धनतेरस का त्यौहार हिन्दुओ के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। आज इस लेख में हम dhanteras essay in hindi लेकर आये है। स्कूलों में कॉलेज में अक्सर essay on dhanteras in hindi पुछा जाता है। धनतेरस पे निबंध हिंदी में आप इस पोस्ट में पढ़ेंगे।
भारतीय संस्कृति के अनुसार धनतेरस हिन्दुओ का प्रमुख त्योहार है। धनतेरस को मुख्य रूप से धन्य तेरस व ध्यान तेरस भी बोला जाता है। यह त्योहार पर समस्त हिन्दू कुबेर पूजन, यम पूजन व देव धन्वंतरि की पूजन करते है।यह त्योहार दीपावली के दो दिन पहले कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन की मान्यता सर्वव्यापी है। उमंग और उल्लास के साथ ये त्योहार हर व्यक्ति प्रसन्नता से मानता है।
प्रस्तावना- ये त्योहार न केवल खुशी का प्रतीक है। बल्कि ये स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। धनतेरस के दिन समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि जो कि विष्णु के प्रतीक है, वह अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।उन्होंने अमृत औषधियो की खोज की, और चिकित्सा देवता भी कहलाये। धन्वंतरि भगवान के नाम से इस तिथि को धन त्रियोदशी कहते है।
धनतेरस पर्व के साथ-साथ स्वास्थ्य के प्रति समर्पित दिन भी है। जो हमे हर वर्ष अपने स्वस्थ के प्रति सजग रहने को ज्ञात कराता है। धनतेरस को कुछ लोग धन से भी जोड़ते है। भारतवासी आज के दिन भगवान कुबेर की भी विशाल पूजा व अर्चना करते है। भारत मे जैन आगम में भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिए चले गए थे। योग निरोध करते हुए तीन दिन के ध्यान के बाद योद निरोध को प्राप्त हुए। इसी वजह से जैन धर्म के समस्त जन धनतेरस को ध्यान तेरस कह कर भी संबोधित करते है। धनतेरस से दीपावली पर्व का विशाल शुभ आरम्भ माना जाता है। परिवार में अपना पन हर्ष उल्लास का माहोल बनता है।धनतेरस के दिन, धनतेरस के साथ दीपावली का दिन नज़दीक आने की भी प्रसन्नता रहती है।
मनाने के तरीके और उनके महत्व- जैसे हर त्योहार का अपना आनंद होता है वैसे ही, धनतेरस के आंनद की ख्याति सभी जगह पर रहती है। इस त्योहार को लोग अलग अलग तरीके से मनाते है। और प्रत्येक तरीकों का अपना अपना महत्व है। धनतेरस भारत के हर प्रदेश में मनाया जाता है। मायानगरी मुम्बई हो या पिंक सिटी जयपुर, मध्यप्रदेश हो या गुजरात, दिल्ली हो या बेंगलुरु। सभी जगह समान उत्साह से ये त्योहार मनाया जाता है।
लोग अपने घरों की सफाई, पुताई करके अपने घरों को सजाते है। घरों के रज़ाई गद्दे, चादरे, पर्दे बदले जाते है। घरों में चमकती धमकती बिजली की लड़ियाँ लगाई जाती हैं। घरों के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है। खरीदी का उत्तम अवसर जान लोग आज विभिन्न वस्तुओं की ख़रीददारी करते है। कपड़े, आभूषण, तोहफ़े, मिठाइयां, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आदि खरीदते है।
परंतु आज के दिन कुछ वस्तुओं को खरीदने का विशेष महत्व है। आज के दिन लोग चांदी के और पीतल के बने बर्तनों को खरीदते है। कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के समय अपने चतुर्भुज स्वपरूप में एक हाथ मे अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसे जानते हुए लोग बर्तन खरीदने में विशेष रुचि रखते है। आज के दिन जो भी खरीदते है और उसकी पूजन करते है उस वस्तु व धन में 13 गुणा वृद्धि होती है। आज के दिन चांदी के सिक्के खरीदना लोकप्रिय है। चांदी के सिक्के भी ज़्यादातर लोग लक्ष्मी गणेश अंकित ही खरीदते है। ऐसा माना जाता है कि चांदी के बर्तन व सिक्के खरीदने से चंद्र की तरह शीतलता प्राप्त होती है। और पीतल के बर्तन से धन की प्राप्ति होती है।
जैसे जैसे शाम का अंधेरा होता है दीपकों से नगर जगमगा उठते है। शाम को घर के स्त्री-पुरुष, वृद्ध व बच्चे सभी नई पौशाख धारण कर तैयार होते है। धन्वंतरि भगवान के साथ कुबेर भगवान की भी पूजा करते है। कई जगह लोग यमराज की और भगवान महावीर की भी पूजन करते है। भगवान धन्वंतरि से लोग अच्छे स्वास्थ्य की और संतोष की कामना करते है। सबसे बड़ा धन संतोष और स्वास्थ्य है ये जान लोग स्वास्थ्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा कर संतोष के साथ अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते है। कुबेर की पूजा से धन में वृद्धि होती है ये जान कर लोग कुबेर भगवान से समृद्धि और धन की कामना करते है। पूजा के बाद मिठाईयां आदि बांटी जाती है। सब बालक बड़ो के चरण छूकर लंबी आयु का आशीर्वाद पाते है। फिर सब मिलकर फटाके जलाते है और आतिशबाजियों के प्रदर्शन से नगर जगमगा उठता है। वाहनों और तिजोरियों की पूजा कर लोग उस पर स्वस्तिक भी बनाते है।
सभी के सुंदर मुख पर आरती के बाद तिलक का तेज नज़र आता है। पकवानों को बना के भोग लगाया जाता है। फिर गरीबों को दान कर सभी आपस मे बांट कर स्वयं ग्रहण करते है। गौ पूजा का महत्व आज के दिन विशेष मन जाता है। गौ माता को सजाकर, उनकी पूजा कर उन्हें अन्न की थाल दी जाती है।
धनतेरस पर दीप जलाने का महत्व-
यह दिन दीपकों के महत्व को जाने बिना अधूरा है। और दीपकों और यम के मध्य के संबंध को जाने बिना अपूर्ण है। पर यम का दीपकों से क्या सम्बंध है? और दीपमाला क्यों बनाई जाती है इसका पुराणिक कथाओं में विश्लेषण है।
विगत वर्ष पहले एक हेम नाम के राजा थे। उनके राज्य के उत्तराधिकारी के रूप में एक बालक का जन्म हुआ। राजा बेहद प्रसन्न मन से अपने पुत्र की कुंडली दिखाने ज्योतिषी के पास गए। परंतु ज्योतिषि की कही बात से राजा के मुख पर उदासी छा गयी। ज्योतिषी ने कहा कि आपके बालक का जब भी विवाह होगा उसके ठीक चार दिन बाद आपके पुत्र की मृत्यु हो जाएगी। राजा की चिंता अपने पुत्र को लेकर बढ़ती जा रही थी।तब राजा ने अपने पुत्र को ऐसी जगह पहुंचा दिया जहा कोई स्त्री दूर दूर तक नही थी। पर विधि विधान से बचना किसी व्यक्ति के वश में नही है।देवयोग से एक राजकुमारी वहां से गुजरी और दोनों एक दूसरे पर मोहित हो गये। दोनो ने गन्धर्व विवाह कर लिया। विवाह के उपरांत ज्योतिष ने जैसा कहा था वैसे ही हुआ। विवाह के ठीक चार दिन बाद यमदूत राजकुमार को लेने आ पहुंचे। नव विवाहित महिला ने रोकर बहुत विलाप किया।यमदूत भी स्त्री के विलाप को देख पीड़ित हुए। पर यमराज के आदेश अनुसार राजकुमार के प्राण हर लिए गए। बाद में इस घटना को देख एक यमदूत ने यमराज से कहा की है प्रभु कोई मार्ग बताए जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाये। तब यमराज ने कहा कि अकाल मृत्यु कर्म की गति है। उससे मुक्त होने का तरीका मैं बताता हूं। जो प्राणी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी की रात मेरे नाम से पूजन कर दीपमाला दक्षिण दिशा की और भेंट करता है। उसे अकाल मृत्यु का भय नही होता। इसीलिए धनतेरस के दिन लोग यम पूजा करके दीपमाला दक्षिण दिशा की और भेंट करते है। हर व्यक्ति की मृत्यु निशित है पर अकाल मृत्यु को दूर करने के लिए लोग धनतेरस पर यम पूजन करते है।
धनतेरस की शाम हर जगह दीप नज़र आते है। पुराणों की कथा को जान लोग दीप जलाने की परम्पर निभाते आये है।
विदेश में भी धनतेरस मनाई जाती है। भारत के अलावा अन्य देश के हिन्दू भी धनतेरस को धूम धाम से मनाते है। नेपाल भूटान जैसे देश मे उत्साहजनक धनतेरस मनाई जाती है। भारत वासी जो अन्य किसी देश मे रहते है वे भी धनतेरस के दिन अपने परिजनों को शुभकामनाएं देते है। और दीप जला कर नैवेध का भोग लगते है। यम पूजा कुबेर पूजा धन्वंतरि देवता की पूजा भी करते है। वहाँ पर आज के दिन गौ पूजा का भी रिवाज है। भारतीय संस्कृति का ये त्योहार हर जगह खुशी की उमंग, बड़ो के प्रति सम्मान, छोटो के प्रति प्रेम को भी दर्शाता है। विदेश में भारत के ये त्योहार देख विदेशी भारत की तरफ आकर्षित होते है। आध्यात्म की भावना का सम्मान करते है।
उपसंहार- धनतेरस का दिन हर आयु के व्यक्ति के लिए उत्तम है। इसका महत्व भगवान धन्वंतरि, महावीर और यम के अलावा चिकित्सा और स्वास्थ्य से भी है। आज के दिन को लोग शुभ हर तरह से मानते है। खरीददारी के लिए भी और व्यापारी के लिए भी। लोग उद्योग को शुरू करते है। जिससे उनके उद्योग में वृद्धि आये। योग करते है जिससे उनके शरीर भी हाष्ट पुष्ट और तंदरुस्त रहे। ये त्योहार लोगो मे हमेशा ऊर्जा और विकास लाता है। सिर्फ पूजा और आध्यात्मिक क्षेत्र में नही ये दिन हमे हर क्षेत्र में अपनी उत्तम प्रस्तुति देने को भी प्ररित करता है। जिससे इंसान आलस्य को त्याग योग और मौज से त्योहार को मनाये।
जो देता है परिवार में वजह खुशी की,
सबको शुभकामनाएं धनतेरस तिथि की।
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