भारत एक त्यौहारो का देश है यह पे विभिन्न प्रकार की जातीय समूह एक साथ अपने संस्कारो का सवतंत्रता पूर्वक पालन करती है I
Bihu Assam Festival 2023
Bihu festival date and Duration 2023 | 13/04/2023 – 14/04/2023 |
बिहू असम में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्यौहार है I असमिया लोग इसे बहुत ही प्रेम और उत्साह के साथ प्रत्येक वर्ष मानते है I सभी त्योहारों की तरह बिहू त्यौहार भी अपने प्राचीन संस्कारो और प्रथाओं का पालन करते हुए मनाया जाता है I अप्रैल में नव वर्ष की ख़ुशी में असम में ख़ुशी और उल्लास का वातावरण छाया रहता है I
Bihu Festival History
बिहू शब्द की उत्पत्ति दिमासा संप्रदाय की भाषा से हुई है I दिमासा प्राचीन काल का एक कृषि समुदाय रहा है I यह समुदाय अपने एक कुल देवता का उपासक रहा है जिनका नाम शिबराई है I अप्रैल माह में पहली फसल की कटाई की जाती है चूँकि भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है तो यह पे मनाये जाने वाले सभी पर्व व त्यौहार कृषि और समृद्धि से आस पास ही घूमते दिखयी देते है I बिहू भी कृषि से जुड़े त्योहारों में से एक है जो भारत के विभिन्न प्रांतो में अलग अलग नाम से मनाये जाते है I बिहू में अपने फसलों को शिबराई देवता को समर्पित किया जाता है और कामना की जाती है की प्रत्येक वर्ष वो इसी प्रकाश अपनी कृपा और दृष्टि बनाये रखे घरो में और खेतो में समृद्धि और सुख शांति का वास रहे I प्राचीन सभ्यता के अनुसार बिहू एक अपभ्रंश भाष है जो की बिशु से प्राप्त हुआ है बि मतलब पूछना और शु मतलब पृथ्वी धरती की शांति और समृद्धि से है I परन्तु समय के साथ साथ बिहू नाम की उत्पत्ति हो गयी जहा बि मतलब पूछना और हु मतलब देना हैI
बिहू त्यौहार साल में तीन बार अलग अलग समय मनाया जाता है I अप्रैल माह के अलावा बिहू साल में अक्टूबर माह में कोंगली बिहू के नाम से मनाया जाता है I जनवरी माह में भी बिहू मनाया जाता है जिसे भोगली बिहू के नाम से सम्बोधित किया जाता है I यह तीनो बिहू कृषि से जुड़े मान्यताओं के ही आधार पे माने जाता है मतलब की मूल रूल से बिहू कृषि परक त्यौहार है जो की किसान अपने अच्छी फसल के लिए मनोकामना पूर्ण हेतु मानते है I
बिहू के उपलक्ष में असम में बहुत बड़े बड़े मेलो का आयोजन होता है जिसमे असम और बहार के लोग भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है और ख़ुशी मानते है प्रत्येक वर्ष इसी प्रकार के बड़े बड़े मेलो का आयोजन किया जाता है इन मेलो में से प्रमुख मेले निम्नलिखित है :-
1 अम्बुबाशी मेला
2 परशुराम मेला
3 दोल जात्रा मेला
4 अशोकाष्टमी मेला
इन मेलो में यह के लोग पारम्परिक परिधान पहनते है और पारम्परिक नृत्य करते है I इस मेले में नृत्य के समय प्रयोग होने वाले वाद्यंत्र पारम्परिक वाद्यंत्र होते है जैसे :-
1 ढोल,
2 ताल,
3 पेपा (बैंस की सींग से बना हुआ एक प्रकार का बिगुल वाद्यंत्र ),
4 टोका,
5 बाहि ( बांसुरी),
6 क्षुटुल,
7 गोगोना आदि I