क्रिसमस का त्यौहार ईसाई धर्म का प्रसिद्ध त्यौहार है। आज इस लेख में हम christmas essay in hindi लेकर आये है। स्कूलों में कॉलेज में अक्सर christmas essay पुछा जाता है। क्रिसमस पे निबंध हिंदी में आप इस पोस्ट में पढ़ेंगे।
क्राइस्ट अर्थात “ईसाई”, मस अर्थात “लोग”। क्रिसमस ईसाई धर्म के लोगो का त्योहार है। इसे बड़ा दिन भी कहते है। इस दिन ईसाइयों के मसीहा ईसा मसीह के जन्म हुआ था। ईसाइयों द्वारा ये त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है। ईसा मसीह ईश्वर के बेटे माने जाते है। ईसाइ धर्म के लोगो के लिए यह दिन साल भर में सबसे अनमोल दिन होता है। समूचे भारत में प्रसिद्ध ये त्योहार उमंग और उत्साह लाता है। अन्य त्योहारों की भांति क्रिसमस भी हमे बहुत कुछ सिखाता है।ये दिन दुखों से दूर प्रकाश की तरफ ले जाता है। लालच नफरत और कुरीतियों का त्याग कर सदा परोपकार का मार्ग दिखाता है। दूसरों के प्रति प्रेम का प्रतीक है क्रिसमस। ईसा मसीह का जन्म संसार को पाप से मुक्त कराने और परोपकार का संदेश देने के लिए हुआ था।
प्रस्तावना- हर वर्ष क्रिसमस 25 दिसंबर को बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। ऐसा प्रतीत होता है मानो हर इंसान इसी दिन के इंतज़ार में था। माना जाता है कि ईसा मसीह ने लोगो को दुखों से बचाने और जीवन के नए मार्ग दिखाने ले लिए जन्म लिया था। उनके गुणगान गाते लोग आज के दिन थकते नही है। क्रिसमस के दिन जब उनका जन्म हुआ तब उन्हें यीशु नाम से बुलाते थे। लोगो ने उन्हे अपना मसीहा मान ईसा मसीह कहा। यीशु का अर्थ होता है मुक्ति दाता। क्रिसमस हर घर मे खुशियां लाता है। आज के दिन को लोग अगले वर्ष की क्रिसमस तक याद रखते है।आज के दिन को बड़ा दिन बोलते है क्योंकि वाकई में दिसंबर में वो दिन रोज़ के अपेक्षा बड़े प्रतीत होते है। क्रिसमस के दिन सिर्फ भारत मे ही नही बल्कि समूचे विश्व मे अवकाश होता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की शुरुआत भी होती है।जिसमे 12 दिन से 15 दिन का अवकाश दिया जाता है। और अगले वर्ष की 1 जनवरी को इसका समापन होता है।
क्रिसमस मनाने का कारण- क्रिसमस मनाने का कारण एक कहानी से जुड़ा है। जिसमे क्रिसमस के दिन जो हुआ उसका पूर्ण विश्लेषण है। ये सत्य कथा वर्षो पहले की है। जब नासरथ में ग्रेबियल नामक स्वर्गदूत ने मरियम नामक स्त्री को दर्शन दिए। उस स्वर्गदूत ने कहा कि तुम पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्मोगी।उस पुत्र का नाम यीशु रखना। उस समय मरियम का विवाह यूसुफ से होने वाला था। यह खबर सुनकर यूसुफ ने बदनामी के डर से मरियम को छोड़ने का मन बना लिया। लेकिन वह स्वर्गदूत ने यूसुफ को भी सारी बात ज्ञात कराई। स्वर्गदूत की बात मान यूसुफ मरियम को ब्याह कर अपने घर ले आया।उस समय नासरथ नाम की जगह रोमन साम्राज्य का हिस्सा था।मरियम और यूसुफ नासरथ में ही रहते थे। मरियम की गर्भावस्था के दौरान ही रोम राज्य की जनगणना का समय आगया। तब नियम अनुसार यूसुफ को भी अपनी पत्नी को लेकर नाम लिखवाने येरुशलम के बैतलहम नगर में जाना पड़ा। किसी भी सराय में जगह ना मिलने के कारण उन्होंने गौ शाला में शरण ली। वही गौ शाला में ही मरियम ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। उन्हें कपड़ो में लपेट कर घास से बनी चरनी में लिटा दिया। बड़े ही सामान्य रूप में ईश्वर ने मरियम और यूसुफ के घर जन्म लिया। उस पुत्र का नाम यीशु रखा गया।प्रभु का जन्म दिन ईसाई लोग हर वर्ष धूम धाम से मनाते है। आज के दिन को ही क्रिसमस बोला जाता है। ईसाइयो के भगवान का जन्म दिवस क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। यीशु को सभी का पालनहार और दुखभंजन जान लोग अपने भगवान का जन्म दिन ढेर सारी खुशियाँ के साथ मनाते है। कहा जाता है कि यीशु के जन्म तब हुआ था जब दुनिया में लालच, पाप, अत्याचार व कुरीतियों का विस्तार हो रहा था। यीशु ने लोगो को बुराइयों से बचाया और सही मार्गदर्शन दिया। इसी वजह से प्रभु के गुणगान में लोग क्रिसमस मनाते है। क्रिसमस के दिन लोगो मे प्रेम और भाईचारे का भाव होता है।
क्रिसमस मनाने के तरीके- जैसे क्रिसमस के दिन की महिमा विशेष व सर्वव्यापी है। वैसे ही क्रिसमस मनाने का तरीका भी विशेष है। क्रिसमस की तैयारियां एक महीने पहले से शुरू कर दी जाती है। घरों की सफाई होती है। लोग अपने अपने घरों को सुंदर बनाते है और बड़े ही अच्छे तरीके से सजाते है। जैसे यीशु का जन्म उन्ही के घर मे हुआ हो। लोग नए नए वस्त्र व आभूषण खरीदते है। ढेर सारे पख्वान बनाते है। क्रिसमस के दिन चर्च को सजाया जाता है। रंग बिरंगी रोशनी से चर्च जगमगाते है। क्रिसमस की पूर्व संध्या में लोग प्रभु की प्रशंसा में केरोल गाते है। सुबह गिरजाघरों में प्रार्थना सभा होती है।शाम को सभी लोग एक दूसरे के घर बेंड बाजो के साथ जाकर प्यार व भाईचारे के संदेश देते है। लोग प्रभु की प्रशंसा में गीत गाते है। आपस मे मनोरंजन करते है। आज के दिन बड़े बड़े क्रिसमस ट्री सजाये जाते है। उनपर घंटी लाइट आदि लगाई जाती है। लोग अपनी मनोकामनाये क्रिसमस ट्री पर लिखते है। और आशा करते है कि उनकी मनोकामनाएं ज़रूर पूरी होंगी।रात्रि को भोज होता है। सभी साथ में भोजन करते है।लोगों की आज खुशी की सीमा नही होती।
आज का दिन बच्चों ले लिए सबसे विशेष माना जाता है। एक काल्पनिक किरदार बच्चों की मनोकामनाये पूर्ण करता है। सांता क्लॉज़ बच्चों के आकर्षण का केंद्र है। ऐसा माना जाता है कि सांता बच्चों को रात में खिलोने चॉकलेट आदि तोहफे देता है। सांता क्लॉज स्वर्गदूत होता है। जो बच्चों की इच्छाओं को पूर्ण करता है। आज के दिन सांता की पोशाक पहन कोई एक व्यक्ति झूमते हुए और बच्चों का मनोरंजन करते नजर आता है। बच्चे क्रिसमस का बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार करते है। नादान बच्चों के लिए आज के दिन तोहफे मनोरंजन का साधन होते है। उन्हें क्रिसमस ट्री व सांता क्लॉज बड़ा ही आकर्षक लगता है। यीशु के जन्म दिवस क्रिसमस के दिन लोग खुशी से झूम उठते है। क्रिसमस मनाने के साथ साथ लोग भाईचारे का संदेश भी देते है। लोग एक दूसरे के प्रति कैसे समर्पित रहा जाता है इसका पाठ सीखते है। कैसे लोगो के प्रति सम्मान रखना है ये भी बताते है। जिस प्रकार जैन लोगो का परमोधर्म अहिंसा होता है, वैसे ही ईसाइयों के परमोधर्म परोपकार होता है। क्रिसमस के दिन परोपकार का प्रचार प्रसार करते है।अपने अपने आंगन में लोग क्रिसमस ट्री लगते है। और साथ मे केक भी काटते है। क्रिसमस के दिन केक का विशेष महत्व माना जाता है। यीशु के जन्म की खुशी के उपलक्ष्य में लोग केक काटते है।
विद्यालय में क्रिसमस- क्रिस्चियन स्कूल में क्रिसमस बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। कई विद्यालयों में क्रिसमस 25 तरीक के पहले ही मना लिया जाता है। क्योंकि सभी विद्यालय में क्रिसमस पर अवकाश होता है। उस दिन विद्यालय में चित्र कला का प्रदर्शन होता है। जिसकी थीम क्रिसमस होती है। लोग अपनी कला से रंगोली व चित्रकारी करते है। लगभग हर चित्र में सांता क्लॉज, क्रिसमस ट्री, ईसा मसीह नज़र आते है। बच्चों को अपनी कला प्रस्तुति में अव्वल आने पर पुरुस्कृत भी किया जाता है। विद्यालय में भी क्रिसमस ट्री सजाया जाता है। ईसा मसीह के जन्म का नाट्य रूपांतरण भी किया जाता है। प्रभु के जन्म पर लोग भाव विभोर व प्रसन्न होते है।बड़े ही रोचक तरीके से नाट्य रूपांतरण किया जाता है। प्रभु के गुणगान में लोग केरोल व अन्य गीत भी गाते है। बच्चो के आकर्षण का केंद्र सांता है इसीलिए खास कर बच्चों के लिए विद्यालयों में सांता की पोशाक में एक किरदार प्रस्तूत किया जाता है। भोले भाले बच्चे आसमान से आये सांता समझ बेहद प्रसन्न और मनोरंजित होते है। सांता सफेद और लाल रंग के वस्त्र पहन बच्चों के सामने आते है और उन्हें ढेर साथ चॉकलेट तोहफे आदि देते है। क्रिसमस ट्री को देख भी बच्चे खिलखिला उठते है। वे क्रिसमस आने का बेसब्री से इंतज़ार करते है। स्कूल में कार्यक्रम के दौरान केक कांटा जाता है।और सभी बच्चों को बांटा जाता है। बाद में क्रिसमस की 10 दिन की लंबी छुट्टी की घोषणा की जाती है।
विदेश में भी यह त्योहार मनाया जाता है। क्रिसमस के एक दिन पूर्व जर्मनी में समारोह होते है।पूरे विश्व मे क्रिसमस का अवकाश होता है। ब्रिटेन में क्रिसमस के एक दिन पश्चयात 26 तारिक को बॉक्सिंग डे मानते है।कुछ कैथोलिक देशों में इसे सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ सेंट स्टीफेंस भी कहते है।ये लोग आज के दिन केक कांट कर धुम धाम से चर्च में त्योहार मनाते है। चर्च को सुंदर ढंग से सजाते है। अपने परिवार समेत चर्च जाकर प्रभु के गुणगान करते है।
उपसंहार- क्रिसमस शांति का पर्व है। क्रिसमस परोपकार का पर्व है। क्रिसमस जीत का पर्व है, क्रिसमस सत्य का पर्व है। जब जब देश में या समाज से बुराइयों का पलड़ा भारी होता है तब तब क्रिसमस हमे सही राह पर चलने को प्ररित करता है। समाज से लालच, नफरत व कुरीतियों को विलुप्त कर प्रेम, दया व परोपकार से जीने की प्रेरणा देता है। बच्चों को खेल खुद, मस्ती मज़ाक में भी परोपकार का पाठ सीखा देता है क्रिसमस का दिन। जाने अनजाने सभी आनंद में मग्न अच्छाई का पाठ सीख लेते है। जो उन्हें जीवन मे हमेशा काम आता है। बच्चे हो या बड़े आज के दिन सभी एक दूसरे को मैरी क्रिसमस बोलते है। इसका अर्थ होता है हैप्पी क्रिसमस।
आप सभी को भी “Merry Christmas”
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