मदर टेरेसा एक क्रिस्टियन कैथोलिक नन थी। समाज के लिए किये गए कार्यो के कारण उन्हें मदर टेरेसा नाम से मबोधित किया जाने लगा। उनके जीवन का उद्देश्य पिछड़े और गरीब लोगो की मदद करना था। आज हम “मदर टेरेसा पर 10 लाइन्स निबंध” लेकर आपके समक्ष आये है इस आर्टिकल में आप ’10 lines on mother teresa in hindi’ में पढ़ेंगे।
- मदर टेरेसा का असली नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था।
- मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कॉप्जे (अब का नाम मेसीडोनिया में) में हुआ था।
- मदर टेरेसा के पिता का नाम निकोला बोयाजू और माता का नाम द्राना बोयाजू था ।
- मदर टेरेसा अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं।
- मदर टेरसा एक रोमन कैथोलिक नन थीं, इन्होने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी।
- मदर टेरेसा ने 1950 में कोलकाता में “मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी” की स्थापना की।
- इस संस्था का उद्देश्य दलितों, गरीब और पीडितों की मदद करना था।
- मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला और 1980 में भारत रत्न प्रदान किया गया।
- मदर टेरेसा की मृत्यु दिल के दौरे के कारण 5 सितंबर 1997 को हो गयी थी।
- 09 सितम्बर 2016 को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी थी।
अपितु मदर टेरेसा ने गरीबो के लिए बहुत कुछ किया परन्तु कुछ सरकारी संस्थाओ और जानकारों जैसे क्रिस्टोफ़र हिचन्स, माइकल परेंटी, अरूप चटर्जी का यह भी मानना था की वो अपने मिशनरी द्वारा केवल गरीबो के धर्मपरिवर्तन के लिए कार्य करती है। उनका उद्देश्य है की गरीब लोग अपना धर्म बदल कर ईसाई धर्म अपना ले।
कनाडाई शिक्षाविदों जैसे सर्ज लारिवे, जेनेवीव चेनेर्ड और कैरोल सेनेचल के एक पत्र के अनुसार, टेरेसा के क्लीनिक को दान में लाखों डॉलर मिले थे लेकिन दर्द से जूझते बीमारों के लिए इस धन राशि को खर्च नहीं किया जाता था। इन तीन शिक्षाविदों ने बताया, “मदर टेरेसा का मानना था कि बीमार लोगों को क्रॉस पर क्रास्ट की तरह पीड़ा झेलना चाहिए”।
मदर टेरेसा पर यह भी आरोप थे की वो मरते हुए लोगों का ज़बरन धर्मपरिवर्तन कराती थी । 2017 में, खोजी पत्रकार जियानलुइगी नुज़ी ने बताया कि वेटिकन के एक बैंक में मदर टेरेसा के नाम पर उनकी चैरिटी द्वारा जुटाई गई धनराशि अरबों डॉलर में थी।
उनपर पाखण्डी होने का आरोप भी लगाया जाता है, कि उन्होंने ग़रीबों को अपनी पीड़ा सहन करने के लिए तो कहा, लेकिन जब वे स्वयं बीमार पड़ीं तो उन्होंने सबसे उच्च-गुणवत्ता वाले महँगे अस्पताल में अपना इलाज कराया। भारी मात्रा में दुनिया भर से दान में पैसा मिलने के बावजूद उनके संस्थानों की हालत दयनीय थी। हिचन्स उन्हें “ग़रीबों के बजाय ग़रीबी की दोस्त” बताते हैं।
परन्तु इन सब बातों के बाद भी इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता की उन्होंने गरीबो के लिए बहुत काम किया उस समय की सरकार चिकित्सा और गरीबी जैसी समस्या से निपटने के लिए बिलकुल तैयार नहीं थी ऐसे में मदर टेरेसा ने बहुत लोगो को लाभ पहुंचाया था।
हमें आशा है आप सभी को Mother Teresa in Hindi पर छोटा सा लेख पसंद आया होगा। आप इसे लेख को Mother Teresa Essay in Hindi के रूप में भी प्रयोग कर सकते है।