Discipline in Hindi
अनुशाशन सुनने में एक छोटा सा शब्द है ,पर इसका महत्व बहुत ही विशाल है। हम अनुशाशन को केवल स्कूल ,विद्यालय ,कॉलेज औरयुवा वर्ग तक ही सीमित रखते है।पर ऐसी सोच गलत है, क्योकि हमारा पूरा ब्रह्माण्ड ही अनुशाशन के नियम पर चलता है।ब्रह्माण्ड के जितने सूरज, चाँद और ग्रह है, सभी अपने कक्षा के घूमते है। सब के घूमने की दुरी और समय तय है। सभी अपने नियमानुसार अपने अक्ष पर रहते है। एक भी इंच इधर –उधर नहीं होते।पक्षियाँ सुबह होते ही घोसलों से निकल खाने की तलाश में निकल पड़ती है और शाम होते ही पुनःअपने घोसलों में वापस आ जाती है। गर्भ में पल रहा शिशु नौ महीनो तक माँ के पेट में रहता है। इसी प्रकार दूसरे जंतु भी अपनी अपनी अवधि के अनुसार गर्भ में पलते है।
एक शिशु एक साल के अंदर चलना और धीरे –धीरे दौड़ना सीखता है। पृथ्वी के सही धुरी पर घूमने से दिन और रात होते है। देश में जितने भी सफल लोग है सब की एक ही आम कहानी है सब अपने जीवन में अनुशाशित थे। जीवन का पहला पाठ ही हमें अनुशाशन सिखाता है। बिना अनुशाशन के जीवन अस्त –व्यस्त औरउ छश्रृंखल हो जाता है।
अनुशाशन शब्द शासन शब्द में अनु उपसर्ग लगाने से बना है। अनु का अर्थ है पीछे तथा शासन का अर्थ है – विधान, कानून, नियम आदि। अतः सामान्यतः मानवीय नियमो के पीछे चलना अथवा उसका पालन करना ही अनुशासन है। अनुशासनरहित जीवन में उन्नति और समृद्धि की कल्पना के लिए भी कोई स्थान नहीं है।
जीवन के प्रक्येक क्षेत्र में सफलता और सिद्धि की प्राप्ति के लिए अनुशासन परमावश्यक है। विद्याथी जीवन में तो इसकी अत्यंत आवश्यकता होती है क्योकि वह जीवन भावी जीवन के प्रासाद की नीव है। विद्याथी ही देश के भावी निर्माता है। वे ही भविष्य की आशा होते है। विद्यालयों तथा विश्व विद्यालयों में रहकर छात्र अनुशासन का पाठ सीखते है तथा इसी से उनका चरित्र निर्माण संभव होता है। अनुशासन के दो रूप है –आतंरिक और बाह्य। साधारण भाषा में जिसे अनुशासन कहते है वो केवल अनुशासन का बहरी रूप है।
सभा या कक्षा में शांतिपूर्वक बैठना ,गुरुजनो तथा बड़ो की आज्ञा का पालन, विद्यालय के नियमो का पालन, समय की पाबन्दी, विद्याध्यन पर ध्यान देना – ये सब विद्यालय के अनुशासन के अंतर्गत आता है।
अनुशासन का आंतरिक स्वरुप है – मन की समस्त वृत्तियों पर नियंत्रण। मन की समस्त वृत्तियों और भावनाओं को विवेक के नियंत्रण में रखने का नाम सच्चा अनुशासन है। अनुशासित व्यक्ति अपने ह्रदय में कभी भी किसी प्रकार की दुर्भावना को स्थान नहीं देता। अनुशासित ह्रदय में हिंसा व घृणा के लिए कोई स्थान नहीं होता है। अनुशासनप्रिय व्यक्ति के मुख से निकले हुए शब्द संतुलित और मर्यादित होते है। अनुशासित व्यक्ति अपने प्रत्येक कर्म में व्यवस्था का पालन करता है। उसके स्वाभाव में विनम्रता, शिष्टता तथा मधुरता होती है। वह समय का पूरा पाबंद होता है और किसी भी अनियमितता को पास फटकने नहीं देता। वह कभी भी आज का काम कल पर नहीं छोड़ता।
व्यक्ति के अनुशासन का व्यापक प्रभाव समाज और देश की उन्नति पर पड़ता है, खेद का विषय है कि आज देश में सर्वत्र व्याप्त अनुशासनहीनता अराजकता को जन्म देती दिखाई दे रही है और अराजकता दासत्व की जननी है। छात्रों में अनुशासनहीनता दिन – प्रतिदिन घर करती जा रही है। आज का विद्याथी अपनी मनचाही करना ही अपना धर्म समझ बैठा है। अनुशासन की कमी का हमारे राष्ट्र के जीवन पर घातक प्रभाव पड़ रहा है। छात्रों में बढ़ रही अनुशासनहीनता के लिए घर, परिवार, विद्यालय, शिक्षक, शिक्षक प्रणाली तथा समाज सभी जिम्मेदार है। छात्र तो कोरे कागज के समान है, उस पर हम जो लिखेंगे वही वो पढ़ेंगे। अभिभावक विद्यालय को दोषी मानते है, विद्यालय घर – परिवारों पर उंगली उठाते है, राजनीती पर दोषारोपण करते है। उनका कहना है की राजनितिक दल छात्रों का शोषण करते है ,उन्हें भटकाकर अराजकता फैलाते है, परन्तु अपनी – अपनी जिम्मेदारियों में कहीं न कहीं दोषी सभी है। देखने की बात यह है कि इसमें प्रत्यक्ष रूप से हानि का भागीदार बनता है छात्र और उसका परिवार। अतः अनुशासन का पहला पाठ घरों में पढ़ाया जाना चाहिए और अनुशासित जीवन व्यतीत करते हुए अपने बच्चो का पालन पोषण करना चाहिए।
छात्रों के निर्माण में विद्यालयों तथा शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है। अध्यापक का उपेक्षा भाव भी छात्रों में अनुशासनहीनता के लिए एक सिमा तक उत्तरदायी होता है। कक्षाओं में छात्रों व शिक्षकों का सही अनुपात अति आवश्यक है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में नैतिक शिक्षा, चरित्र निर्माण पर बल, शारीरिक विकास और आत्मिक उन्नति जैसे महत्वपूर्ण विषयों का आभाव है। अतः शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा के साथ -साथ नैतिक शिक्षा पर भी बल दिया जाना चाहिए। छात्रों को यह एहसास दिलाना चाहिए कि उन्हें अपने आप को इस योग्य बनाना है कि वे एक स्वस्थ समज को जन्म दे सके। यदि समाज में व्याप्त किसी भी प्रकार कि अनुशासनहीनता को समाप्त करना है तो उन्हें चाहिए कि वे सफेद्पोशियो कि राजनीती का शिकार कतई न बने। अपने भविष्य के लिए खुद ही सोचे और ‘हिम्मते मरदां मद्दे खुदा (अर्थात हिम्मत करने वाले व्यक्ति की ईश्वर भी मदद करता है )को चरितार्थ करें। जो अब तक न हो सका उसे साकार कर दिखाएं। आज इस लेख में आप “10 Lines on Discipline in Hindi” पढ़ेंगे।
10 Lines on Discipline in Hindi
- अनुशासन शब्द शासन शब्द में अनु उपसर्ग लगाने से बना है।
- अनुशासन के पथ पर पूरी ब्रह्माण्ड चलती है।
- अनुशासनहीन व्यक्ति जीवन में कभी भी सफल नहीं हो सकता।
- सफलता जीवन की कुंजी है और सफल होने के लिए अनुशासन का होना ज़रूरी है।
- अनुशासन का पर्याय केवल विद्याथी जीवन से नहीं है। इसका पालन हर व्यक्ति को करना चाहिए।
- गांधीजी ने आजीवन अनुशासन का पालन किया।
- विश्व के सभी विकसित देश अनुशासित है।
- विद्याथी जीवन में अनुशासन का महत्व बहुत ज़्यादा होता है।
- जो विद्यार्थी अनुशासन का पालन नहीं करते।,उनका पतन भी शीघ्र हो जाता है।
- केवल सफलता पाने के लिए नहीं अपितु अच्छा जीवन व्यतीत करने हेतु अनुशासन आवश्यक है।
5 Lines on Discipline in Hindi
- ब्रह्माण्ड के सभी ग्रह ,चन्द्रमा ,सूर्य सभी अनुशासन से चलते है।
- सभी जीव-जंतु अनुशासित होकर चलते है।
- अनुशासन के बिना सफलता और समृद्धि की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
- पूर्व भारत में विद्यार्थी जीवन बहुत ही अनुशासित था। इसका उदहारण नालंदा विश्व विद्यालय है।
- अनुशासन के बिना जीवन अस्त -व्यस्त और उच्श्रृंखल हो जाता है।
हमें आशा है आप सभी लोगों को Discipline in Hindi पर लिखा यह छोटा सा लेख पसंद आया होगा । आप इस लेख को 10 Lines about Discipline in Hindi के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।
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FAQ on 10 Lines on Discipline in Hindi
Question. विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व को रेखांकित कीजिये।
Ans -विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व बहुत ज़्यादा है। हर विद्यार्थी को अनुशासनबद्ध होकर रहना चाहिए ,क्योकि यही से व्यक्ति का विकास शुरू होता है। अगर विद्यार्थी जीवन अनुशासन से सींचा हो तो फसल अवश्य ही अच्छी होगी।
Question. क्या अनुशासन का सम्बन्ध केवल विद्यार्थी जीवन से है ?
Ans-नहीं ,अनुशासन का सम्बन्ध केवल विद्यार्थी जीवन से नहीं है। इसका सम्बन्ध सभी व्यक्तियों से है। जो व्यक्ति जितना अनुशासित है वह उतना ही सुलझा हुआ तथा सफल है।
Question. विश्व के कुछ सफल लोगो के नाम बताये जो अनुशासित थे ?
Ans-विश्व के जितने भी सफल व्यक्ति हुए है सभी में एक बात सामान्य थी कि सभी बेहत अनुशासित थे। जैसे -महात्मा गाँधी ,स्वामी विवेकानंद ,नेनसन मंडेला ,जॉर्ज वाशिंगटन ,लता मंगेशकर ,सचिन तेंदुलकर इत्यादि।
Question. वर्तमान जीवन में अनुशासन के आभाव की व्याख्या कीजिये।
Ans -हमारे वर्तमान जीवन की एक समस्या विकराल रूप धारण कर रही है और वो है अनुशासनहीन समाज। जब समाज के बड़े खुद ही अनुशासनहीन रहें तो बच्चो से क्या अपेक्षा की जा सकती है। पाश्चात्य देशों की नक़ल करते -करते हम अपनी अकल भी खोते जा रहे है। महानगरों में तो इस समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। लोगो का जीवन अस्त -व्यस्त हो गया है।
Question. स्वामी विवेकानंद जी के अनुशासन के बारे में विचारों को व्यक्त कीजिये।
Ans -स्वामी जी मानना था कि युवाओं को सफल होने के साथ -साथ सार्थक भी होना चाहिए और सफल होने के लिए अनुशासित होना ज़रूरी है। उन्होंने युवको से गीता पाठ करने कि वजाय फुटबॉल खेलने को कहा। आज के युवा वर्ग को सचमुच स्वामी जी के विचारों को ग्रहण करने की घोर आवश्यकता है।