वर्षा ऋतू जिस ऋतू में पृथ्वी पे आकाश से जल बरसता है। यह जल पृथ्वी के जीवन चक्र में बहुत सहायक है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में rainy season essay in hindi ले कर आये है । वर्षा ऋतू पर निबंध को आप स्कूल और कॉलेज में इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on rainy season in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।
रैनी जिसे हम हिंदी में बरसात का मौसम या वर्षा ऋतु बोलते है। हम सभी इस मौसम से भली भांति वाकिफ है। यह मौसम की अलग ही पहचान है।बरसात हम सभी के जीवन मे उमंग उल्लास का भाव लाती है। बरसात में अलग अलग स्थानो पर अलग अलग समय बारिश होती है। कभी यह बारिश हल्की बूंदाबांदी के रूप में होती है। तो तभी तेज़ व ज़ोरदार होती है। बरसात के मौसम कि अलग ही पहचान होती है। अन्य किसी भी मौसम में से बरसात सबसे मनमोहक साबित होता है। सर्दी के मौसम में कड़ाके की ठंड होती है। गर्मी के मौसम में मनुष्य गर्मी का एहसास करता है। यह दोनों मौसम एक दूसरे के विपरीत है। परंतु बरसात में वातावण मनमोहक व शीतल होता है। जो हर किसी को बहुत पसंद आता है। बच्चों को, युवाओं को, बुज़ुर्गों को व हर उम्र के व्यक्ति को यह मौसम भांता है। एक शानदार लाइन है अंग्रेज़ी में, ” दिल गार्डन गार्डन हो गया” ठीक इसी प्रकार का अनुभव इस मौसम में होता है।
प्रस्तावना– बरसात का मौसम गर्मी के बाद आता है। इसे मानसून भी बोला जाता है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। मानसून को पावस भी बोला जाता है। मानसून दरअसल हिंदमहासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। देश मे व दुनिया में अलग अलग समय अलग अलग जगह बारिश होती है। बारिश का होना मौसम के अलावा हवाओं पर भी निर्भर करता है। बे ऑफ बेंगोल व अन्य सागर में हाई व लौ प्रेशर के कारण भी बारिश देखी जाती है। इसी वजह से हवा में नमी पैदा होती है। जब गर्म नम हवा, ठंडे और उच्च दबाव वाले वातावरण के संपर्क में आती है तब बारिश होती है. गर्म हवा अपने अंदर ठंडी हवा से ज्यादा पानी जमा कर सकती है। बारिश होने वातावरण पर निर्भर करता है। हर वर्ष जून से सितंबर में वर्षा का मौसम देखा जाता है। बारिश में एक और प्रकार देखा गया है। जिसे हम मूसलाधार बारिश के नाम से जानते है। यह स्वाभाविक नही होती। इसको प्राकृतिक आपदा भी बोल सकते है।
वर्षा ऋतु का प्राकृतिक सौन्दर्य– बरसात में वातावरण की मधुरता का अंदाज़ा हम सभी लगा सकते है। हम सभी जानते है कि वातावरण मंत्रमुग्ध करने वाला प्रतीत होता है। इस वक़्त वातावरण अपने सुनहरे रूप में दिखाई देता है। साथ ही इसकी सुंदरता उमड़ कर सामने आती है। वातावरण की खूबसूरती, पेड़ पौधे हरे भरे और खिलखिलाए लगते है। किसी अन्य मौसम में यह पौधे जो मुरझाए से लगते हैं वह वर्षा में अपना सौंदर्य बिखेरते है। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो वह खिलखिलाते हुए अपने पसंदीदा मौसम की सराहना कर रहे हो। छोटी छोटी बन्धें जब धरती पर आती है तो धरती पर रहने वाले हर जीव को लाभान्वित करती है। जानवरों को पानी देती है जानवरों को खुश करती है। वे भी इस मौसम में खुशहाली का आनंद लेते नज़र आते है।जब छोटे- बढ़े तालाबों में पानी भरता है तब नदी में व तालाब में रहने वाले जीव खिलखिला उठते है। उनकी बढ़ती गतिविधियां इस मौसम में सबसे ज़्यादा देखी जाती है। जानवरो व पेड़ पौधों के लिए ये मौसम जिस प्रकार उनकी पसंद का मौसम है वैसे ही मनुष्य के लिए भी यह मौसम सौंदर्य का प्रतीक है।जब वर्षा में पानी से यह धरती की मट्टी गीली हो जाती है तब वो मट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू सभी को बेहद पसंद आती है। प्रकृति का सौंदर्य इस वक़्त चरम पर होता है। सभी लोग अपने घरों की खिड़कियों से इस मौसम का आनंद लेते है। इन सभी के बीच एक और विशेषता है जिसको जाने बिना बरसात का मौसम मानो अधूरा सा है। एक अनमोल कड़ी जो इस मौसम से अपने दिलो जान से जुड़ी है वह है छोटे छोटे बच्चे। बच्चों के लिए ये मौसम उनकी क्रीड़ा का साधन है। जब इस मौसम में आस पास पानी भरा जाता है जब बच्चे कागज़ की नौका बनाते है। फिर उस कागज़ की नौका को पानी मे तैराते है। इस तरह से बच्चों में प्रतियोगिता बढ़ जाती है।बच्चे एक दूसरे से होड़ करते है कि किसकी नौका ज़्यादा आगे तक जाएगी। आप सभी ने भी बचपन मे यह अनुभव ज़रूर किया होगा। माता पिता बच्चों को प्रोत्साहित करते है। वे भी उनके खेल में शामिल होते है। बारिश का आनंद लेने कई बार बच्चे अपने घरों की छत पर आकर बारिश में खूब भीगते हैं। वे जी भरके खेलते है।धीरे धीरे ये मौसम सितंबर के अंत तक चला जाता है। बच्चे बस अपनी क्रीड़ा के लिए वर्षा के मौसम का बेसब्री इंतज़ार करते है। इस मौसम में मोर भी खिलखिलाए दिखाई देते है। वे अपने पंखों को फैलाये नृत्य करते हुए बेहद मनमोहक लगते है। इस मौसम का सौंदर्य भाव विभोर करता है।
वर्षा ऋतु के फायदे- हर मौसम की अपनी विशेषताएं होती है। बरसात के मौसम से भी हम सभी को बहुत सारे फायदे होते है। बरसात के मौसम से कृषि क्षेत्र में जम कर उछाल आता है। इस वक़्त प्रकृति ही सिचाई का कार्य कर देती है। जिससे किसानों को काफी फायदा होता है। उनका समय बचता है। उन्हें इस मौसम में खेती करने में आसानी होती है।वर्षा के कारण उनके खेत की मिट्टी भी हर जगह से गीली हो जाती है। इससे जमीन ज़्यादा मात्रा व अच्छी मात्रा में अनाज देती हैं। किसानों के लिए भी ये मौसम लाभदायक होता है। इसके बाद कई सारे अन्य फायदे भी होते है। हम सभी जानते है कि ऐसा नाजाने कितने क्षेत्र है जहाँ पानी की स्थिति बत्तर होती है। वहां पानी की कमी होती है। ऐसी अनगिनत बस्तियों के लिए बारिश का मौसम सबसे अधिक प्रिय होता है। यह लोग बारिश में पानी को किसी प्रकार से अपने घरों के बर्तनों टंकियों में इकठ्ठा करते हैं। उनके पास अलग अलग तरीके होते है। जैसे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम। इससे वह बारिश के पानी को इकठ्ठा कर पाते है। फिर पानी की कमी होने पर इस स्थिति में उसका उपयोग करते है। ऐसे ही जब कही सूखा पड़ जाता है, तब भी बारिश से लोगो की मदद होती है। इस मौसम में नदियां भी जलमग्न हो जाती है। सरकार द्वारा डैम में भी पानी इकठ्ठा किया जाता हैं। जिससे लोगो की मदद भी होती है। बारिश से जमा हुए पानी का इस्तेमाल अगले वर्ष आने वाली बारिश तक होता है। जितना पानी इकठ्ठा होता है वह मनुष्य पशु पक्षी सभी के काम आता है। इससे वातावरण भी पवित्र होता है। प्रदूषण भी कम होता है। साथ ही धरती के हर कोने की सिचाई हो जाती है।
वर्षा ऋतु के नुकसान- जिस तरह हर सिक्के के दो पहलू होते है ठीक वैसे ही हर चीज़ के फायदे व नुकसान दोनो होते हैं। कहते है कि किसी भी किसी चीज़ की अति होना घातक होता है। अर्थात किसी भी चीज़ का हद से ज़्यादा होना हानिकारक होता है। जी हां, ठीक इसी प्रकार बारिश का भी है। अगर अधिक मात्रा में पानी गिरता है, अधिक मात्रा में वर्षा होती है तब यह ऋतु घातक भी साबित हो सकती है। जब किसी क्षेत्र में कुछ ही समय मे काफी तेज बारिश होने से जगह जगह पानी भरा जाता है। लोगो के घरों के अंदर पानी प्रवेश कर जाता है। जिससे कई बस्तियां उजड जाती है। इसे प्राकृतिक आपदा भी बोला जाता है। जब अधिक मात्रा में पानी इकठ्ठा हो जाए जिससे हज़ारो घर डूब जाए, सड़क पर पानी जमा हो जाय उसे हम बाढ़ कहते है। किसी स्थान पर अधिक वर्षा होने से ऐसी स्थिति पैदा होती है।इसके नियंत्रण के लिए लोगो को पलायन भी करना पड़ता है। कई बार नदियां उफान पर भी आ जाती है। जिससे आस पास के लोग बेहद प्रभावित होते है। वर्षा ऋतु के बस यही कुछ नुकसान होते है।अधिक मात्रा में बारिश होने से कई बार किसानों की फसल भी बर्बाद हो जाती है।इसी तरह के नुकसान वर्षा ऋतु में देखे जाते है।
उपसंहार- वर्षा को नियंत्रण करना तो हमारे वश में नही है। परंतु तकनीकों के माध्यम से वैज्ञानिक इसके बारे में अनुमान लगा कर स्थिति को पहले से ही नियंत्रित करते है। वह पहले से ही लोगो को उस स्थान से हटा कर दूसरे स्थान पहुंचाते हैं जिससे किसी की जान को हानि न पहुंचे। इस दिशा में काम करने वाले संस्थान पहले से ही अनुमान लगा कर लोगो को सचेत कर उन्हें वहां से निकालते हैं। आई.एम.डी( इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट) व अन्य प्राइवेट डिपार्टमेंट इस दिशा में काम करते है। धीरे धीरे वह इसपर और बेहतर तरीके से काम करने का प्रयास कर रहे है। इस डिपार्टमेंट्स की मदद से लाखों लोगों की जान बचती है।
ऐसे तो वर्षा ऋतु मनमोहक होती है परंतु बाढ़ जैसी समस्याएं भी कई बार पैदा करती है। यह प्राकृतिक आपदाओं का अनुमान लगा कर लोगो की जान बचाने वाले संस्थानों का आमजन आभार प्रकट करते हैं। वे इस दिशा में सटीकता लाने के प्रयास में भी जुड़े हुए है।
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