड़ेदान दो प्रकार के होते हैं नीला और हरा नीला कूड़ेदान प्लास्टिक संबंधी जितन भी वज्र पदार्थ फेंके जाते हैं कूड़ेदान में अनाज तथा फलों के छिलके फेंके जाते हैं।
Question : कूड़ेदान के प्रयोग से भूमि प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?
Answer : हम अक्सर कचरा रास्ते नहीं फेंक देते हैं।ऐसा भी देखा गया है कि कूड़ेदान होते हुए भी हम खाली प्लॉट में ही कचरा फेंक देते हैं जब जितना कचरा इधर-उधर फेंक देंगे गंदगी उतने ही बढ़ेगी भूमि प्रदूषण भी उतना ही होगा ।इसलिए अगर भूमि प्रदूषण कम करना है तो पूरे दिन का प्रयोग आवश्यक है ।
Question : क्या गंदगी फैलाने के लिए देश का हर नागरिक जिम्मेदार है ?
Answer : बिल्कुल गंदगी फैलाने के लिए देश का हर नागरिक जिम्मेदार है केवल कुछ मुट्ठी भर लोगों के कूड़ेदान प्रयोग करने से भारत स्वच्छ नहीं हो जाएगा भारत तभी पूर्णता स्वच्छ होगा जब देश का हर नागरिक सचेत होगा।