विश्वकर्मा पूजा हिन्दुओ का पवित्र त्यौहार है। आज हम “10 Lines on Vishwakarma Pooja in Hindi” लेकर आपके समक्ष आये है, इस आर्टिकल में आप ’विश्वकर्मा पूजा पर 10 लाइन’ में पढ़ेंगे।
Vishwakarma Pooja in Hindi
इस विश्व में देखने के लिहाज से कितने खूबसूरत इमारतें हैं। चाहे वह भारत का ताजमहल हो, कम्बोडिया का अंकोरवाट हो, या फिर मिस्त्र के पिरामिड आदि। इन सभी इमारतों की खूबसूरती के पीछे लाजवाब आर्किटेक्चर का कमाल है। आप सभी सोच कर देखो कि जिस समय प्राचीन आर्किटेक्चर या इंजीनियर्स ने इन सभी ऐतिहासिक धरोहरों की नींव रखी होगी तो उस समय उन्होंने कैसे इतनी नियोजित तरीके से काम किया होगा? यह सचमुच सोचने वाली बात है। आज के इंजिनियर भी बहुत ही शानदार तरीके से बड़े से बड़े भवनों और इमारतों का निर्माण कर सकते हैं परंतु जो बात उन प्राचीन आर्किटेक्चर्स में थी वह आज के आधुनिक इंजीनियर्स में मुमकिन नहीं हो सकती। आज हमारा देश विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। इंजीनियर्स की फौज दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हर तरफ तरक्की हो रही है। पर क्या आप सभी को यह पता है कि इस सृष्टि का सबसे पहला इंजिनियर या वास्तुकार कौन था? इस प्रश्न पर आप सभी सोच में पड़ गए होंगे। इस दुनिया के सबसे प्रथम वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा थे। विश्वकर्मा अर्थात इस समूचे विश्व के निर्माण और सृजन के देवता। विश्वकर्मा को यंत्र का देवता भी माना जाता है। कहते हैं कि व्यापार शुरू करने से पहले अगर विश्वकर्मा जी की पूजा की जाए तो व्यापार बहुत अच्छा चलता है। और नए खरीदे हुए यंत्रों को इस्तेमाल करने से पहले भी विश्वकर्मा की पूजा करने से सभी यंत्र बहुत अच्छे से काम करते है। भगवान विश्वकर्मा का निवास स्थान विश्वकर्मा लोक को मानते हैं। इनके पिता का नाम वास्तुदेव माना जाता है और इनकी माता को अंगिरसी के नाम से जाना जाता है। इनकी संतान का नाम कुछ इस प्रकार है – बृहस्मति, नल-निल,संध्या, रिद्धि, सिद्धि और चित्रांगदा। इनके अस्त्र कमंडल और पाश होते हैं। इनको विश्वकर्मा, देव शिल्पी, जगतकर्ता और शिल्पेश्वर आदि नामों से भी जाना जाता है। हमारे शास्त्रों में यह भी माना गया है कि वह बह्मा जी की सातवीं संतान है। भगवान विश्वकर्मा ने ही ब्रह्मांड के निर्माण की रूपरेखा तैयार की थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार वह विश्वकर्मा ही थे जिन्होंने इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, पांडवपुरी, कुबेरपुरी, शिवमंडलपुरी तथा सुदामापुरी आदि भवनों का निर्माण किया था। सोने की लंका की भव्यता और खूबसूरती के पीछे भी विश्वकर्मा का ही हाथ है। कहते हैं कि पौराणिक काल में लंका की चमक के आगे सभी महलों की चमक फीकी पड़ जाती थी। पुष्पक विमान का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था। विश्वकर्मा दिवस हर साल 17 सितम्बर को मनाया जाता है। यह एक तरह से हर्ष और उल्लास का दिवस है।
भगवान विश्वकर्मा पर पौराणिक कथा
हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार सृष्टि की रचना के समय भगवान विष्णु क्षीर सागर में प्रकट हुए। विष्णु जी के तेज से भगवान शिवजी पैदा हुए। विष्णु जी की ही नाभि से भगवान ब्रह्मा जी प्रकट हुए थे और फिर ब्रह्मा जी पुत्र धर्म हुए जिनके साथ पुत्र हुए, जिनमे सातवे पुत्र का नाम वास्तु रखा गया था जो की शिल्प कला से परिपूर्ण से थे जिनके विवाह के पश्चात एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी जिनका नाम “विश्वकर्मा” रखा गया। विश्वकर्मा भगवान को शिल्प कला में महारत हासिल हो गई थी इसलिए उनका नाम विश्वकर्मा रखा गया।
10 Lines on Vishwakarma Pooja in Hindi
- भारत के सभी बड़े त्यौहारों के ही तरह विश्वकर्मा दिवस को भी मनाया जाता है।
- इस दिन पर सभी मजदूर अपने औजार और मशीन की पूजा करते हैं।
- सभी यही मानते हैं कि विश्वकर्मा ने ही लंका, द्वारिका और इंद्रप्रस्थ की रचना की थी।
- इनकी माता का नाम अंगिरसी है और पिता का नाम वास्तुदेव है।
- बृहस्मति, नल-निल,संध्या, रिद्धि, सिद्धि और चित्रांगदा भगवान विश्वकर्मा की संतान है।
- विश्वकर्मा के अस्त्र कमंडल और पाश होते हैं।
- विश्वकर्मा को विश्वकर्मा, देव शिल्पी, जगतकर्ता और शिल्पेश्वर के नाम से जाना जाता है।
- इनके घर को विश्वकर्मा लोक के नाम से जाना जाता है।
- यह पर्व हर साल 17-18 सितंबर की तारीख को आता है।
- यह त्यौहार केरल, तमिलनाडू, उत्तरप्रदेश, बंगाल, बिहार, ओडिशा और असम और नेपाल जैसी जगहों पर मनाया जाता है।
5 Lines on Vishwakarma Pooja in Hindi
- यह त्यौहार कन्या संक्रांति के दिन पड़ता है।
- भगवान विश्वकर्मा को इस सृष्टि का सबसे पहला इंजिनियर माना जाता है।
- सभी कारखाने वाले अपने कारखाने मेें विश्वकर्मा की तस्वीर रखते हैं।
- कहते हैं कि भगवान विश्वकर्मा ने ही भगवान शंकर का त्रिशूल बनाया था।
- विश्वकर्मा ने भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र भी तैयार किया था।
FAQ on Vishwakarma Pooja in Hindi
Question: विश्वकर्मा पूजा का क्या महत्व है?
Answer: विश्वकर्मा दिवस को भारत के दूसरे त्यौहारों की ही तरह मनाया जाता है। यह हर साल 17-18 सितंबर को मनाया जाता है। हमारा धर्म सभी वेदों को मानता है। इन्हीं वेदों मेें से एक ऋग्वेद में विश्वकर्मा को इस धरती का पहला वास्तुकार माना जाता है। वह विश्वकर्मा ही थे जिन्होंने इन्द्रप्रस्थ, द्वारिका और लंका का निर्माण करवाया था।
Question: विश्वकर्मा पूजा करने से क्या फल मिलता है?
Answer: विश्वकर्मा को भवनों का निर्माण करने के लिए जाना जाता है। जब भगवान ब्रह्मा इस सृष्टि का निर्माण कर रहे थे तब उनको एक और जने की सहायता की जरूरत थी। उस समय विश्वकर्मा ने ब्रह्मा की संसार की इस रचना में बहुत मदद की। कहते हैं कि जो कोई भी विश्वकर्मा की अराधना करता है उसे विश्वकर्मा की जितनी शक्ति प्राप्त हो जाती है। कहने का अर्थ यह है कि इस दुनिया में जितने भी इंजिनियर या फिर शिल्पकार है उन सभी को उनके व्यापार में किसी भी प्रकार की बाधाएं नहीं आती।
Question: विश्वकर्मा की पूजा कैसे करनी चाहिए?
Answer: विश्वकर्मा दिवस हर साल 17-18 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिवस पर सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले नहाना चाहिए। नहाने के बाद साफ सुथरे कपड़े पहनकर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति को साफ स्थान पर स्थापित करना चाहिए। मूर्ति स्थापित करने के बाद धूप-दीप करके भगवान की चावल कुमकुम से पूजा करें। उसके बाद प्रसाद चढ़ाएं। प्रसाद चढ़ाने के बाद विश्वकर्मा से प्रार्थना करें कि वह व्यापार में उन्नति प्रदान करें।
Question: कौन सी संक्राति पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है?
Answer: हर साल लगभग 17 सितंबर को कन्या संक्रांति के ही दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।
Question: भगवान विष्षु और भगवान शिव के अस्त्रों का निर्माण किसने किया था?
Answer:. यह मान्यता है कि वह विश्वकर्मा ही थे जिन्होंने भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र और भोलेनाथ का त्रिशूल तैयार किया था।