क़ुतुब मीनार I Qutub Minar in Hindi
भारत का कला कौशल पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। भारत में कला और सौंदर्य के अनेक उदहारण देखने को मिलते है। क़ुतुब मीनार भारतीय कला और विज्ञान की एक अद्भुत संरचना है। भारतीय कलाकारों को इसका श्रेय देना जरूरी है क्यकि आज के निमार्ण कार्य से जुड़े लोग भी इसको देख कर इसकी तारीफ किये बिना नहीं रह पाते है। कुतुबे मीनार लाल बलुए पत्थर की बनी दुनिया की सबसे ऊँची मीनार है। भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिण भाग में स्थित महरौली में यह मीनार स्थित है।
क़ुतुब मीनार का निर्माण किसने करवाया ? – Who Built Qutub Minar
क़ुतुब मीनार का निर्माण 1193 में क़ुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा शुरु करवाया गया था।
क़ुतुब मीनार की उंचाई कितनी है ? – Qutub Minar Height
क़ुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर यानि लगभग 238 फुट है।
क़ुतुब मीनार का सम्पूर्ण इतिहास क्या है ? – Qutub Minar History in Hindi
दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने क़ुतुब मीनार अफगानिस्तान में स्थित जाम की मीनार से प्रेरित हो कर इस्लामिक शासन को पुरे भारत में फ़ैलाने की सनक के कारण भारतीय खगोल वेदशाला को नुक्सान पंहुचा कर उसका इस्लामिक रूपांतरण 1193 में शुरू किया। परन्तु अपने जीवन काल में इसका आधार ही बनवा पाया। इसके बाद तीन मंजिल का कार्य ऐबक के उत्तराधिकारी इल्तुतमिश द्वारा पूरा किया गया। 1368 में फ़िरोज़शाह तुगलक ने इस मीनार का कार्य पूर्ण करवाया। मीनार पे कुरआन की आयते देखि जा सकती है कुछ इतिहास के जानने वाले इसे फ़ारसी में लिखे शब्द मानते है।
क़ुतुब मीनार की सम्पूर्ण जानकारी I Qutub Minar Information
कुतुबे मीनार पत्थरो से बनी 5 मंजिला ईमारत है इसकी ऊंचाई 73 मीटर (238 फुट) है। इसके आधार का व्यास 14.3 मीटर है, ऊपर जाते हुए धीरे धीरे काम होता जाता है और शिखर पे जाकर 2.75 का हो जाता है। इसमें 379 सीढिया अंदर की ओर से दी गयी है, जो धरातल से शिखर तक जाती है। प्रत्येक मंजिल पे एक बालकोनी दी हुई है। प्रथम तीन मंजिले लाल बलुए पत्थर की है उसके बाद की चौथी ओर पांचवी मंजिल मार्बल ओर बलुवे पत्थर को मिलाकर बनाई गयी है। मीनार के चारों ओर एक बड़ा सा परिसर है, ओर इस परिसर में अनेक निर्माण कार्य देखे जा सकते है इस परिसर को यूनेस्को द्वारा विश्व की धरोहर माना गया है ओर संरक्षण प्रदान है।
क़ुतुब मीनार का प्रांगण की विशेषता क्या है ? – Qutb Minar Complex
क़ुतुब मीनार में एक बड़ा सा प्रांगण है जिसमे बहुत सी ऐतिहासिक धरोहर देखि जा सकती है।
- अलाई दरवाजा – क़ुवत-उल-इस्लाम मस्जिद के दक्षिणी दिशा की ओर से एक मुख्य प्रवेश द्वार है इसे अलाइ दरवाज़ा के नाम से जाना जाता है इसे 1311 में दिल्ली के दूसरे सुल्तान अला-उद-दीन खिलजी ने बनवाया था। यह लाल बलुए पत्थर औऱ सफ़ेद संगमरमर से बड़ी ही सुन्दर नाकाशियो द्वारा बनवाया गया है।
- कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद – कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद जिसका अरबी में अर्थ इस्लाम की ताकत है। कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा इस मस्जिद को 27 हिन्दू औऱ जैन मंदिरो को तोड़ कर बनाया गया था।
- लौह स्तंभ – लौह का स्तंभ धातु विज्ञान औऱ हिन्दू रसायन ज्ञान औऱ धातु ज्ञान का अद्भुत उदहारण है। यह लोहे का एक खम्बा है जो 7.21 मीटर ऊंचा और छह टन से अधिक वजन का है। इस स्तंभ को चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य (375–414 ईस्वी) द्वारा उदयगिरि में विष्णु मंदिर के परिसर के सामने विष्णु स्तंभ के रूप में लगवाने के लिए बनवाया गया थ। इसका निर्माण 402 ईस्वी के आसपास हुआ था औऱ अनंगपाल ने इसे विष्णु मंदिर जो की आज क़ुतुब मीनार के नाम से जाना जाता है उसके प्रांगण में स्थापित करवा दिया था।
- इल्तुतमिश का मकबरा – दिल्ली सल्तनत का दूसरा शासक इल्तुतमिश (1211–1236) का मकबरा भी नई दिल्ली के महरौली के क़ुतुब मीनार परिसर में है इसे 1235 ईस्वी में बनाया गया था। इसका निम्न केंद्रीय कक्ष एक 9 मीटर का है। बहुत सुन्दर नक्काशियां यहाँ देखने को मिलती है।
- इमाम जामिन का मकबरा – यह मकबरा 16वी शताब्दी का है। यह एक इस्लामिक धर्मगुरु मुहम्मद अली जिनको इमाम जमिन के नाम से जाना जाता था। इमाम जमीन सिकंदर लोदी के शासनकाल में तुर्कस्तान से भारत आया था।
- अला-उद-दीन खिलजी का मकबरा और मदरसा – मस्जिद के दक्षिण-पश्चिम परिसर के पीछे आपको एक L आकर का निर्माण देखने को मिलता है। यह अलाउद्दीन खिलजी की कब्र है। 1316 ईस्वी में इस कब्र का निर्माण किया गया था, आपको यहां एक मदरसा भी देखने को मिलता है जो खिलजी के द्वारा ही निर्मित किया गया एक इस्लामी मदरसा है। खिलजी ने दिल्ली पर 1296 से 1316 ई तक शासन किया।
- खलजी का अलाइ मीनार – खिलजी ने क्वावत उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण करने के बाद 1311 ईस्वी अलाई मीनार का निर्माण शुरू किया वो इसको क़ुतुब मीनार से भी दुगुने आकर का बना चाहता था। हालांकि 24.5 मीटर ऊंचे (80 फीट) होते होते1316 में अलाउद्दीन की मृत्यु हो गयी थी। इसके बाद किसी ने इसका प्रयत्न नहीं किया शायद इसके बाद के लोगो को समझ आ चूका था की वो इसे पूरा नहीं कर पाएंगे औऱ ये कितना कठिन कार्य है।
क़ुतुब मीनार की वास्तुकला की विशेषता क्या है ? – Qutub Minar Architecture
- मीनार शब्द अरबी भाषा के शब्द पोल या अक्ष से लिया गया है। क़ुतुब मीनार 1199 ईस्वी में दिल्ली के मुस्लिम सुल्तानों द्वारा स्थापित किया गया था।
- क़ुतुब मीनार को राजपूत वंश पर मुस्लिम अकर्मणकारियो की विजय प्राप्ति के बाद विजय स्मारक के रूप में स्थापित किया था।
- कुतुब-उद-दीन ऐबक ने इसका निर्माण 1193 में शुरू करवाया था ओर इसे पूरा होने में 28 साल का समय लगा था। कुतुब-उद-दीन ऐबक के जीवन काल में इसका पूरा निर्माण न हो सका था।
- मीनार को समय समय पर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा था, इसलिए इसको 12 वीं शताब्दी, 14 वीं शताब्दी और 19 वीं शताब्दी में समय समय में पुनिर्माण कराया गया था।
- मीनार में अरबी ओर नागरी लिपि का प्रयोग करके मीनारों पे लिखावट हुई है। मीनार को देख कर इंडो – इस्लामिक कला का दर्शन मिलता है।
- कुतुबे मीनार पत्थरो से बनी 5 मंजिला ईमारत है, इसकी ऊंचाई 73 मीटर, आधार का व्यास 14.3 मीटर ओर शिखर व्यास 2.75 मीटर का है। इसमें 379 सीढिया अंदर की ओर से गोलाकार आकर में दी गयी है। प्रत्येक मंजिल पे एक बालकोनी दी हुई है। प्रथम तीन मंजिले लाल बलुए पत्थर की है उसके बाद की चौथी ओर पांचवी मंजिल मार्बल ओर बलुवे पत्थर को मिलाकर बनाई गयी है।
- यहाँ एक मस्जिद भी है जिसकी निर्माण कला इंडो – इस्लामिक वास्तुकला से प्रेरित है। यहां एक लौह स्तंभ भी है जो 2000 साल है। लोहे से बना यह स्तंभ खुले में प्राकृती आपदाओं बारिश, तूफ़ान, गर्मी औऱ सर्दी सब को झेलते हुए आज भी बिना किसी छति के यहां देखा जा सकता है।
क़ुतुब मीनार की पूर्ण सच्चाई ? – Qutub Minar Facts
भारत के बहुत से प्राचीन इतिहासकारो का मानना है की क़ुतुब मीनार का निर्माण अंतिम भारतीय हिन्दू राजाओ तोमर ओर चौहान की राजधानी ढिल्लिका में हुआ था। दिल्ली शहर ही ही ढिल्लिका के नाम से जानी जाती थी, ओर क़ुतुब मीनार ढिल्लिका के प्राचीन किले लालकोट के अवशेषों पे बना है। क़ुतुब मीनार का प्राचीन काल में विष्णु स्तंभ कहा जाता था जिसे हिन्दू सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों ओर खगोलशास्त्री वराहमिहिर की अध्यक्षता में बनवाया गया था।
वराहमिहिर के नाम पे ही इस जगह को मिहिर – अवेली कहा जाता था जो की एक संस्कृत का शब्द है। आज मिहिर – अवेली शब्द ही समय के साथ बदलते बदलते महरौली कहा जाने लगा। क़ुतुब मीनार दिल्ली के महरौली में ही स्थित है।
प्राचीन काल में विष्णु स्तंभ या क़ुतुब मीनार का प्रयोग खगोलीय घटनाओ को जानने के लिए किया करते थे। इसका पूर्ण आकर एक कमल के पुष्प की तरह था। 24 अंक दिन के 24 घंटो की समय गणना में सहायता करती थी। मीनार के चारों ओर हिन्दू मान्यताओं के अनुसार 27 नक्षत्रों ओर तारामंडलों के लिए मंडप या इमारतें बनवायी गयी थीं।
विष्णु स्तंभ के सात तल थे जो पुरे सप्ताह को दर्शाते थे। स्तंभ या मीनार के छठवें स्तंभ को गिरा दिया गया था और समीप के मैदान पर फिर से खड़ा कर दिया गया था। स्तंभ के सातवें तल पर चार मुख वाले ब्रह्मा जी की मूर्ति थी जो हाथों में चारों वेद लिए हुए थे। ब्रह्मा जी की मूर्ति के ऊपर छत्र बनाया हुआ था जिसमें सोने के घंटे की आकृति बनायीं गयी थी।
मीनार के मध्य में विष्णु जी की एक बड़ी सी मूर्ति मंदिर में स्थित थी जो की सोने ओर दुर्लभ रत्नो से जड़ी हुई थी। विष्णु स्तंभ के प्रांगण में आज का लौह स्तंभ गरुड़ स्तंभ या गरुड़ ध्वज के नाम से जाना जाता था। ये इस विष्णु मंदिर को समर्पित आदि अनादि काल तक सनतक धर्म के जीवित रहने का सूचक माना जाता था इसमें आज तक जंग नहीं लगी है ओर यह आज भी अपने स्थान पे स्थित खड़ा है। इस स्तंभ का एक ओर कार्य था इस पर सूर्य या चंद्र की छाया से बने आकृति से खगोलशास्तियो को नक्षत्र, खगोलीय ओर दैनिक मुहूर्त जैसी अलौकिक ओर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल होती थी। आज जिसे हम लौह स्तंभ बोलते है, उस लोहे के खंभे आप चाहे तो ब्राह्मी लिपि में संस्कृत में लिखा हुआ लेख पढ़ सकते है जिसमे स्प्रष्ट शब्दों में लिखा है की विष्णु स्तंभ का निर्माण विष्णुपाद गिरी नामक पहाड़ी पर हुआ था।
इस्लाम के मानने वाले शासको को इस मंदिर के ज्ञान से अधिक इस मंदिर में लगे सोने, चांदी ओर हिरे जवाहरात की ही समझ थी वो इसलिए क्युकी वो इन सभी ज्ञान को समझने में सक्षम नहीं थे। इस मंदिर को लूटने के लिए ओर हिन्दू देवी देवता से घृणा के कारण उन्होंने इसे पूरी तरह से लूटा ओर बहुत अधिक छति पहुचायी।
क़ुतुब मीनार तक कैसे पहुंचे – How To Reach Qutub Minar In Hindi
आप यहां मेट्रो, बस या टेक्सी के द्वारा बड़ी आसानी से पहुंच सकते है।
- मेट्रो स्टेशन : सबसे पास का मेट्रो स्टेशन क़ुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन है जो की पिली लाइन पे आपको मिलेगा। क़ुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन से क़ुतुब मीनार की दुरी 1। 9 किलोमीटर की है।
- एयरपोर्ट : सबसे नजदीक इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहाँ से क़ुतुब मीनार की दुरी टेक्सी से12.4 किलोमीटर की है जो आप 30 मिनट में पूरी कर सटे है।
- टेक्सी ओर बस : आप दिल्ली में टेक्सी या बस के द्वारा भी यहाँ आसानी से भुच सकते है।
क़ुतुब मीनार कहा स्थित है ? – Where is Qutub Minar Situated
क़ुतुब मीनार दिल्ली के महरौली नामक स्थान पे स्थित है।
क़ुतुब मीनार देखने का समय क्या है ? – Qutub Minar Timing
क़ुतुब मीनार देखने का समय सुबह 6:30 से लेकर शाम को 6:30 बजे तक है।
क़ुतुब मीनार की प्रवेश शुल्क कितने की है ? – Qutub Minar Ticket
क़ुतुब मीनार का प्रवेश शुल्क
- 10 रु. (भारतीय),
- 250 रु. (विदेशी)
क़ुतुब मीनार किस दिन बंद रहता है ? Qutub Minar Closing Day
क़ुतुब मीनार आप किसी भी दिन देखने जा सकते है यह प्रतिदिन खुला रहता है।