माँ सीता भगवान श्री राम की पत्नी थी। श्री राम भगवान् विष्णु का रूप थे वही माता सीता देवी लक्ष्मी का अवतार थी। आज हम आपके लिए इस लेख में 10 Lines on Mata Sita in Hindi लेकर आये है।
Mata Sita in Hindi
हमारे शास्त्रों एवं पुराणों में स्त्री शिक्षा स्त्री शक्ति की सदा से ही पूजा की गई है। देवों की तरह देवियों की भी पूजा की गई है। यह तो ही शास्त्रों की बात इतिहास पर अगर नजर डालें तो पता चलेगा कि जब आर्य भारत आए थे तो नारी सम्मान नारी शिक्षा के प्रबंध थे।
हमारे हिंदू धर्म में देवियों का नाम देवों से पहले आता है – जैसे सियाराम, लक्ष्मीनारायण,राधाकृष्ण आदि। दुर्गा को हम शक्ति के रूप में पूजते हैं, तो राधा प्रेम का प्रतीक है, जहां लक्ष्मी धन वैभव की देवी है, वही विद्या की देवी सरस्वती हैं । सीता लक्ष्मी की अवतार थी तथा त्रेता युग में इन्होंने मानव रूप में जन्म लेकर एक साधारण नारी बनकर असाधारण कार्य किए।
सीता जी के जन्म के बारे में मतभेद है ऐसा माना जाता है, कि त्रेता युग में एक बार मिथिला में जो कि वर्तमान बिहार में है, वहां सूखा पड़ा मिथिला नरेश जनक को ऋषि मुनियों ने उपाय बताया कि राजा अगर खेतों में जाकर हल चला आए तो वर्षा अवश्य होगी। इसका पालन करते हुए जनक जब खेत में हल चलाने गए तब माता सीता भूमि में पड़ी हुई मिली। राजा ने उस नन्हीं बालिका को अपनी बड़ी पुत्री के तौर पर पाला पोसा। सीता बचपन से ही प्रतिभावान धैर्यवान और कर्तव्य परायण थी। जनक के पास एक शिव धनुष था जिसे सीता बड़े आराम से उठाकर प्रत्यंचा भी चढ़ा लेती थी। सीता के युवा होने पर राजा जनक ने मिथिला में सीता के लिए योग्य वर ढूंढने हेतू स्वयंवर का आयोजन किया। स्वयंवर में बड़े-बड़े शूरमा और वीर पधारे।यहां विश्वामित्र राम और लक्ष्मण सहित पधारे थे। स्वयंवर के पहले वाटिका में राम और सीता की प्रथम भेंट हुई थी। स्वयंवर के आयोजन में जब महान महान योद्धा योद्धा परास्त हो गए, तब श्री राम ने धनुष को सहज ही उठाकर उस पर प्रत्यंचा चढ़ा दिया और धनुष तोड़ दिया। राजा जनक की चिंता दूर हुई। धनुष टूटने से परशुराम वहां पधारे तथा उनके और राम के बीच मतभेद हुआ श्रीराम ने उन्हें धैर्य पूर्वक शांत किया। तत्पश्चात राम जी का माता सीता के साथ विवाह संपन्न हुआ साथ ही सीता की तीन बहनों के साथ राम के तीन भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का विवाह संपन्न हुआ। जनकसुता अयोध्या पधारी। कुछ दिनों तो बड़े सुख से कटे पर उसके बाद रानी कैकयी ने अपने दो वर की मांग की। रानी कैकयी के मंथरा द्वारा कान भरे जाने के कारण दशरथ से अपने दो वर की मांग की जिसमें पहला था भारत को राज सिंहासन मिले और दूसरा राम को चौदह वर्षों का वनवास मिले। दशरथ वचनबद्ध थे, इसीलिए कुछ ना कर सके राम एक बार में ही राजी हो गए। तत्पश्चात वन गमन की तैयारी करने लगे सीता ने जब यह सब देखा तो उनसे रहा नहीं गया और वह भी राम के साथ वन गमन को निकल पड़ी। लक्ष्मण जो कि शेषनाग का अवतार थे वह भी वन गमन को निकल पड़े। तीनों ने राजसी पोशाक का त्याग कर साधुओं के वेश धारण किए और महल से निकल पड़े। जंगल में उनका सबसे बड़ा और सबसे पहला कार्य था कुटिया बनाना जहां सीता ने घर का कार्य कार्यभार तो संभाला ही साथ ही साथ बाहर के कार्यों में भी पति और देवर की मदद की। घर के बाहर पांव ना रखने वाली सीता जंगल में देवर और पति के साथ भटकती रही। सीता में बहुत संयम था वह तनिक भी विचलित ना हुई और स्त्री धर्म का सुचारू ढंग से पालन किया। जंगल में रहकर राम और लक्ष्मण ने असुरो को मार गिराया। वनवास के आखिरी वर्षों में वे पंचवटी नामक वाटिका में कुटिया बनाकर रहने लगे सब कुछ अच्छा चल रहा था पर रामायण का महत्वपूर्ण अध्याय यहीं से शुरू होता है। बात तब की है जब पंचवटी वाटिका से रावण की बहन शूर्पणखा वहां से गुजर रही थी राम से मोहित हो गई उसने तत्काल सुंदरी का वेश धारण किया और राम को विवाह का प्रस्ताव दिया। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने तो मना कर दिया फिर भी जब शूर्पणखा नहीं मानी तो लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी शूर्पणखा को यह बात अपमानजनक लगी और उसने अपने भाइयों खर और दूषण को इस प्रसंग का उल्लेख किया। खर और दूषण भी प्रभु श्री राम के हाथों मारे गए तब रावण सीता को हरने की योजना बनाने के लिए मारीच के पास गए और उसे स्वर्ण मृग बनने का आग्रह किया।पहले तो मारीच ने मना कर दिया पर सोचा यदि प्रभु श्री राम के हाथों मरु तो मुक्ति मिल जाएगी। मारीच स्वर्ण मृग का रुप धारण कर कुटिया के बाहर घूमने लगा। सीता उसके आकर्षक रूप से प्रभावित हुई और राम से उसे लाने की जिद करने लगी। राम सीता की सुरक्षा की जिम्मेदारी लक्ष्मण को देकर वहां से चले गए।धूर्त मारीच राम को बहुत दूर वन में ले आया। जब राम ने वाण चलाया तो लक्ष्मण मुझे बचाओ बोलकर मारीच ने मृत्यु को वरण किया।व्याकुल सीता रह ना सकी और लक्ष्मण को जाने पर विवश किया। जाने से पहले लक्ष्मण ने एक रेखा खींची तथा उसके बाहर सीता को निकलने से मना कर दिया रावण के लिए यह एक सुनहरा अवसर था उसने साधु का वेश धारण किया और भिक्षा मांगने हेतु कुटिया में गया।लक्ष्मण रेखा की सुरक्षा उसने भांप ली थी। उसने सीता को बाहर आने के लिए विवश किया भोली सीता रावण की कुटिलता का शिकार हो गई और बाहर निकल आई। रावण ने सीता को जबरन पुष्पक विमान में बैठाकर उड़ा ले चला।जटायु ने सीता को बचाने की कोशिश की पर रावण ने उसके पर काट दिए। सीता अपने गहने एक-एक करके भूमि पर गिराती रही। अंततः रावण सीता को लंका पुरी ले आया और कड़े पहरे में रखा। सीता की खोज में राम लक्ष्मण वन वन भटके पर सीता ना मिली। सीता के गहनों का पीछा करते-करते वे जटायु तक पहुंचे प्राण त्यागने से पहले जटायु ने सीता की हरण की बात बता दी। सीता की खोज करते करते दोनों किष्किंधा पहुंचे जहां उनकी भेंट उनके परम भक्त हनुमान से हुई। वहां राम ने बाली को मारकर सुग्रीव को किष्किंधा नरेश बनाया।राम ने पूरी वानर सेना तथा लंका तक पहुंचने का मार्ग तैयार कर लिया।
राम ने हनुमान को दूत बनाकर लंका भेजा हनुमान ने राम का संदेश रावण को सुनाया पर रावण ना माना। दुष्टों ने हनुमान की पूंछ में आग लगा दी तो हनुमान ने पूरी लंकापुरी जला डाली। इसके बाद वह माता सीता के पास गया सीता ने जब उसे बहुरूपिया कहा तो उसने राम की अंगूठी सीता को दिखाई सीता देखते ही पहचान गई अब सीता को विश्वास हो गया था कि प्रभु श्रीराम उन्हें मुक्त अवश्य ही करा लेंगे।
भीषण युद्ध के बाद रावण परास्त हुआ और मां सीता फिर से प्रभु के पास आई। प्रभु ने सीता के सतीत्व की अग्नि परीक्षा ली जिसमें सीता ने अपने पवित्रता साबित की पर कथा यहीं पर समाप्त नहीं होती जब राम संग सीता अयोध्या में रहने लगी तब कुछ दिन तो चैन से बीते पर अयोध्या नगरी में सीता की पवित्रता को लेकर कानाफूसी होने लगी। राम को जब यह बात पता चली तब रघुकुल की मर्यादा रक्षा हेतु उन्होंने सीता का त्याग कर दिया जब वह गर्भवती थी। सीता पर कष्टों का पहाड़ टूट पड़ा फिर भी वह निराश ना हुई और वाल्मीकि के आश्रम पहुंची। बाल्मीकि ने उन्हें शरण दिया माता ने कुछ ही दिनों में लव-कुश नामक दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया जो पिता की ही भांति तेजस्वी थे। श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन करवाया तथा अपने अश्व को छोड़ दिया। यहां पुत्रों ने पिता के अश्व को रोक लिया। बालको और रघुवंश की सेना के बीच घमासान युद्ध हुआ सीता ने आकर बालकों को अपने पिता से परिचय कराया ।लव कुश अयोध्या नगरी में जाकर राम कथा बाँचते थे। राम ने लव कुश समेत सीता को अयोध्या बुलाया जहां यह शर्त थी कि सीता फिर से अग्नि परीक्षा दे और अपनी पवित्रता साबित करें सीता और कितनी परीक्षाएं देती इसीलिए सीता ने धरती मां से निवेदन किया कि वह यदि पवित्र है, तो भूमि में समा जाए जहां से वह आई थी। धरती मां तुरंत फटती है और सीता उस में समा जाती है इस प्रकार परीक्षा देते देते सीता के दुखों का अंत होता है।
10 Lines on Maa Sita in Hindi
- सीता मिथिला प्रदेश में भूमि के गर्भ से प्राप्त हुई थी।
- सीता बचपन से ही गुणवती रूपवती बुद्धिमती व साहसी बालिका थी।
- सीता को मिथिला के राजा जनक ने पुत्री के रूप में ग्रहण किया था।
- सीता की और तीन बहने थी जिनका नाम था और मांडवी और श्रुत्कीर्ति ।
- सीता की माता का नाम सुनैना था वह धर्म परायण एवं उदार स्वभाव वाली महिला थी।
- सीता बहनों में सबसे बड़ी थी।
- सीता माता लक्ष्मी का अवतार थी।
- नारी रूप में उन्होंने काफी यातनाएं सही पर हर परीक्षा का कुशलतापूर्वक निर्वाह किया।
- राम और सीता की पहली भेंट उपवन में हुई जहां पहली बार दोनों ने एक दूसरे को देखा।
- राम ने शिव धनुष तोड़ कर सीता से विवाह किया।
5 Lines on Maa Sita in Hindi
- माता सीता देवी लक्ष्मी का अवतार थी।
- माता सीता का विवाह श्री राम के साथ हुआ था।
- सीता माता ने श्री राम के साथ 14 वर्षो का वनवास साथ व्यतीत किया था।
- वनवास के दौरान रावण सीता को हर लेता है।
- माता सीता को प्रभु श्री राम ने रावण का वध कर मुक्त कराया।
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FAQ on Mata Sita in Hindi
Question : सीता को अग्नि परीक्षा क्यों देनी पड़ी?
Answer – रावण के बंधन से मुक्ति के बाद सीता को अपने सतीत्व की परीक्षा देनी पड़ी। राम को तो विश्वास था पर बाकी लोगों को विश्वास दिलाने हेतु राम ने ऐसा किया।
Question : वनवास के दौरान माता सीता राम की सहायिका कैसे बनी?
Answer – वनवास के दौरान सीता घर का कार्य करती तथा बाहर के कार्यों में राम और लक्ष्मण का हाथ बटाती।
Question : भिक्षा देने हेतु सीता को लक्ष्मण रेखा क्यों लांगनी पड़ी?
Answer – सीता जब लक्ष्मण रेखा पार कर बाहर नहीं निकली, तो रावण ने कहा यदि वह भिक्षा देने बाहर ना निकली तो साधु बिना भिक्षा लिए ही चला जाएगा इस भय से बाध्य होकर सीता बाहर निकली।
Question : राम पुत्रों का जन्म कहां हुआ?
Answer – सीता ने वाल्मीकि के आश्रम में दो जुड़वा पुत्र को जन्म दिया।
Question : सीता धरती में क्यों समा गई?
Answer – अपने सतीत्व की परीक्षा देते देते सीता थक चुकी थी। उन्होंने धरती मां से प्रार्थना किया कि यदि वह पवित्र है तो धरती में समा जाए और ऐसा ही हुआ माता सीता धरती में समा गई।