रक्षाबंधन पर निबंध । Raksha Bandhan in Hindi
Raksha Bandhan 2020 in India |
Raksha Bandhan 2020 Date | सोमवार, 3 अगस्त |
Raksha Bandhan Shubh Muhurat 2020 | सुबह 5:50 से शाम 6:03 बजे तक |
Raksha Bandhan Mantra 2020 | येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।
तेन त्वां अभिबध्नामि१ रक्षे मा चल मा चल ।। |
रक्षाबंधन हिन्दुओ द्वारा मनाया जाने वाला प्रसिद्द त्योहारों में से एक है। रक्षाबंधन शब्द हिंदी के रक्षा + बंधन से बना है जिसका अर्थ है रक्षा का बंधन। रक्षाबंधन पर्व को लोग रक्षा सूत्र के नाम से भी जानते है। इस दिन भाई को बहनें राखी बांधती है और उनसे रक्षा का वचन लेती है। भाई भी इस दिन राखी के पवित्र धागे के मान और सम्मान की सौगंध खाता है और आजीवन अपनी बहन की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा लेता है।
प्रस्तावना
रक्षाबंधन हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यदि हम अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार देखे तो ये त्यौहार जुलाई अंत और अगस्त के प्रारम्भ में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। सावन का महीना भगवान् शिव को समर्पित है।
रक्षा बंधन भाई और बहन के स्नेह और प्रेम को प्रकट करने वाला त्यौहार है। राखी के बंधन से भाई और बहन के रिश्तों की मजबूती और बढ़ जाती है। यह त्यौहार कही न कही भाई या बहन को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग भी करता है। रक्षाबंधन त्यौहार को राखी का त्यौहार भी कहा जाता है। बहनें जो रक्षा धागा अपने भाई की कलाई में बांधती है उसे ही राखी कहा जाता है। इस त्यौहार की रौनक महीने भर पहले से ही बाज़ारों में दिखाई देने लगती है। बाज़ारों में अनेक रंग बिरंगी राखियाँ दिखाई देने लगती है। ये राखिया इतनी सुन्दर और मोहक होती है की किसी का भी दिल मोह ले।
विस्तार वर्णन
रक्षाबंधन के दिन भाई बहन प्रात तैयार होकर नए कपडे धारण करके पूजा करते है। बहने अपने भाई की मंगल कामना करती है। अपने भाई को राखी बांधने के लिए थाल सजती है। रक्षाबंधन की थाली में माथे पे तिलक लगाने के लिए रोली और चावल रखती है, साथ ही अछत के लिए फूल, मुँह मीठा कराने के लिए मिठाई, आरती के लिए दीपक और हाथ पे बांधने के लिए राखी रखती है। भाई भी अपने बहन को उपहार स्वरुप रुपए या कोई वस्तु भेट करता है।
रक्षाबंधन का इतिहास (Raksha Bandhan History )
रक्षा बंधन हिन्दुओ का प्राचीन त्यौहार है, इस त्यौहार का इतिहास बहुत पुराना है। इतिहास में अनेक ऐसे लेख और उदहारण प्रस्तुत है जिनके द्वारा इस त्यौहार के प्राचीन और महानतम होने का पता चलता है।
- त्रेता युग में देवताओं और असुरों के बीच इन्द्रासन और स्वर्ग पे अधिपत्य स्थापित करने के लिए युद्ध हुआ था। युद्ध में देवराज को असुरों से हार का सामना करना पड़ा। स्वर्ग का अधिपत्य पुनः प्राप्ति के उद्देश्य से देवराज इन्द्र ने देवगुरु बृहस्पति से प्रार्थना थी। गुरु बृहस्पति ने इन्द्र को सुझाव दिया की वह श्रावण मास की पूर्णिमा को ब्रह्ममुहूर्त में विजय यज्ञ करे और यज्ञ मंत्र भी प्रदान किया जो निम्नलिखित है :
“येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।,
तेन त्वामभिवध्नामि रक्षे मा चल मा चल:।।”
यज्ञ संपन्न होने उपरांत इन्द्राणी के हांथो रक्षा सूत्र धारण करने के बाद फिर से असुरों से युद्ध आरम्भ हुआ। इस युद्ध में देवराज इन्द्र की विजय हुई और उन्हें अपना हरा हुआ स्वर्ग का राज पथ पुनः प्राप्त हो गया।
- द्धापर युग में भगवान् कृष्ण और द्रोपदी के सन्दर्भ में एक कथा प्रचलित है। भगवान कृष्ण और शिशुपाल के युद्ध के समय श्री कृष्ण के दाहिने हाथ से रक्त बहने लगा था यह देख द्रोपदी ने अपनी साड़ी के एक टुकड़े को उनके हाथ पे बांध दिया था जिससे रक्त बहना रुक जाए। बागवान श्री कृष्ण ने द्रोपदी को अपनी बहन स्वीकार किया और कौरवो की सभा में द्रोपदी के चीर हरण के समय रक्षा की और महाभारत जैसा महायुद्ध पांडवो की ओर से लड़कर पूरी कौरव सेना का विनाश कर दिया।
- इतिहास में अलेक्ज़ेंडर और हिन्दू राजा पुरु के सन्दर्भ में भी रक्षाबंधन का वृतांत उल्लेखित है। भारतीय राजा पुरु के शौर्य की गाथा दूर दूर तक फैली हुई थी तथा उनकी वीरता का लोहा दुनिया मानती थी। अलेक्ज़ेडर के राज्य में भी इस बात की चर्चा सभी ओर थी। अलेक्ज़ेंडर ओर पुरु के बीच युद्ध होना तय था इस युद्ध में अलेक्ज़ेंडर की हार होनी तय थी। अलेक्ज़ेंडर की जान बचाने के लिए और राज्य की सुरक्षा के लिए अलेक्ज़ेंडर की पत्नी ने राजा पुरु को राखी भेजी और अपने पति की मंगलकामना की थी। राजा पुरु ने अलेक्ज़ेडर की पत्नी को बहन माना और उनके पति के युद्ध में न लिए।
- रानी कर्णावती ओर मुगक शासक हुमायु के सम्बन्ध में रक्षाबंधन का एक ऐतिहासिक प्रसंग देखने में आता है। रानी कर्णावती जो की चित्तौरगढ़ की महारानी ओर राणा सांगा की पत्नी थी। वे राणा विक्रमादित्य और राणा उदय सिंह की माँ थीं और महाराणा प्रताप की दादी थीं। बहादुर शाह जफ़र ने अतिक्रमण के उद्देश्य से चित्तौरगढ़ पे हमले की योजना बनायीं इसका पता लगते ही रानी कर्णावती ने सभी राजपूत राजाओ को सहायता के लिए निमंत्रण भेजा और साथ ही साथ हुमायु को भी सहायता के लिए एक बहन बनकर राखी भेजी थी। हुमायु ने राखी स्वीकार की और रानी कर्णावती को बहन मानते हुए उनकी और से युद्ध में लड़ाई की। इस युद्ध में रानी कर्णावती की जीत हुई।
- रक्षाबंधन से मिलती प्रथा गुरुकुल में भी वैदिक काल से देखने में मिलती है। गुरुकुल में गुरु प्रत्येक शिष्य के हांथो में रक्षा धागा (कलावा) बांधते है। इस रक्षा सत्र से गुरु अपने शिष्य की रक्षा करने का प्रण लेता है।
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राखी का त्यौहार और विभिन्न नवीन प्रचलन
- राखी का त्यौहार जिसे रक्षाबंधन के नाम से जाना जाता है भारत के साथ साथ विश्व के बहुत से देशो में मनाया जाता है। भारत के साथ साथ इस त्यौहार को पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में भी मनाया जाता है।
- विदेशो में भी इस पर्व की प्रसिद्धि धीरे धीरे बढ़ रही है। विदेश मूल के निवासी प्रारम्भ से ही भारतीय त्योहारों और सांस्कृतिक जीवन को जानने के बाद भारतीय संस्कृति का सम्मान करने को विवश हो जाते है।
- राखी वो बहन भी मानती है जिनके भाई नहीं होते है। बहने इस दिन अपने मुँह बोले भाई या अपने चाचा, मामा, बुआ या रिश्ते में भाई लगने वालो को राखी बांध कर हिन्दू संस्कृति के अनुसार इस त्यौहार को मनाती है।
- बहुत सी बहनें इस दिन पीपल, केले या किसी अन्य वृक्षों को रक्षा धागा बांध कर भी इस त्यौहार को मनाती है।
- इस दिन बहुत से स्कूल के बच्चे या स्त्रिया भारत के नेताओ जैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति व अन्य नेता गणो को भी राखियां बांधती है।
- हमारे देश की रक्षा करने वाले जवानो को भी इस दिन बहुत सी मुँह बोली बहने राखी बांधती है।
भारतीय सरकार और रक्षाबंधन पर्व
- भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक त्यौहार रक्षाबंधन है। भाई बहन के इस पावन पर्व के अवसर पर भारत सरकार या राज्य सरकार कुछ योजनाए चलाती है, जैसे बसों में रक्षाबंधन के लिए जाने वाली स्त्रियों किराया नहीं लिया जाता है। इसी तरह मेट्रो द्वारा भी इस प्रकार का विशेष प्रबंध किया जाता है।
- डाक घरो में इन दिनों राखी से जुड़े हुए पार्सल समय से पहले पहुंचाने का प्रयास तेज़ हो जाता है। कोशिश यह रहती है की सभी बहनो की राखियां उनके भाइयो तक समय रहते पहुंच जाये। किसी भी भाई की कलाई सुनी न रहे।
उपसंहार
राखी या रक्षाबंधन का त्यौहार ढेर सारी खुशिया ले कर हर साल आता है। बहन भाई के बीच स्नेह को और बढ़ता है। बहन की रक्षा और उसके सम्मान से जुड़ा या पर्व अनोखा है। राखी हिन्दू त्यौहार है। अपनी बहुव्यापक दृष्टि के कारण एक सुविचार लिए हुए है। इसका त्यौहार का उद्देश्य केवल समाज में स्त्री का सम्मान और उनकी रक्षा का भाव ही है। यदि समाज का प्रत्येक पुरुष केवल स्त्री सम्मान के प्रति प्रतिबद्ध हो जाये तो समाज की बहुत सी कालिमा स्वयं धूल जाये। राखी पर्व एक सुअवसर है नारी सम्मान को बढ़ाने के लिए इस पर्व को सभी सम्प्रदायों में मानना चाहिए और पुरे विश्व में इस स्त्री के सम्मान की रक्षा का सौगंध हर पुरुष को लेना चाहिए।