अम्बेडकर जयंती डॉ. भीमराव आंबेडकर के जन्म दिवस पर 14 अप्रैल को भारत वर्ष और पूरी दुनिया में मनाया जाता है I डॉ. आंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता है I इस दिन को लोग समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में भी जानते है क्युकी आंबेडकर जी ने अपना पूरा जीवन सामाजिक समानता की स्थापना में लगा दिया I
Bhimrao Ambedar Jayanti 2020 | 14 April, 2020 |
डॉ. भीमराव अम्बेडकर जिन्हे लोग बाबा साहेब कहकर भी सम्बोधित करते थे I बाबा साहेब ने ही भारतीय संविधान का प्रारूप तैयार किया था I बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रैल 1891 में महू, इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था I बाबा साहेब अपने पिता की 14वी संतान थे I इनके पिता रामजी मालोजी सकपाल इंडियन आर्मी में सूबेदार थे और माता जी भीमबाई मुरबड्कर एक घरेलु महिला थी I 1984 में रामजी सकपाल अपने रिटायरमेंट के बाद महाराष्ट्र के सितारा में स्थानांतरित हो गए थे I आगे की पढ़ाई बाबा साहेब ने बॉम्बे में की 1906 में 15 साल की आयु में उनकी शादी 9 साल की रमाबाई से हो गया था I उस समय बाल विवाह और छुआ छूत अपने चरम पे थी I आंबेडकर जी हिन्दू मेहर जाती से सम्बन्ध रखते थे मेहर जाती को नीच समझा जाता था लोग इस जाती के लोगो को छूना भी सही नहीं समझते थे यह तक की साथ में बैठना भी अच्छा न मानते थे I इस प्रकार का भेदभाव भीमराव जी ने भी सहा वो आर्मी स्कूल में पढ़ते थे उनकी जाती के बच्चो को कक्षा के अंदर प्रवेश नहीं मिलता था उनको पानी पिने के लिए प्यायू को छूने की अनुमति नहीं थी अगर वो ऐसा कर दे तो उनका छूआ हुआ पानी कोई भी नहीं पियेगा और प्यायू को नया स्थापित करना पड़ेगा ऐसा व्यवहार था I पानी पिने के लिए चपरासी द्वारा पानी गिराए जाने पे ही वो पानी पी सकते थे और अगर चपरासी की अनुपस्तिथि हो तो पानी नहीं मिलेगा क्युकी पानी कोई और नहीं पीला सकता था ऐसी विकट भेदभाव की परिस्तिथि को ना चपरासी ना पानी कहते हुए वो सम्बोधित करते है I
भीमराव जी पढ़ाई लिखाई में बहुत ही होशियार थे उनके एक देशस्त ब्राह्मण शिक्षक महादेव आम्बेडकर के कहने पे अपने नाम से सकपाल हटा कर अम्बेडकर जोड़ लिया I
स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद बॉम्बे एल्फिंस्टोन कॉलेज जाने का मौका मिला और उन्होंने अपनी शिक्षा अच्छे तरह से पूरी की फलस्वरूप उन्हें बरोदा के गायकवाड़ के राजा सहायजी से 25 रूपये महीने की स्कालरशिप मिली I 1912 में ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद वो अमेरिका चले गए और वापस आने के बाद बरोदा राजा के रक्षा मंत्री के रूप में कार्य करने लगे I परन्तु यह भी जातिवाद ने उनका साथ न छोड़ा और कई बार अपमान का सामना करना पड़ा I
इसके बाद बॉम्बे सिंड्रोम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनैतिक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने लेकिन पढ़ने की इच्छा और सिखने की ललक जल्द ही उन्हें भारत से दूर इंग्लैंड ले गयी अपने खर्चो पे बॉन यूनिवर्सिटी से डीएससी का अवार्ड प्राप्त किया I 08 जून 1927 को कोलंबिया यूनिवर्सिटी से उन्हें डॉक्ट्रेट की उपाधि प्रदान हुई I
उनकी शिक्षा की इतनी उपाधियों को देख के उनको विद्वानों की पदवी दी गयी प्राम्भिक जीवन में वो प्रोफेसर रहे परन्तु जल्द ही वो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बन गए I और देश की आजादी के बाद दलितों की सामाजिक सम्मान के लिए लड़ने लगे और इसके लिए बहुत से लेख भी प्रकाशित किए I 1956 में बाबा साहेब ने हिन्दू धर्म से बौद्ध धर्म को अपना लिया और ज्यादा से ज्यादा लोगो को इसके लिए प्रेरित भी किए और diksha भी दी I
6 दिसंबर 1956 में उनका स्वर्गवास हुआ और 1990 में भारतवर्ष के सर्वौच्च रत्न भारत रत्न से उन्हें सम्मानित किया गया I एक निम्न वर्ग की जाती जिसे लोग पानी पिलाना भी सही नहीं समझते थे उस व्यक्ति की उपाधिया योगदान और जीवन प्रेरणादायक है I