झाँसी की रानी की बहादुरता और शौर्य की गाथा पूरा विश्व जानता है। आज हम आप सभी के सामने ‘10 Lines on Jhansi Ki Rani in Hindi‘ लेकर आये है।
Jhansi Ki Rani in Hindi
‘कर अगर साहस तू तो राहों के कांटे भी फूलों में बदल जाए। अगर पकड़े तू दामन कायरता का तो हर कदम में तेरे कांटे बिछ जाए।’
-एकता रंगा
साहस ही एक ऐसी चीज है जो मुश्किल हालातों में लड़कर जीतना सिखाती है। साहस दिखाकर हम पूरी दुनिया को जीत सकते हैं। महान है वह लोग जो झुकना पसंद नहीं करते। वह साहस दिखाकर विजेता होने में ज्यादा विश्वास करते हैं। ऐसी ही थी एक महान वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई। आज हम अगर महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो दिमाग में सबसे पहले उन सभी बहादुर महिलाओं की छवि उभर आती है जिन्होंने इस समाज के लिए कुछ बड़ा किया। अहिल्याबाई होल्कर, सावित्रीबाई फूले, आनंदी गोपालराव जोशी, रानी लक्ष्मीबाई, सरोजनी नायडू और इंदिरा गांधी जैसी साहसी महिलाओं ने भारत के लिए खूब बड़े योगदान दिए। “बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।” सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित यह कविता रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य और साहस का बहुत सुंदरता से वर्णन करती है। रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ था। उनका असली नाम मणिकर्णिका तांबे था। उनकी माता का नाम भागीरथी सप्रे था और उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। लक्ष्मीबाई का परिवार महाराष्ट्र के तांबे गांव से वाराणसी आ गया था। लक्ष्मीबाई की उम्र बहुत छोटी थी जब उनकी मां का दुर्भाग्यवश निधन हो गया। बचपन से ही वह अपनी हमउम्र लड़कियों से एकदम अलग थी। उनकी शिक्षा और पढ़ना – लिखना घर पर ही हुआ था। मणिकर्णिका को तात्या टोपे और नाना साहेब के साथ घुड़सवारी, बाड़ लगाना, शूटिंग इत्यादि में प्रशिक्षण मिला। यह दोनों ही लक्ष्मीबाई के बचपन के अच्छे दोस्त थे। बचपन से ही लक्ष्मीबाई सामाज में बदलाव लाने के लिए हठी थी। सारंगी, पवन और बादल उनके प्रिय घोड़ों में से एक थे। बड़ी निर्भीकता के साथ उन्होंने जवानी में कदम रखा। जब वह चौदह साल की सुंदर युवती हो गई थी तब उनका विवाह झांसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ संपन्न हुआ। राजा से विवाह के बाद वह खुद में कई और नए गुण विकसित करने लगी। सितम्बर 1851 में रानी ने एक बच्चे को जन्म दिया। उस बच्चे का नाम दामोदर राव रखा गया। वह केवल चार महीने तक ही जीवित रहा। उसके पश्चात उसकी मृत्यु हो गई। गंगाधर राव ने अपने बेटे की मृत्यु के बाद अपने चचेरे भाई के बेटे आनंद राव को गोद लिया। दुर्भाग्यवश इसके बाद राजा गंगाधर राव की भी मृत्यु हो गई। हालांकि रानी लक्ष्मीबाई को दूसरी बार आघात लगा था परंतु फिर भी लक्ष्मीबाई हारी नहीं। रानी ने आत्मविश्वास के साथ यह ऐलान कर दिया की राजा की मृत्यु के पश्चात वह उनकी जगह लेगी। उस जमाने में जहां औरतें बाहर का कोई काम ही नहीं करती थी उस समय लक्ष्मीबाई ने यह साहसिक कदम उठाकर सबको चौंका दिया था। उनका यह कदम अंग्रेजों को रास नहीं आया। अंग्रेज झांसी पर कब्जा जमाना चाहते थे इसलिए उन्होंने यह चाल चली कि उनका दतक पुत्र दामोदर राव (आनंद राव) अवैध है इसलिए लक्ष्मीबाई झांसी छोड़ कर जा सकती है। परंतु लक्ष्मीबाई इस बात से भंयकर गुस्सा हो उठी। उन्होंने कहा कि वह अपनी झांसी किसी भी हाल में अंग्रेजों को नहीं देगी। फिर अंत में लक्ष्मीबाई और अंग्रेजों के बीच लगातार चलती खींचतान 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मेें बदल गई। लक्ष्मीबाई ने भारत को आजादी दिलाने में खूब संघर्ष किया। वह डटकर अंग्रेजी हुकूमत से लड़ती रही। अंत में 18 जून 1858 को वह लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गई।
10 Lines on Jhansi Ki Rani in Hindi
- लक्ष्मीबाई अर्थात मणिकर्णिका का जन्म 13 नवम्बर 1835 को हुआ था।
- उनका जन्म काशी में हुआ था।
- बचपन से ही उनमें वीर पुरूष-स्त्री के गुण विकसित हो गए थे।
- लक्ष्मीबाई ने तीरंदाजी, घुड़सवारी, तलवार चलाना और शूटिंग आदि बचपन से ही सीख लिए थे।
- उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था और उनकी माता का नाम भागीरथी सप्रे था।
- नानाजी पेशवा लक्ष्मीबाई के मुंहबोले भाई थे।
- उनकी मां भागीरथी बाई का देहांत लक्ष्मीबाई के जन्म के थोड़े समय बाद हो गया था।
- लोग उन्हें प्यार से छबीली और मनु कहकर बुलाते थे।
- उनके घोड़ो का नाम बादल, पवन और सारंगी था।
- लक्ष्मीबाई ने एक संन्यासी को उनका अंतिम संस्कार करने के लिए बोला था।
5 Lines on Jhansi Ki Rani in Hindi
- रानी लक्ष्मीबाई बहुत ही बहादुर महिला थी।
- तात्या टोपे लक्ष्मीबाई के सबसे खास मित्रों में से एक थे।
- उनके पति का नाम गंगाधर राव था। वह झांसी के राजा थे।
- लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के सामने घुटने टेकने से इंकार कर दिया था।
- उनका मशहूर वाक्य था – ‘मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी।
FAQ on Jhansi ki Rani in Hindi
Question : रानी लक्ष्मीबाई को झांसी की रानी कहकर क्यों पुकारा जाता है?
Answer : रानी लक्ष्मीबाई को झांसी की रानी इसलिए कहा जाता था क्योंकि उनकी शादी झांसी के राजा गंगाधर राव के साथ हुई थी। शादी के बाद उनका नाम माता लक्ष्मी के नाम पर लक्ष्मीबाई रख दिया।
Question : लक्ष्मीबाई के घोड़ों के नाम क्या थे?
Answer : लक्ष्मीबाई के प्रमुख और प्रिय घोड़े थे – बादल, पवन और सारंगी। कहा जाता है कि बादल ने अपनी प्रिय रानी को बचाने के लिए अपनी जान तक दे दी थी। बादल के इस दुनिया से जाने के बाद पवन और सारंगी हर एक कदम पर रानी के साथ खड़े रहे।
Question : लक्ष्मीबाई का सबसे लोकप्रिय वाक्य क्या था?
Answer : लक्ष्मीबाई का लोकप्रिय वाक्य था – मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी। जब से राजा गंगाधर राव की मृत्यु हुई तब से रानी ने सब चीजों को संभाल लिया था। लक्ष्मीबाई ने मरते दम तक झांसी को अच्छे से संभाले रखा।
Question : रानी लक्ष्मीबाई के जीवन से हमे क्या सीख मिलती है?
Answer : आज के समय में नारीवाद (फेमिनिस्म) एकमात्र फैशन का शब्द बन गया है। अगर सच्चे अर्थों में देखा जाए तो नारीवाद की सबसे पहली प्रतिमूर्ति रानी लक्ष्मीबाई को माना जाएगा। वह अपने समय की सबसे निडर और बहादुर महिलाओं में से एक थी। यहां तक की राजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद जब यह मामला उठा की राजा की मृत्यु के बाद उनकी राजगद्दी कौन संभालेगा तब लक्ष्मीबाई ने बिना हिचके यह निर्णय लिया कि अब से वह सारा कार्यभार संभालेगी। उस जमाने में जब महिलाओं को निर्णय लेने का हक नहीं था तब रानी लक्ष्मीबाई ने ऐसा फैसला लेकर सबको चौंका दिया। लक्ष्मीबाई के जीवन से हम निडरता और बहादुर का पाठ सीख सकते हैं।
Question : रानी लक्ष्मीबाई किन चीजों में कुशल थी?
Answer : लक्ष्मीबाई घुड़सवारी, तीरंदाजी, तलवार चलाने और कई अन्य चीजों में कुशल थी।