जवाहर लाल नेहरू जिन्हे चाचा नेहरू कहकर देश के बच्चे पुकारते आये है। आज इस लेख में हम jawaharlal nehru essay in hindi लेकर आये है। स्कूलों में कॉलेज में अक्सर jawaharlal nehru essay पुछा जाता है। भारत में नेहरू जी के विचार या उनके जीवन से सिखने को बहुत कुछ मिलता है। लोगो को about jawaharlal nehru in hindi में एक संक्षिप्त झलक देने की कोशिश जा रही है।
जवाहर लाल नेहरू जिन्हें प्यार से बच्चे चाचा नेहरू बुलाते थे। आज़ादी की लड़ाई के प्रमुख नायकों में से एक थे जवाहरलाल नेहरू। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री थे। वे प्रधान मंत्री होने के साथ कुशल राजनीतिक मस्तिष्क के थे। जवाहर लाल नेहरू भारत के आधुनिक युग के निर्माता व शिल्पकार कहलाते है। स्वतंत्रता सेनानी जवाहरलाल नेहरू ने भारत के निर्माण की नींव रखी। उन्हें प्रखर वक्ता कहने में भी कोई संकोच नही। होनहार लेखक भी माने जाते है नेहरू जी। एक व्यक्ति में इतनी विशेषताएं होना आम बात नही। वे संभव ही भारत निर्माण के लिए जन्में एक महापुरुष है। वे ऐसे दिव्यपुरुष है जिनकी कीर्ति आज भी समूचे भारत मे राजनेता, प्रधान मंत्री, प्रखर व्यक्ता व लेखक के रूप में होती है।
प्रस्तावना- जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में इलाहबाद में हुआ। उनका जन्म दिन हर वर्ष बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।ऐसा कहा जाता है कि नेहरू जी को बच्चों से विशेष प्रेम था। उन्हें बच्चों के आस पास रहने में बड़ा आनंद आता था।वे बच्चों के लिए हमेशा चॉकलेट उपहार आदि लाते थे। वे बच्चों में इतने घूल मिल जाते थे कि बच्चे उनके आने की खबर से भी खुश हो जाया करते थे।बच्चे बड़े ही प्यार से उन्हें चाचा नेहरू- चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। बच्चों के प्रति प्रेमी स्वभाव की वजह से ही उनके जन्म दिवस को हर वर्ष पूरे भारत देश के लोग बाल दिवस के रूप में मनाते है।नेहरू जी के बारे में बताते लोग आज भी थकते नही है आखिर देश के प्रथम प्रधान मंत्री होने के साथ वे सरल विचार सरल स्वभाव के व्यक्ति थे।उनकी छवि आज भी लोगो को बखूबी याद है।
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नेहरू जी का बचपन व पढ़ाई काल- नेहरू जी के जीवन के प्रथम 15 वर्ष इलाहबाद में बीते। 15 वर्ष तक उन्होंने घर मे ही शिक्षा ग्रहण की। उनके पिता मोतीलाल वकील थे। वे चाहते थे कि नेहरू बड़े से बड़े विद्यालय व विश्वविद्यालय में पढ़े। इसीलिए उन्हें 15 वर्ष की आयु में इंग्लैंड के लिए रवाना कर दिया।वहां वे हर्रो में पढ़े।इसके बाद अपने पिता की तरह वकील बनने के लिए वह लंदन गए। वहां कैंब्रिज में ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने लॉ की पढ़ाई पूरी की।इंग्लैंड में वह अपनी युवा अवस्था मे रहे। वहां रहकर उन्होंने बहुत कुछ सीखा। 7 साल इंग्लैंड में रहकर उन्होंने तर्कसंगत दृष्टिकोण समाज के प्रति विकसित किया। वहां पढ़ाई के साथ उन्होंने समाज के प्रति भी ध्यान दिया। वहां के रहन-सहन को समझा। समाज की क्रिया व कार्य प्रणाली का अध्ययन किया।इसके बाद वह1912 में भारत देश वापिस लौट आये।
नेहरू जी का स्वतंत्रता में योगदान- 1912 में नेहरू जी के भारत लौटने के बाद नेहरू जी भारतवासी पर हो रहे अत्याचारों, कुरीतियों को देख विचलित थे।अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ हर कोई आवाज उठाना चाहता था। लोग आज़ादी की मांग कर रहे थे। सभी अंग्रेज़ो द्वारा अत्यधिक कर वसूली, भ्रमित कानून से और अत्याचारों से परेशान थे। अंग्रेज़ी शासन में लोग नस्ल रंग आदि भेद भाव के भी शिकार हुए। इन सब के बीच कोई धीरे धीरे लोगो मे अंग्रेजों के खिलाफ अत्याचारों से लड़ने की चिंगारी जला रहा था। वो थे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। नेहरू जी की दृष्टि स्वतंत्रता संग्राम की और पड़ी। जो गतिविधियां गांधीजी द्वारा चल रही थी उसपर नेहरू जी ने समर्थन जताया।गांधी जी के साथ नेहरू जी भी स्वतंत्रता की जंग का महत्वपूर्ण हिस्सा बने।वे गांधी जी से प्ररित थे। वे गांधी जी के बताए हुए मार्ग पर बखूबी चलते थे। गांधी जी उन्हें प्रोत्साहित करते थे।नेहरू जी गांधी जी की हर बात पर सहमत थे। वे उनके काम करने के तरीके से बड़े प्रभावित हुए थे।गांधीजी और नेहरू जी परम मित्र भी थे। 1916 में नेहरू जी का विवाह कमला नेहरू से हुआ। 1919 में नेहरू जी ने गांधीजी के साथ रॉलेट एक्ट के खिलाफ अभियान शुरू किया। नेहरू जी इस अभियान का शांति पूर्ण हिस्सा बने। रॉलेट एक्ट में अंग्रेजों द्वारा किसी भी भारतीय पर बिना मुकदमा चलाये जेल में बंद किया जा सकता था। जिसका खिलाफ गांधी जी ने असहयोग आंदोलन चलाया। देशवासियों को अंग्रेज़ी कपड़े व वस्तुओं का त्याग कर शांतिपूर्ण आंदोलन करने को कहा।नेहरू जी ने भी तब पश्चिमी वस्तुओ का त्याग कर खादी के कपड़े व टोपी धारण की।
इन्ही आंदोलनों के चलते1920-1922 में नेहरू जी जेल भी गए।1929 में कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस के मुखिया के रूप में चुने गए।नेहरू जी के कार्य रूपांतरण से सभी प्रभावित होते थे। उनके कार्य कौशल की सराहना उन्नीसवीं सदी से चली आ रही है। जब लोग अत्याचारों के खिलाफ आवाज तक उठाना नही जानते थे तब नेहरूजी ने अत्याचारों के खिलाफ कदम उठाए। उनकी निपुणता हर क्षेत्र में है। वे जिस क्षेत्र में कदम रखते थे वहां से सफल होकर और अपने कार्य की छाप छोड़ कर ही दम लेते थे। उनके जैसे महानुभवि नेता देश के गौरव थे। देश मे स्वराज की मांग एक या दो जन नही समूचे देश वासी कर रहे थे। उस वक़्त नेहरू जी ने 26 जनवरी को स्वराज की मांग करते हुए रावी नदी पर तिरंगा झंडा लहराया।देश चाहता था कि 26 जनवरी को हमे आज़ादी मिले पर , अनिश्चित दिन आजादी मिलने के बाद हमने अपना संविधान 26 जनवरी को ही लागू किया। स्वराज की मांग से बेशक नेहरू जी ने 26 जनवरी जो तिरंगा रावी नदी पर लहराया पर शायद विधि के विधान ने हमारे स्वतंत्र होने की तारीख पहले ही तय करली थी।
1942 में नेहरू जी और गांधीजी ने भारत छोड़ो का नारा उठाया, जो कि अंग्रेजों को रास नही आया। इसके चलते नेहरू जी को जेल भी जाना पड़ा। परंतु गांधी और नेहरू के विचार लोगो के हृदय में ज्वाला बन निकल रहे थे। बड़े बड़े शहर, गांव आदि के लोग इकठ्ठे हुए। गांधीजी, नेहरू जी ने मिलकर भारत छोड़ो आंदोलन की पहल की और अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की दास्तान की जंजीरों से हमेशा के लिए मुक्त हुआ। प्रखर वक्ता, आधुनिक सोच, और राष्ट्र हित चाहने वाले जवाहर लाल नेहरू जी स्वतंत्र भारत देश के सर्वप्रथम प्रधानमंत्री बने।
नेहरू जी के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य- स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होने के कारण उन्हें कई चुनितियों का सामना करना पड़ा। जहां अन्य देश आधुनिकता, शिक्षा और आर्थिक रूप से शिखर पर पहुँच रहे थे, वहां भारत का स्थान उस क्षेत्र में बनाना बेहद मुश्किल था। भारत को ऊंचाइयों पर पहुचाने की पहल नेहरू जी ने शुरू की। नेहरू जी समृद्ध, कुशल व शिक्षित थे। उन्होंने अन्य देश मे रहकर बहुत कुछ सीखा था। इंग्लैंड से उन्होंने समाजवाद व राष्ट्रवाद के लिए तर्कसंगत दृष्टिकोण हासिल किया। नहरु जी ने भारत का आधुनिकरण करने का विचार बनाया। भारत को आधुनिक रूप देना नेहरू जी के प्रखर नेतृत्व को दर्शाता है। उन्होंने अपनी दूर दृष्टि से भारत को एक आधुनिक देश के रूप में देखा। उन्होंने भारत को नई पहचान देने की ठान ली। विकास कार्य किये, जिसमे बच्चे, बुज़ुर्ग, समाज के हर व्यक्ति के लिए संतोषजनक कार्य किये। आधुनिक भारत बनाने के लिए उन्होंने देश के युवाओं को प्ररित किया। नेहरू जी ने युवाओं को मेहनत करने के लिए जागरूक किया। समस्त देश के युवाओं को महत्वपूर्ण और जीवन परिवर्तन करने वाला नारा दिया ” आराम हराम है ” मेहनत करो मेहनत का फल मीठा होता है। युवाओं में इस्फुर्ति लाने के अथक प्रयास किये। जिससे देश धीरे धीरे ऊंचाइयों की तरफ बढ़ने लगा। जब कोई भी देश को ऊंचाइयों पर पहुचाने की बात आती है तो सबसे पहली महत्वपूर्ण दिशा सिर्फ शिक्षा होती है। नेहरू जी ये बात बखूबी जानते थे। उन्होंने शिक्षा की पहल भारत मे की, आई-आई-टी और मेडिकल कॉलेज खोले। धीरे धीरे ऐम्स, आईआईएम जैसे प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान खोले। देश को शिक्षा की दिशा, आधुनिकरण का मार्ग , विकास के प्रति कुशल बनाया।
उपसंहार- जवाहरलाल नेहरू जी ने कहा था कि वे प्रधान मंत्री नही प्रधान सेवक है। देश के हर नागरिक की सेवा करना उनका कर्तव्य है, ना कि गद्दी पर बैठ बस देश को गतिहीन होते देखना। आज तक हर प्रधान मंत्री नेहरू जी की तरह बनना चाहता है। आज भी लोग उनके राजनीतिक तरीकों को पढ़ते और उसपर अमल करने का प्रयत्न करते है। अपने आप को देश के प्रधान सेवक मानने वाले कोमल हृदय वाले नेहरू जी की मृत्यु 1964 में 27 मई को दिल का दोहरा पड़ने से हुई। देश ने नेहरू जी के शरीर को खो दिया लेकिन आज भी देश उन्ही के बताए मार्ग पर कार्य करने के अटूट प्रयास कर रहा है। नेहरूजी से युवा आज भी प्रेरणा लेते है, उनकी लिखी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया को पढ़ कर नेहरू जी के मस्तिष्क को पढ़ने की कोशिश करते है। उनके एक एक शब्द प्रभावी होते है। देश को आधुनिक बनाने वाले नेहरू जी को हर वर्ष 14 नवंबर को याद किया जाता है। उनकी खुशी स्वरूप उनका जन्म दिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
नेहरू जी देश के गौरव, प्रमुख नायक व हमारे आधुनिक जीवन के दाता है।
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