दिवाली जिसे हम दीपावली या दीपमाला के नाम से से भी जानते है। यह त्यौहार हिन्दुओ के प्रमुख त्यौहारो में से एक है। आज हम आपके लिए इस पोस्ट में diwali essay in hindi ले कर आये है । इस दिवाली निबंध को आप स्कूल और कॉलेज इस्तेमाल कर सकते है । इस हिंदी निबंध को आप essay on diwali in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।
“रघुकुल रीत सदा चाली आयी,
प्राण जाए पर वचन न जाये”
दिवाली पर्व भगवान श्री राम से वचन, माता सीता से मर्यादा, अनुज लक्ष्मण से आज्ञा तथा वीर हनुमान से निष्काम प्रेम की सीख देने वाला त्यौहार है। इस दिन लोगो में नए ऊर्जा का संचार देखने को मिलता है। दिवाली त्यौहार हिन्दुओ के लिए विश्वास, धर्म और अद्ध्यात्मा का अनोखा संगम है।
आइये जानते है दिवाली क्यों मनाई जाती है ?
प्रस्तावना – दिवाली आखिर मनाई क्यों जाती है ये हर कोई जानता है भगवान श्री राम, 14 साल के वनवास के बाद वापिस आयोध्या को लौटे थे। पिता के वचन का पालन कर जब श्री राम माता सीता तथा लक्ष्मण के साथ आयोध्या आये तब सारे नगर वासियों ने दीप जलाकर, नैवैद्य का भोग लगाकर, विभिन्न पकवान बनाकर , रंगोली बना कर, सारे नगर को सजाकर भगवान का आयोध्या में स्वागत किया था। विगत वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी फीकी नही पड़ी , आज भी लोग उतने ही उत्साह, उमंग, जोश के साथ इस दिन को मनाते है कि मानो साक्षात राम भगवान आकर उन्हें दर्शन प्रदान करने वाले है।
आस्था से भरा देश इस दिन असीमित भाव-विभोर नज़र आता है। लोग घरों को सजाते है, नए वस्त्र धारण करते है। ढेर सारी खरीदी करते है। घरो में खाने में छप्पन भोग बनाते है, इस पर्व में हर परिवार अपार सुख से पूर्ण होता है। हर घर में लक्ष्मी पूजन किया जाता है और समृद्धि का वरदान माँगा जाता है। कहा जाता है भगवान राम के आने की खुशी लोगो मे इतनी ज्यादा थी की सबमे सिर्फ राम का अंश दिखाई देता है। हर एक इंसान राम नाम का प्रेमी पहले फिर बाद में एक शरीर जान पड़ता है। हर गली फटाके जलाते है के मानो ये लोग अपना भय भागते है, दीवाली की रात में भय को भस्म कर ज्ञान ला दीप जलाते है।
इस दिन बाजार का नज़ारा देखने लायक होता हैं, पूरी दुनिया एक दिन में मानो एक साल जी लेना चाहती हो, लोगो का व्यापार हो या निजी जिंदगी सब चहक उठती है, सबसे लंबा चलने वाला त्योहार दिवाली 5 दिन में पूरा होता है, लोग विदेश से तक यह का आनंद लेने आते है, कोई साल में एक बार दीवाली के दिन ही अपने परिवार से मिलता है, कोई बीते दिनों को याद कर नम तो कोई ठहाके से मनोरंजित होता है,
बड़े बड़े बाजार लगते है, बड़ी संख्या में लोग आनंद लेने पहुँचते हैं। कुछ तो सिर्फ बाजार की रौनक देखने ही बाहर आते है , एक दूसरे से मिलकर भाव विमर्श करते है, बाजार की रौनक बढ़ाने हर दिन हर अलग समान पर खास ऑफर चलते है, व्यापारियों की भी कमाई होती है और ग्राहक को भी कई फायदे मिलते है।
हज़ारो लोग दीवाली के दिन का ही बेसब्री से इंतज़ार करते है, अपनी बची हुई पूंजी का इस्तेमाल लोग दीवाली की खरीदी करने मे लगाते है। व्यापारियों की कमाई, इस्पेशल ऑफर, मिठाई की दुकाने, उपहार , मोमबत्ती, दीपक, महेंगे आभूषण इत्यादि दीवाली पर सबका फैलाव रहता है। वैसे सही भी है एक दिन में लोग एक साल का जी लेते है, खुशी हो या गम मिलकर बांट लेते है, प्रेम हो या घृणा दोस्ती का हाथ बढ़ते है, थोड़ी पूंजी बढ़ाने बच्चें नेकी का लाभ उठाते है।
दीवाली को इतना शुभ माना जाता है कि लोग पूरे साल तक इंतजार करते है दीवाली का जिससे वह उनकी मन पसंदीदा वाहन जैसे कार , दो पहिये वाहन को खरीद सके। घर मे लेकर फिर अपने खरीदे समन की पूजा करना भी लोगो मे अलग भाव को दर्शाता है। लोग टीवी , फिरिज, अलमीरा, जैसी चीजें भी खरीदते है। तोहफे देने ले लिए घर की महिलाओं के लिए सारी, बुज़ुर्गों के लिए शॉल, बच्चों के लिए टॉफ़ी जैसी चिजें बांटी जाती है।
बड़ो से आशीर्वाद लेने का नियम आज भी लोग श्रद्धा और विश्वास से मानते है। दीवाली के दिन बड़ो का आशीर्वाद लेकर सदा स्वस्थ, सम्पन्न तथा उज्ज्वल भविष्य की कामना करते है। घरो के द्वार को सजाते है तथा पुराणों में स्वस्तिक के महत्व को जान लोग द्वार पर स्वस्तिक बनाते है।
दीपावली के अलावा कुछ और पर्व भी लोग बड़ी आस्था के साथ मानते है। गोवर्धन पूजा कर भगवान कृष्ण की उपासना करते है, धनतेरस पर लक्ष्मी जी तथा कुबेर की आराधना करते है, छोटी दीपावली पर उत्साह बढ़ता नज़र आता है फिर कार्तिक मास की अमवास्या पर दीपावली मानते है। बड़े से बड़े काम लोग दीपावली के शुभ दिन करते है। उत्साह उमंग के साथ सारे दीन व्यतीत कर लोग भाई दूज का त्योहार खुशियों से पूर्ण करते है।
भारत के साथ साथ मोरिशस, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय भी इस दिन अपना आस्था का पर्व दिवाली मानते है। हर एक प्रान्त की, हर एक राज्य की अपनी अलग पहचान होती है, अपने अलग संस्कार होते है, इसके बाद भी हर राज्य के और प्रान्त के लोग दीवाली एक जैसे ही मानते है, सभी के घरों में दीप प्रज्वलन होता है, रंगीन माहौल , बाज़ार की चमक धमक होती है। दीवाली की पावित्रता के दोनों आध्यात्मिक तथा सामाजिक महत्व माने जाते है। दीवाली से सारे देश मे हर्ष उल्लास का माहौल उत्पन्न होता है।
दीवाली के दिन कुछ विशेष पूजन का बड़ा महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि दीवाली के दिन गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करने से धन की प्राप्ति होती है। कई लोग पंडितजी से भी गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करवाते है। पूरी रात ज़ोरो-शोरो से, विधि-विधान से गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ सम्पन्न होता है।
भारत मे दीवाली के कई और कारण भी मानते है, कुछ हिन्दू दीपावली को भगवान विष्णु की पत्नी, धन समृद्धि की देवी लक्ष्मीजी से भी जुड़ा हुआ मानते है। दीपावली का 5 दिवसिय महोत्सव देवताओ और राक्षसों द्वारा दूध के लौकिक सागर के मंथन से पैदा हुई लक्ष्मी के जन्म दिवस से शुरू होता है। दीपावली की रात वह है जब लक्ष्मीजी ने भगवान विष्णु को पति के रूप में चुना था और कृष्णा जी से विवाह किया था। जैनियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी को इस दिन मोक्ष् की प्राप्ति हुई।
सिक्ख भी इस त्योहार को मनाने का अलग महत्व दर्शातें है। इस दिन 1577 में स्वर्ण मंदिर का शिल्यानयास हुआ था। इसके अलावा 1619 में दीवालों के दिन सिक्खों के छठवें गुरु हरगोविंद सिंह को जेल से रिहा किया गया था। इस दिन न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत बल्कि, अज्ञानता पर ज्ञान तथा अंधकार पर रोशनी की विजय होती हैं।
उपसंहार – वैसे तो देश के हर त्योहार की अपनी एक खासियत ज़रूर होती है, परंतु इस त्योहार की खासियत भी खास है, बच्चों से लेकर बूढो तक, धरती से लेकर आसमान तक, अनाड़ी से लेकर खिलाड़ी तक तथा हर जाति से लेकर सम्प्रदाय तक सबमे एक समान जोश नज़र आता हैं।
“ना कोई भेद भाव न कोई पाप, ये देश बन ही जाता है आखिर वैसा,
-जैसा श्री राम चाहते थे आप।”
हमें आशा है आपको deepawali essay in hindi पसंद आया होगा। हिंदी कोना के सभी दर्शको को दिवाली पर्व की हार्दिक शुभकामनाये।