श्री राम सनातन धर्म को मानने वालो के लिए भगवान् विष्णु का अवतार है। हिन्दू समाज भगवान् श्री राम की पूजा करता है। आज हम इस लेख में आपके लिए ‘10 Lines on Lord Ram in Hindi‘ लेकर आये है।
Lord Ram in Hindi
राम का नाम लेते ही हमारे मन में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की छवि उभरती है । भगवान राम ने कुल की मर्यादा रखने हेतु अपनी अर्धांगिनी सीता का त्याग कर दिया पर कभी दूसरा विवाह नहीं किया । मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की पूजा हर हिंदू धर्म में होती है ।
बाल्मीकि जी के अनुसार भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ। अयोध्या नरेश दशरथ की तीन पत्नियां थी – कौशल्या कैकयी और सुमित्रा । भगवान राम विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं त्रेता युग में राक्षसों के अत्याचार से सभी जब त्राहि-त्राहि करने लगे, तब विष्णु ने राम रूप में अवतार ग्रहण किया। माता कौशल्या ने श्री राम को जन्म दिया केकई ने भरत को तथा सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया । श्री राम की बाल लीलाएं काफी चर्चित एवं लोकप्रिय भी हैं । श्री राम को सबसे अधिक स्नेह माता कैकई से मिला । ऋषि वशिष्ठ से इन चार भाइयों की शिक्षा-दीक्षा हुई ।महर्षि ने इन चार भाइयों को अस्त्र-शस्त्र एवं धनुर्विद्या में पारंगत कर दिया । समय के साथ यह चार भाई भी बड़े हुए । ऋषि वशिष्ठ ने राम और लक्ष्मण को बहुत सारे दिव्यास्त्र प्रदान किए ।उनकी शिक्षा पूर्ण होने के पश्चात विश्वामित्र इन भाइयों को राक्षसों का वध करने के लिए लेकर गए । ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मण विष्णु के शेषनाग का अवतार थे इसीलिए वे सदैव राम के साथ रह राम की सेवा तथा उनकी रक्षा किया करते थे । तब ताड़का और सुबाहु तथा अन्य राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया । सभी ऋषि-मुनियों ने विश्वामित्र के आश्रम में आकर प्रार्थना की गुहार लगाई। विश्वामित्र ने इस संकट से बचाने के लिए राम और लक्ष्मण को राक्षसों का संहार करने के लिए भेजा । राम और लक्ष्मण बिना चुके ताड़का और सुबाहु नामक राक्षसों को मार गिराया तथा ऋषियो का उत्थान किया। मिथिला में उस समय स्वयंवर चल रहा था । विश्वामित्र अपने चारों शिष्यों समेत मिथिला के स्वयंवर में पधारे। वहां राम ने शर्त अनुसार शिव धनुष पर केवल प्रत्यंचा ही नहीं चढ़ाया बल्कि उसे तोड़ भी दिया । राम के साथ सीता तथा सीता की बाकी तीन बहनों के साथ भारत ,लक्ष्मण और शत्रुघ्न का विवाह संपन्न हुआ ।जनक पुत्री सीता दशरथ की पुत्रवधू बनकर अयोध्या पधारी । सभी बहुत खुश थे।
इसके बाद से शुरू होता है रामायण का दूसरा अध्याय। राजा की दूसरी पत्नी कैकयी ने युद्ध में एक बार राजा दशरथ की सहायता की थी। राजा दशरथ ने कैकई से दो वर मांगने को कहा उत्तर मे कैकई ने कहा था कि वक्त आने पर मांग लूंगी । कैकई दासी मंथरा हमेशा से कैकई के कान भर्ती रही कैकई को राम के खिलाफ उकसाती रही। परिस्थितियां ऐसी बनी कि राम के राज्याभिषेक के पहले कैकई कोप भवन में चली गई और जब राजा दशरथ उन्हें मनाने गए तब उसने राजा से दो बार मांगे -पहला -भरत का राज्याभिषेक दूसरा – राम को चौदह वर्षों का वनवास । हृदय पर पाषाण रखकर दशरथ को उनकी बात माननी पड़ी। राम को जब पता चला तब उन्होंने सहर्ष ही वन गमन स्वीकार कर लिया।लक्ष्मण जो कि शेषनाग का अवतार थे और उनकी पत्नी सीता भी स्वेच्छा से वन गमन को तैयार हो गए।राज महलों में रहने वाले राजकुमार वनवासियों की तरह साधारण जीवन व्यतीत करने लगे। इधर पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर दशरथ के प्राण निकल गए। वन में राम और लक्ष्मण दोनों ने मिलकर अनेक असुरों का वध किया। तेरह वर्ष व्यतीत हो गए इसके पश्चात वे गोदावरी के निकट पंचवटी नामक वाटिका में रहने का विचार करने लगे। अंतिम वर्ष जब वे पंचवटी वाटिका में कुटिया बनाकर रहने लगे तभी शूर्पणखा जो कि रावण की बहन थी, वहां से गुजर रही थी उसने राम को देखा और उस पर मुग्ध हो गई।उसे पाने के विचार हेतु शूर्पणखा ने राम को विवाह का प्रस्ताव दिया।इस पर राम ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि वह पहले से ही विवाहित थे। शूर्पणखा की चतुराई का राम पर कोई असर ना हुआ गुस्से में आकर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काट डाली। इसकी सूचना रावण को मिली वह गुस्से से तिलमिला उठे और सीता को हरण करने की योजना बनाई। रावण मारीच के पास गए और स्वर्ण मृग का रूप धारण करने को कहा। अपने कुटिया से स्वर्ण मृग को देखकर सीता मोहित हो गई और उसे लाने की जिद कर बैठी। भगवान राम स्वर्ण मृग का पीछा करते हुए काफी दूर वन में निकल गए। राम ने जब वाण चलाया तो मारीच ने लक्ष्मण का नाम संबोधित करते हुए प्राण त्याग दिए। लक्ष्मण का नाम सुनकर सीता व्याकुल हो गई और लक्ष्मण को राम के पास जाने के लिए कहा। लक्ष्मण ने काफी समझाया पर सीता ना मानी। अंत में बाध्य होकर लक्ष्मण ने धनुष और गांडीव उठाया और चले गए पर एक लक्ष्मण रेखा खींच दी और निर्देश दिया कि सीता उस रेखा को कभी भी पार ना करें। रावण इसी मौके की तलाश में था। वह साधु वेश धारण कर भिक्षा मांगने आया सीता ने तुरंत भिक्षा देने हेतु साधु को अंदर बुलाया।लक्ष्मण रेखा के कारण रावण अंदर जा ना सका इसीलिए उसने सीता को बाहर आने का प्रस्ताव दिया। सीता तो बाहर निकल नहीं सकती थी इस पर साधु ने सीता को काफी अपशब्द कहे। सीता साधु के क्रोध और श्राप से भयभीत होकर सीता ज्यो ही लक्ष्मण रेखा को पार कर बाहर आई त्यो ही दुष्ट रावण सीता को लेकर पुष्पक विमान में उड़ चला । जटायु ने सीता को बचाने का काफी प्रयास किया पर रावण ने जटायु के पर काट दिए राम और लक्ष्मण दोनों वन वन भटके पर सीता कहीं ना मिली। मरते मरते जटायु सीता का रावण द्वारा अपहरण की बात राम को बता गए। तत्पश्चात दोनों भाई वन वन भटक कर किष्किंधा पहुंचे। रास्ते में उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए जैसे अहल्या का उद्धार, शबरी के जूठे बेर खाना, केवट के साथ भेंट होना इत्यादि।किष्किंधा में राज्य को लेकर बाली तथा सुग्रीव दोनों भाइयों में विरोध चल रहा था। सुग्रीव बाली से भयभीत होकर ऋषिमुख पर्वत पर जा छिपे यहां राम की भेंट उनके परम भक्त हनुमान से हुई । सुग्रीव से मित्रता कर राम ने बाली को पराजित किया । लंका तक पहुंचने में समस्त वानर सेना ने राम की सहायता की। राम ने हनुमान द्वारा रावण को शांति का प्रस्ताव भेजा उन्होंने कहलवाया कि वे युद्ध नहीं चाहते इसीलिए सीता को वापस लौटा दे पर अहंकारी रावण कहां मानने वाला था। वह अपनी जिद पर अड़ा रहा लंका तक पहुंचने के लिए विशाल सागर को पार करना था वानर सेना ने पत्थरों पर श्री राम लिखें तो पत्थर सागर में तैरने लगे इस प्रकार पत्थरों की पुल बन गई ।लंका पहुंचकर राम और रावण की सेना के बीच भीषण युद्ध चला। यहां लंकापति का भाई विभीषण ने श्री राम की काफी मदद की श्री राम को रावण की मृत्यु का रहस्य भी बताया । आखिरकार असत्य पर सत्य की विजय हुई। राम ने विभीषण को लंका का नरेश बनाया तथा अपने भ्राता और भार्या को लेकर अयोध्या वापस लौट आए।
10 Lines on Lord Ram in Hindi
- प्रभु श्री राम का जन्म त्रेता युग में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ।
- श्री राम के पिता अयोध्या नरेश दशरथ थे ।
- दशरथ की तीन पत्नियां थी कौशल्या कैकेई और सुमित्रा ।
- राम के तीन और भाइयों के नाम भरत लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे।
- राजकुमार पुत्रों की शिक्षा दीक्षा ऋषि वशिष्ठ के पास हुई यहां इन्होंने अस्त्र शस्त्र चलाने की पूर्ण शिक्षा प्राप्त की।
- इस दौरान राम एवं लक्ष्मण ने यज्ञ भंग करने वाले दुष्ट ताड़का एवं सुबाहु का वध करते हुए अपने क्षत्रिय धर्म का पालन किया।
- ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम नारायण के सातवें अवतार थे ।
- लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे जो कि राम के साथ परछाई की भांति लगे रहते थे।
- रावण की लंका सोने की थी उसके पास धन ऐश्वर्य की कोई कमी ना थी।
- रावण शिव के उपासक, वेदों का ज्ञाता तथा महा पंडित थे।
5 Lines on Lord Ram in Hindi
- सीता के अपहरण के पश्चात प्रभु श्री राम की भेंट अपने परम भक्त हनुमान से हुई।
- रावण पुत्र मेघनाथ द्वारा शक्ति वाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए ।
- रावण की पत्नी का नाम मंदोदरी था , जो कि एक पतिव्रता नारी थी।
- रावण के एक और भाई का नाम कुंभकर्ण था जो कि छः महीने सोता था और छः महीने जागता था।
- विभीषण को हम घर का भेदी के नाम से जानते हैं क्योंकि विभीषण के भेद खोलने से ही रावण की मृत्यु हुई।
Read Also :-
10 Lines on Republic Day in Hindi
10 Lines on Holi Festival in Hindi
10 Lines on Diwali in Hindi
10 Lines on Jawaharlal Nehru in Hindi
10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi
10 Lines on Mother in Hindi
10 Lines on Indian Flag in Hindi
FAQ on Lord Ram in Hindi
Question : श्री राम को कितने वर्षों का वनवास हुआ और क्यों?
Answer : कैकई दासी मंथरा के कान भरने से कैकई उसके बहकावे में आ गई उसने दशरथ से दो वर की मांग की। पहला -राम को चौदह वर्षों का वनवास तथा दूसरा भरत का राज्याभिषेक। दशरथ की बात सुन बिना कोई प्रश्न किए राम सहर्ष ही वन गमन को राजी हो गए।
Question : लक्ष्मण जी की पत्नी का क्या नाम था ? वन प्रस्थान के समय लक्ष्मण ने अपनी पत्नी से क्या आग्रह किया?
Answer : लक्ष्मण की पत्नी का नाम और उर्मिला था । लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे तथा भाई की सेवा को ही अपना परम धर्म मानते थे इसीलिए वन जाते समय उन्होंने अपने हिस्से की नींद उर्मिला को ले लेने को कहा जिस पर उर्मिला खुशी-खुशी राजी हो गई ।
Question : भरत के राज्याभिषेक के बारे में सुनकर भरत की क्या प्रतिक्रिया थी?
Answer : भरत को जब पता चला कि उसके बड़े भाई को चौदह वर्षों का वनवास हुआ है तो उनके आंसू रोके ना रुके उन्होंने श्री राम की पादुका राज्य सिंहासन पर रख दी पर राजा बनना कतई स्वीकार नहीं किया।
Question : राम को मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों कहा जाता है?
Answer : रामायण वाल्मीकि द्वारा रचित है इसके बाद गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखा। श्रीराम पुरुषों में उत्तम है उन्होंने हर मर्यादा का पालन किया। राजा होकर भी पिता की अवज्ञा कभी नहीं की। वन वन भटके राजधर्म, क्षत्रियधर्म, पतिधर्म प्रत्येक धर्म का निर्वाह किया। एक धोबी के कहने पर दिल पर पाषाण रखकर पत्नी का परित्याग कर दिया पर कभी भी दूसरा विवाह ना किया । इन गुणों के कारण ही वह मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए ।
Question : किस श्राप के कारण दशरथ को पुत्र वियोग सहना पड़ा ?
Answer : एक बार की बात है कि राजा दशरथ आखेट के लिए निकले उसी समय वहां श्रवण अपने नेत्रहीन और वृद्ध माता-पिता को कावर में बिठाकर तीर्थ कराने निकले प्यासे माता-पिता को पानी पिलाने के लिए श्रवण नदी से पानी भरने लगे। पानी की आवाज सुन दशरथ को लगा जैसे कोई हिरण हो। उन्होंने तुरंत शब्दभेदी बाण चलाया। वाण लगने से श्रवण की मृत्यु हो गई। श्रवण के माता पिता ने दशरथ को श्राप दिया कि जिस तरह वे पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर मर रहे हैं उसी तरह दशरथ भी पुत्र वियोग में तड़प तड़प कर मर जाएंगे।