मीठे मीठे जल का प्रमुख स्रोत नदी है हमारी पृथ्वी में 75% पानी है और 25% भूमि है, जिस पर मनुष्य निवास करता है। खारा पानी हमारे किसी काम का नहीं रोजाना की जरूरतों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए हमें मीठे पानी की जरूरत होती है। हम जानते हैं कि मानव शरीर का लगभग एक तिहाई भाग पानी से बना है अर्थात एक मनुष्य को पीने के लिए औसतन 2 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। पानी पीने के अलावा नहाने, घर धोने, बर्तन धोने ,कपड़े धोने तथा घर की साफ सफाई के लिए भी हमें जल की आवश्यकता होती है । अर्थात जल ही हमारा जीवन है । केवल मनुष्यों को ही नहीं बल्कि समस्त जीव-जंतुओं को पानी की आवश्यकता होती है ।
River in Hindi
मीठे पानी का मुख्य स्रोत नदी है । नदियों के अलावा तालाब, कुआ और हैंडपंप इत्यादि भी मीठे पानी का स्रोत है । पर इस लेख के माध्यम से हम नदियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे ।
नदियों की उत्पत्ति
नदियों की उत्पत्ति का प्रमुख स्रोत पर्वत है । पर्वतों की चोटी पर जमी बर्फ धीरे-धीरे पिघलते हैं और नदियों का रूप धारण करते हैं । विश्व का केवल 3% पानी मीठा है जिसका हम उपयोग करते हैं । आइए जानते हैं कि विश्व के प्रमुख पर्वत श्रृंखला और उन से निकलने वाली नदियों के नाम
उद्गम स्थान | नदी | विलय |
विक्टोरिया झील | नील नदी | भूमध्य सागर |
पेरू ग्लेसियर | अमेज़ॉन | अटलांटिक महासागर |
रेड रॉक | मिस्सिप्पी | मेक्सिको की खाड़ी |
तिब्बत | चंग जियांग | चीन सागर |
अल्ताई पर्वत | ओब नदी | ओब की खाड़ी |
गंगोत्री | गंगा | बंगाल की खाड़ी |
उराल पर्वत | उराल नदी | केस्पियन सागर |
तिब्बत | सिंधु नदी | अरब सागर |
चम्यायुंग दंग | ब्रम्हपुत्र | गंगा नदी |
वल्दी पठार | वोल्गा नदी | केस्पियन सागर |
नदियों का उद्गम स्थान पर्वत है । पर्वतों से बहते हुए नदी अपने बाल्यावस्था में रहती है। जैसे बालक चंचल होता है उसी प्रकार नदी इस अवस्था में अपनी चंचलता लिए रहती है और जहां जहां इसे ढलान मिलता है । यह अपना मार्ग तय कर लेती है । रास्ते की हर कठिनाइयों का सामना करते हुए खुद अपना मार्ग प्रशस्त करती है । एक नदी की यात्रा यहां से ही शुरू होती है । नदी बहते- बहते अपने दूसरे पड़ाव पर आती है, जहां इसकी धारा बहुत तेज हो जाती है । सबसे अब यह पर्वतों से होकर मैदानों की तरफ आती है और पत्थरों को काटकर तथा मैदानों को चीर कर अपना रास्ता बनाती है । यहां नदियों में थोड़ी स्थिरता आती है । इस समय नदियां अपने यौवन अवस्था तक पहुंचती हैं । तत्पश्चात नदियां विभिन्न शाखाओं में विभक्त हो जाती हैं तथा अनेक नामों से जानी जाती है । जिस रास्ते से गुजरती है । उस भूमि को उर्वर बनाती हैं । अब नदियां चौड़ी हो जाती हैं तथा उनमें एकदम स्थिरता आ जाती है । इस इस समय नदियां अपने प्रौढ़ावस्था में होती हैं । एक प्रौढ़ व्यक्ति की भांति नदियों में स्थिरता तथा गंभीरता जाती है। वह बिल्कुल शांत हो जाती हैं। इस स्थान पर नदियों का पानी भी बहुत गहरा होता है। इसके बाद नदियां अपने वृद्धावस्था में पहुंचती है और अंततः सागर में समा जाती है ।नदियों की यात्रा कि यह अंतिम पड़ाव होती है। यहां नदियों के मुहाने और अधिक चौड़े हो जाते हैं। नदियों का कल- कल आवाज बिल्कुल शांत हो जाता है और अंततः अपनी यात्रा पूरी करने के बाद यह सागर में विलीन हो जाती है।
विश्व की जितनी भी सभ्यताएं हुई हैं ।सब में एक ही बात सामान्य थी कि यह नदियों के किनारे विकसित हुए । सभ्यताओं के नदियों के किनारे विकसित होने के कारण क्या थे आइए जानते हैं-
1) खेती के लिए पानी की आपूर्ति की सुविधा
2) पीने तथा दूसरे क्रियाकलापों में सुविधा
3) पशुओं को पानी पिलाने तथा तथा नहलाने की सुविधा
4) मिट्टी का उर्वर होना यातायात करने में सुविधा
लोगों ने तब तक तालाब भी बनाना सीख लिया था ,जिसका प्रमाण हमें हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में मिलता है। नदियां दो प्रकार की होती हैं -पर्वतों के बर्फ पिघल कर निकलने वाली नदियां और बारिश के पानी से निकलने वाली नदियां
पहली नंबर वाली नदियां ही दुनिया में अधिक पाई जाती हैं। नदियां मीठे जल का स्रोत होती है। बरसात के दिनों में नदियों में बाढ़ आना आम बात है, पर बाढ़ चले जाने के बाद नदियां मिट्टी की उर्वरता को बढ़ा देती है। भारत में तो नदियों की पूजा भी की जाती है। नदियां हमारे लिए बेहद उपयोगी मीठे जल का स्रोत है ।सोचिए अगर नदियां ही पूरी धरती से विलुप्त हो जाएं तो क्या होगा ? कल्पना मात्र से भी डर लगता है ना ! मीठे जल का स्रोत धीरे-धीरे घटने लगा है। मीठे पानी का स्तर अब और भी नीचे चला गया है। हमें याद रखना होगा कि मीठा जल केवल 3% ही दुनियाभर में पाया जाता है ।इसलिए इसका उपयोग भी हमें सोच समझ कर करना चाहिए। हम पानी को बगैर सोचे समझे लापरवाही से प्रयोग करते हैं। अक्सर रास्तों में कॉरपोरेशन वाले नल बहते ही रहते हैं ,तब बेहद कष्ट होता है उन लोगों के बारे में सोच कर जिन्हें मीलों का सफर तय करके एक मटका पानी मिलता है ।अभी भी भारत वर्ष में ऐसे राज्य हैं जिन्हें मीठे पानी के लिए को सोचना पड़ता है या सरकारी कॉरपोरेशन के नलों पर घंटों लाइन में लगकर पानी लाना पड़ता है। यह समस्या केवल हमारी आपकी नहीं है, पूरे भारतवर्ष की है। नदियों से हमें काफी कुछ मिला है ।नदियां बहुत से सभ्यताओं की साक्षी रही है। बहुत से महानगर नदियों के किनारे ही विकसित हो गए हैं ।भारत की प्रमुख नदियों के नाम निम्नलिखित है –गंगा, यमुना, सरस्वती, सतलुज, गोमती, हुगली, दामोदर, ताप्ती, तीस्ता पद्मा, सिंधु, ब्रम्हपुत्र, नर्मदा तथा कावेरी । आज इस लेख में आप “10 Lines on River in Hindi” पढ़ेंगे।
10 Lines on River in Hindi
- नदियों का उद्गम श्रोत पर्वत है। विश्व भर की अधिकांश नदियाँ इसी प्रकार निकली है।
- नदियाँ दो प्रकार की होती है – पर्वतों के हिम से पोषित और बर्षा द्वारा पोषित ।
- पर्वतों से बहते समय ये अपनी बाल्यावस्था में होती है। यह बहुत ही चंचल होती है तथा संकीर्ण भी।
- अपनी बाल्यावस्था में ये कल -कल की आवाज़ करते हुए झरनो के रूप में बहती है।
- अपनी युवावस्था तक आते -आते ये स्थल पर आती है और जहाँ ढलान मिलता है वहां ये बहने लगती है।
- प्रौढ़ावस्था तक आते -आते इनमे काफी ठहराव और स्थिरता आ जाती है तथा इसके मुहाने और भी चौड़े हो जाते है।
- मुख्य नदी बहुत सी शाखाओं में बँट जाती है। और भिन्न -भिन्न नामो से जानी जाती है।
- गंगा भारत कीसब से पवित्र नदी है।
- बाढ़ आने पर नदियाँ विकराल रूप धारण कर लेती है और फसलों तथा गावों का सत्यानाश कर देती है।
- बाढ़ चले जाने की बाद भूमि अधिक उपजाऊ हो जाती है।
5 Lines on River in Hindi
- नदियाँ मीठे पानी का मुख्य श्रोत है।
- विश्व में केवल 3 % पानी ही मीठा है।
- मीठे पानी का संचय हमारा दायित्व है।
- विश्व में जितनी भी सभ्यताएँ हुई है, सभी नदी किनारे हुई है।
- नदियों के किनारे बड़े- बड़े महानगर बसे हुए है।
हमें आशा है आप सभी लोगों को River in Hindi पर लिखा यह छोटा सा लेख पसंद आया होगा । आप इस लेख को 10 Lines about River in Hindi के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।
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FAQ on River in Hindi
Question- नदियाँ मीठे जल का मुख्य श्रोत है। कैसे?
Ans-हमारी धरती का 75 % भाग खारे जल से भरा है,जो हमारे किसी काम का नहीं। केवल 3% ही मीठा जल पाया जाता है ,जिसका हम प्रयोग करते है। ऊंचे पर्वत श्रृंखला पर जमे हिम से पिघलकर नदियाँ बनती है। नदियाँ हमें पीने का जल से लेकर रोज़मर्रा की सभी ज़रूरतों को पूराकरतीहै। इसलिए नदियाँ ही मीठे पानी का मुख्य श्रोत है।
Question- नदियों का विलय कहाँ होता है?
Ans-पर्वतो से निकल नदियाँ मैदानों,पठारों और समतल भूमि से निकलती है। जहाँ भी इसे ढलान मिलता है,ये बहती चली जाती है। नदियाँ केवल पानी ही नहीं धोती, बल्कि छोटे -छोटे पत्थरो के टुकड़े भी धोती है। अपनी लम्बी यात्रा पूरी होने के बाद ये सीधे समुद्र में पहुँचती है।
Question- नदियों की उपयोगिता के बारे में पाँच पंक्तियाँ लिखे।
नदियों की उपयोगिता निम्नलिखित है –
1) नदियाँ मीठे पानी का मुख्य श्रोत है।
2)विश्व की जनसँख्या को नदियाँ ही पोषित करती है।
3)नदियों में मीठे जल की मछलियों का वास होता है। इन मछलियों को खाना लाभदायक है।
4)नदियों में कई प्रकार की खेल प्रतियोगताओं का आयोजन किया जाता है।
5)नदियाँ भूमि की नमी को बरक़रार रखती है।
Question- दुनिया की सबसे बड़ी नदी कौन सी है?
Ans- दुनिया की सबसे बड़ी नदी अफ्रीका की नील नदी है,जो की विक्टोरिया झील से निकलकर भूमध्य सागर में विलय हो जाती है। इसकी लम्बाई 6650 किलोमीटर है।
Question- गंगा को हिन्दुओं का पवित्र नदी क्यों माना जाता है?
Ans- गंगा भारत की सबसे बड़ी नदी है तथा अलग अलग स्थानों में भिन्न -भिन्न नामो से जानी जाती है। ये हिमालय के गंगोत्री से निकलकर हरिद्वार, इलाहबाद, पटना, प्रयागराज, कानपूर, वाराणसी तथा अंत में पश्चिम बंगाल से होते हुए बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करती है। ऐसा माना जाता है की भगीरथ के अथक प्रयास से ये धरती पर आयी। इसकी लम्बाई 2510 किलोमीटर है। हिन्दुओं के हर पूजन में गंगा जल का प्रयोग होता है। कई जगह तो इसकी आरती भी की जाती है। इस जल की विशेषता यह है की इसमें कभी कीड़े नहीं लगते।