आज हम “विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस पर 10 लाइन्स निबंध” लेकर आपके समक्ष आये है, इस आर्टिकल में आप ’10 Lines on World Leprosy Eradication Day in Hindi’ में पढ़ेंगे।
World Leprosy Eradication Day in Hindi
कुष्ठ रोग एक प्रकार का संक्रमण है, जो कि एक जीवाणु (माइकोबैक्टेरियम लैप्री) की वजह से फैलता है। भारत में कुष्ठ रोग को बड़ी ही निम्न श्रेणी का माना जाता है। कुष्ठ रोग के बारे में समाज में व्याप्त अनेक भ्रांतियां मौजूद हैं, जिन्हें जड़ से मिटाने की आवश्यकता है। इस भ्रांति को तोड़ने के लिए विश्व कुष्ठ दिवस हर वर्ष 30 जनवरी को मनाया जाता है।
भारत में विश्व कुष्ठ दिवस क्यों मनाया जाता है ?
कुष्ठ रोग एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में समाज में अलग-अलग मिथक तथा भ्रांतियां फैली हुई है। समाज ऐसे लोगों का हमेशा से तिरस्कार करता आया है क्योंकि हम इसे छूत की बीमारी मानकर कुष्ठ रोगियों से दूरियां बढ़ा लेते हैं। इस गलत अवधारणा को ही तोड़ने के लिए विश्व कुष्ठ दिवस मनाया जाता है। दूसरा कारण यह है कि इस दिन महात्मा गांधी की हत्या हुई थी और वह जीवन भर कुष्ठ रोगियों की सेवा करते रहें इसीलिए उनकी मृत्यु दिवस के दिन कुछ दिवस मनाया जाता है।
विश्व कुष्ठ रोग की शुरुआत
यह बात 1954 की है, जब एक फ्रांसीसी परोपकारी और लेखक राउल फोलेरे ने कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाई थी और तब से हर वर्ष जनवरी के महीने में कुष्ठ रोग का पालन किया जाता है।
कुष्ठ रोग क्या है और यह कैसे होता है?
कुष्ठ रोग एक प्रकार का संक्रमण है, जो एक प्रकार का जीवाणु माइकोबैक्टेरियम लैप्री के कारण होता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति की त्वचा, आंखें,श्वसन क्रिया आदि को नुकसान पहुंचाता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने छींकने तथा संपर्क में रहने से दूसरा व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है, अगर वह काफी समय से संक्रमित व्यक्ति के साथ समय बिता रहा हो तो।वैसे यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल भी नहीं है। यह छूने से या खांसने या छींकने से नहीं फैलता। इस बीमारी को हान्सेंस डिजीज के नाम से भी जाना जाता है । इसे एक नॉर्वे रियन डॉक्टर गेरहार्ड हेनरिक आमर्र हेनसन के आधार पर इस इस बीमारी का नामकरण किया गया था।
कुष्ठ रोग के लक्षण
- कुष्ठ रोग के लक्षण निम्नलिखित हैं
- एक यह धीरे-धीरे पहचान में आती है
- किसी मरीज में इसके लक्षण 1 साल में विकसित होते हैं
- त्वचा पर घाव या दानेदार उभार आना
- उंगलियों की पैर का सुन्न हो जाना
- नसों में सूजन
- मांसपेशियों में कमजोरी
- त्वचा पर सफेद या काले धब्बे
रोग का असर
यदि किसी को कुष्ठ रोग हुआ है या व्यक्ति उपरोक्त लक्षणों से पीड़ित है, तो बिना समय गवाएं व्यक्ति को चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। इलाज कराने में देरी होने की वजह से पीड़ित व्यक्ति के अपंग या अपाहिज होने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि इस बीमारी से नसो को क्षति पहुंचती है। इसीलिए पीड़ित व्यक्ति की हाथ पैर की उंगलियां टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं और धीरे-धीरे गलने लगती हैं। यह बीमारी हमारे हारमोंस को भी प्रभावित करता है,जिससे आंखों की पलकें और भौहों के बाल भी गिरने लगते हैं।इस बीमारी का असर व्यक्ति के Limps पर भी पड़ता है। यदि व्यक्ति का संक्रमण तीव्र या अधिक हो जाए, तो ग्लूकोमा अंधापन या किडनी से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं।इसीलिए संक्रमित व्यक्ति का तिरस्कार ना कर चिकित्सक के पास उसे जल्द से जल्द ले जाना चाहिए ताकि इस रोग का निवारण हो सके।
ईलाज
कुष्ठ रोग लाइलाज बिल्कुल भी नहीं है। इसका इलाज मल्टी ड्रग थेरेपी MDT एंटीबायोटिक के जरिए हो सकता है। यह दवाइयां इस संक्रमण को रोकने में काफी हद तक मदद करती हैं। भारत में इसका इलाज या इसकी दवाइयां मुफ्त ही उपलब्ध है, पर जागरूकता और जानकारी के अभाव के कारण लोग समय पर इसका इलाज नहीं कराते और इसे अनदेखा कर देते हैं।
निष्कर्ष
कुष्ठ रोग का इलाज बिल्कुल संभव है। उचित समय पर इसे अगर उचित दवाइयों के साथ इलाज कराया जाए तो यह संभव है। कुछ रोगी ठीक होकर बिल्कुल आम लोगों की ही तरह जीवन यापन कर सकते हैं।
10 Lines on World Leprosy Eradication Day in Hindi
- विश्व कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को मनाया जाता है।
- वर्ष 2023 , 29 जनवरी को विश्व कुष्ठ उन्मूलन दिवस मनाया गया, जिसका थीम था ‘Act now and end Leprosy’
- इसकी स्थापना फ्रेंच मानवाधिकारी राहुल फोलेरो द्वारा 1953 में की गई थी।
- 30 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इस दिन महात्मा गांधी जी की मृत्यु हुई थी।
- इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य कुष्ठ रोग के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना है ।
- कुष्ठ रोग एक दीर्घकालीन बैक्टीरियल संक्रमण है।
- यदि इसे समय रहते ठीक ना किया जाए तो व्यक्ति के नसों की हमेशा के लिए हानि हो सकती है ।
- इस बीमारी को हान्सेंस डिजीज के नाम से भी जाना जाता है ।
- कुष्ठ रोग की खोज नोर्वेरियन डॉक्टर हान्सेंस ने की थी ।
- साल 1954 को विश्व का प्रथम कुष्ठ रोग दिवस मनाया गया ।
5 Lines on World Leprosy Eradication Day in Hindi
- विश्व कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस हर साल 30 जनवरी को मनाया जाता है।
- कुष्ठ रोगियों के साथ समाज में बरते जाने वाले भेदभाव को समाप्त करने के उद्देश्य से ही इस दिन को मनाया किया जाता है ।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में 120 से भी अधिक देशों में 2.08 लाख लोग कुष्ठ रोग से संक्रमित हैं।
- इस दिन कुष्ठ रोग से संबंधित भाषण दिए जाते हैं और कुष्ठ रोग से पीड़ित रोगियों में उत्साह जगाया जाता है ।
- इस दिन के पालन का उद्देश्य कुष्ठ रोग का जड़ से उन्मूलन करना है।
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FAQ on World Leprosy Eradication Day in Hindi
1. विश्व कुष्ठ दिवस कब मनाया जाता है और क्यों?
उत्तर -विश्व कुष्ठ दिवस प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को मनाया जाता है। हमारे समाज में कुष्ठ रोग को लेकर अनेक गलत धारणाएं मौजूद हैं, जिसके कारण हम कुष्ठ रोगियों के साथ तिरस्कार का व्यवहार करते हैं। उनके साथ भेदभाव करते हैं। कुष्ठ रोग एक अभिशाप नहीं है यह भी बाकी रोगों की ही तरह एक अन्य रोग है।इसी अवधारणा को बदलने के लिए तथा लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व कुष्ठ दिवस मनाया जाता है।
2. विश्व कुष्ठ दिवस की कब और किसने स्थापना की?
उत्तर -कुछ दिवस की शुरुआत फ्रांसीसी परोपकारी और लेखक राउल फोलेरो ने सन 1954 में की। कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से उन्होंने इस दिवस की स्थापना की।
3. कुष्ठ रोग कैसे फैलता है?
उत्तर-कुष्ठ रोग एक प्रकार का संक्रमण है,जो कि माइकोबैक्टेरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण फैलता है।
4. कुष्ठ रोग के लक्षण क्या है?
उत्तर -कुष्ठ रोग के लक्षण निम्नलिखित हैं
- स्वचा पर दानेदार उभार
- चेहरे पर सफेद या काले चकते का निशान
- उंगलियों के और का सुन्न हो जाना
- नसों में सूजन
- मांसपेशियों में कमजोरी
5. कुष्ठ रोग का इलाज कैसे किया जाता है?
उत्तर- कुष्ठ रोग की पहचान होने पर बिना देर किए चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। चिकित्सक द्वारा दी गई दवाइयों से इस रोग का उपचार संभव है क्योंकि कुष्ठ रोग लाइलाज नहीं है।समय पर उपचार कराने से व्यक्ति सामान्य व्यक्ति की तरह हो सकता है।