Air Pollution Essay in Hindi। वायु प्रदुषण पर निबंध

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वायु जो प्रकृति की एक ऐसी देन है जो प्रत्येक प्राणी के जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। हम प्राण वायु अर्थार्त आक्सीजन के बिना जीने की कामना भी नहीं कर सकते है। परन्तु प्रकृति द्वारा दिए गए शुद्ध वायु को आज मनुष्य अपने निजी स्वार्थ या आधुनिकरण के नाम पे दूषित करता जा रहा है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में air pollution essay in hindi ले कर आये है । वायु प्रदुषण पर निबंध को आप स्कूल और कॉलेज में इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on air pollution in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।

वायु प्रदूषण देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। यह समस्या केवल देश की ही नही बल्कि पूरी दुनिया की है। इस समस्या ने लोगों को झंझोड़ कर रख दिया। इससे जुड़े मौत के आंकड़े डराने वाले है। वास्तव में वायु हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इसे अच्छा रखना हमारा धर्म होना चाहिए। पर्यावरण को स्वच्छ रखने में कोई खास मेहनत नही लगती। हम कुछ ही बातों को ध्यान में रख कर भी पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते है। इसके विपरीत हम अपने आस पास के वातावण को अशुद्ध पर अशुद्ध करते जा रहे है। जिसके कारण हमारी वायु पर विशेष दुष्प्रभाव होता है। वायु की गुणवत्ता अत्यधिक खराब हो जाती है। वायु प्रदूषण को समझना बेहद आसान कार्य है। क्योंकि अन्य किसी भी जीव में चाहे वह जानवर हो या मनुष्य, हम मनुष्य ही अपने पर्यावरण के करीब होने के साथ इसे अच्छा रखने का प्रयास कर सकते है। हम ही अपने पर्यावरण को लेकर चिंतित हो सकते है। केवल मनुष्य ही पर्यावरण के सुधार में विशेष से भी विशेष योगदान दे सकता है। 

प्रस्तावनावायु हमारे पर्यावरण का सबसे अनमोल हिस्सा है। साथ ही वायु हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आधार साधन है। वायु हम मनुष्य के साथ साथ अन्य जीव जंतुओं के लिए भी आवश्यक है। बिना वायु के हम मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते। हमारे जीने के लिए या जिंदा रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला आधार है वायु। जानवर का भी वायु पर उतना ही हक है जितना कि मनुष्य का। और वायु प्रदूषण की वजह से नाजाने कितनी ऐसी प्रजातियां है जो विलुप्त हो जाती है। जिनका कोई नामोनिशान तक नही मिलता। वायु अवशोषित पदार्थो से दूषित होती है। जिसका भुकतान धरती पर रह रहे हर एक जीव को करना होता है। वायु को दूषित करने में चाहे सिर्फ मनुष्य का हाथ क्यों हो पर इसका भुकतान मनुष्य के साथ धरती पर रह रहे सभी जानवरों पेड़पौधो को करना पड़ता है। हमारी वायु को प्रदूषित कर हम अपना ही जीवन संकट में डालते है। दूषित वायु को सांस के रूप में जब हम अंदर लेते है तब वह हमें विकराल रूप से कष्ट पहुचा सकती है। वायु प्रदूषण ने नगर में, गाँव मे, शहर में, देश मे पूरी दुनिया के कई स्थानों में हाहाकार मचा रखा है। जब वायु की गुणवत्ता कम हो जाती है, और उसमे अवशोषित पदार्थो की मात्रा बढ़ जाती है। तब उसे हम वायु प्रदूषण कहते है। जिसके कारण हम सभी के जीवन पर गहरा असर पड़ता है।

वायु प्रदूषण की वजह हैरानी की बात यह है कि वायु प्रदूषण के ज़िम्मेदार कोई और नही हम मनुष्य ही है। हमने अपनी आधुनिक सुविधाओं के लिए अपने ही पर्यावरण को नुकसान पहुचाया। और अपनी ही वायु को दूषित किया। यह बात कही ना कही हम सब जानते है कि इसके ज़िम्मेदार हम स्वयं है। किस तरह से हमने वायु को नुकसान पहुंचाया यह हम अब जानने वाले है। लेकिन यह पढ़ने से पहले शायद अब हमे अपने आप से यह वादा कर लेना चाहिए कि ये वजहों को जानने के बाद हम हमारी गलतियों को अवश्य सुधारेंगे। और वायु की गुणवत्ता की रक्षा में अपनी भूमिका अवश्य अदा करेंगे। 

 वाहनों औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुंआवायु को सबसे ज़्यादा प्रभाव वायु को सबसे ज़्यादा नुकसान वाहनों से निकलने वाले धुंए से होता है। रोज़ाना सड़कों पर दिन रात हज़ारों करोड़ो वाहन चलते है। जिनसे निकलने वाला धुंआ हमारी वायु की गुणवत्ता पर गहरा असर डालता है। वायु की गुणवत्ता को कम करता है। हर देश में, हर शहर में, हर नगर में, हर गांव में, हमे इसका अलग अलग असर देखने को मिलता है। कही पर प्रदूषण कम तो कही पर अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है। हाल ही में एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि दुनिया के  30 में से 21 शहर भारत के प्रदूषण में आगे है। हम सभी ने गाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश का नाम सुना ही होगा। आईक्यू एयर विजुअल द्वारा रिपोर्ट में गाज़ियाबाद दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर पाया गया। 30 में से 21 शहर भारत के सबसे प्रदूषित पाए गए जिसमे भारत की राजधानी दिल्ली भी शामिल है। बढ़ती हुई औद्योगिक इकाइयों का भी वायु पर गंभीर असर पड़ा है। फैक्ट्री से निकलने वाला धुंआ प्रदूषण में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी की वजह साबित हो रहा है।

पेड़ पौधे जलाना कांटनाभारत देश की पहचान हरीतिमा से है। भारत का स्वाभिमान ये भूमि के हरे भरे होने से है।साथ ही यह पेड़ पौधे हमे शुद्ध हवा प्रदान करते है। वह वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को लेते है और हमे ऑक्सीजन देता है। हमारे जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण ऑक्सीजन है जो हमे पेड़ पौधों से मिलती है। यह पेड़ पौधे हमारे पर्यावरण से अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को लेकर वातावरण में गैस का संतुलन सुनिश्चित करते है। बदले में हम हमारी ही रक्षा करने वाले पेड़ो को अपने मतलब के लिए कांट देते है। हमें आधुनिकता की सीडी चढ़ने की इतनी जल्दबाज़ी होती है कि हम जाने अनजाने पौधों को कांट देते है या जला देते है। अधिक कार्बन डाइऑक्साइड के होने से प्रदूषण भी अधिक होता है। हमारे वातावरण में पेड़ पौधों के होने से हमें स्वच्छ वायु मिलती है। पर हम दिन प्रतिदिन पेड़ो को कांटते जा रहे है। जब पर्यावरण में हरियाली कम वायु की गुणवत्ता कम करने वाली गतिविधियां अधिक होंगी तब वायु प्रदूषण भी अधिक होगा। 

पराली जलानापराली किसानो द्वारा जलाई जाती है। जब एक फसल के उगने के बाद और उसमें से अनाज निकालने के बाद  दूसरी फसल बौने के लिए किसान जब खेती की जमीन को साफ करने के लिए अनावश्यक पदार्थों को जलाते है। उसे पराली जलाना कहते है। जिसके कारण वायु की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ता है। कुछ लोगो का मानना है कि इसमें किसानों की गलती है। परंतु तकनीकों की कमी की वजह से अनाज बौने का मौसम निकलने की जल्दबाजी की वजह से उन्हें पराली को जलाना ही पड़ता है। सरकार ने इसके लिए कई सारे नियम भी बनाये थे। परंतु किसान के पास समय कम होने की वजह से उन्हें पराली जलानी पढ़ी। पराली जलाने के कारण भी प्रदूषण बढ़ता है। हाली में दिल्ली में पराली जलाने की वजह से काफी प्रदूषण बढ़ा था। जिसे लेकर सरकार ने काम भी किया। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज लोकुर एनसीसी कैंडिडेट ने मिलकर इसके लिए काम किया।

इसी प्रकार की वजाहों के कारण हमारे देश से   दुनिया से वायु प्रदूषण कम खत्म नही होता। एक ताजा खबर में यह भी सामने आया था कि वायु प्रदूषण से 16 लाख लोगों की मृत्य पूरी दुनिया मे हुई। यह आज के दशक में अकाल मौत के प्रमुख कारणों में से प्रथम माना गया। 

वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावहम मनुष्य ही वायु प्रदूषण के जिम्मेदार हैं। और वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव भी सबसे ज़्यादा हम मनुष्य को ही पड़ता है।वायु की गुणवत्ता के कम होने से मनुष्य विभिन्न प्रकार के रोगों का सामना करता है। वायु प्रदूषण के कारण नई नई बीमारियां भी पैदा होती रही है। यह ना केवल हमारे फेफड़ो को नुकसान पहुंचाता है बल्कि यह बेवजह किसी भी उम्र के व्यक्ति की मौत का कारण भी बनता है। ना जाने कितने शिशु वायु प्रदूषण के कारण पैदा होते से ही मृत हो जाते है। इसके कारण दमा, सर्दी, खांसी, अंधापन, त्वचा रोग इत्यादि होते है। इससे मनुष्य के अलावा मासूम पशु पक्षियों को भी नुकसान होता है। वे एक स्थान से दूसरे स्थान पलायन करते है। कुछ पशु पक्षी प्रदूषण के कारण बेमौत मर जाते है। मनुष्य और इंसान दोनो ही गंभीर बीमारियों का सामान करते है।

वायु प्रदूषण के कारण पृथ्वी का तापमान भी बढ़ता है। जिससे पूरी पृथ्वी संकट में रहती है। बड़े बड़े बर्फ पिघलने लगते है। धरती के तापमान में इज़ाफ़ा होना एक गंभीर विषय है। वायु प्रदूषण से तापमान में काफी प्रभाव पड़ता है। 

रोकथाम उपाययह समस्या हमने दशकों में सृजित होते देखी है। और यह बात हम सब जानते है कि कुछ पल में हम इस समस्या को खत्म नही कर सकते। लेकिन अगर सरकार और हम आमजन ठान ले तो वायु प्रदूषण पर काबू हम जल्द पा सकते है। हम सभी को इसके लिए एकजुट होकर अपनी भूमिका निर्धारित करनी होगी।ट्रैफिक सिग्नल पर अगर 20 सेकंड से ज़्यादा समय का स्टॉप है तो हमे अपनी गढ़ियों को बंद कर देना चाहिए। जिससे धुंआ कम से कम निकले। हमे पास के स्थान पर जाने के लिए गढ़ियों का इस्तेमाल नही करना चाहिए। चलने से हमारी सेहत भी दुरुस्त रहती है। ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ पौधे लगाने चाहिए जिससे पर्यावरण का संतुलन ठीक बना रहे। हम सभी को अपने पूरे जीवन मे 5 पेड़ तो लगाने चाहिए। यह सोचना चाहिए कि हम कुछ पेड़ अपनी आने वाली पीढ़ी के पर्यावरण को हरा भरा बनाने के लिए लगा रहे है। सरकार को औद्योगिक इकाइयों का समय समय पर जायज़ा करना चाहिए, तथा नगर से दूर फैक्ट्री लगाने की अनुमति देनी चाहिए। वृक्षारोपण पर विशेष जागरूकता पैदा करना वृक्ष कांटने वालो पर अत्यधिक जुर्माना लगाने का प्रावधान भी लाना चाहिए।

उपसंहार जैसे हम अपने जीवन के कार्यो के प्रति समर्पित है वैसे ही हमें अपने पर्यावरण के प्रति समर्पित होने की विशेष आवश्यकता है। अपनी आने वाली पीढ़ी को खुशहाल और हरा भरा वातावरण देने की हमारी जिम्मेदारी से हमे पीछे नही हटना चाहिए। वायु की गुणवत्ता को नुकसान हो ऐसा कोई भी काम नही करना चाहिए। हम सभी वृक्षारोपण से अपने पर्यावरण को और अपने आप को एक स्वस्थ ज़िंदगी भेंट कर सकते है।  

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