Pongal Festival in Hindi
पोंगल त्यौहार सनातन हिन्दू धर्म से जुड़ा त्यौहार है। भारत में क्षेत्र और राज्य की अपनी संस्कृति होती है। भारत की प्राचीन सभ्यता सनातन धर्म को मैंने वाली रही है। पोंगल दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार भगवान् सूर्य को समर्पित है।
भारत सांस्कृतिक देश अपनी संस्कृति में हर वर्ग को समेटे हुए है । भारत में होने वाले पर्व पुरे विश्व में जाने जाते है परन्तु भारत में अनेक पर्व ऐसे भी है जो केवल राज्य या समुदाय विशेष तक ही सिमित है । कुछ पर्व ऐसे होते है जो स्थानीय मान्यताओं के अनुकूल होते है । ये पर्व और पर्वो की तरह ही मिलते जुलते होते है ।
Pongal Festival 2022
Pongal Festival date and Time 2022 | 14th January, Friday to 17th January, Monday |
पोंगल त्यौहार जो तमिलनाडु प्रदेश में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। ये पर्व लोहड़ी, मकर सक्रांति, बीहू आदि जैसे ही किसानो का त्यौहार है, परन्तु ये स्थानीय परम्पराओ को अपने में समेट कर पोंगल पर्व के रूप में जाना जाता है।
किसानो के लिए वर्षा का बहुत अधिक महत्व होता है। वर्षा का काम होना या अधिक होना पूरी फसल को बर्बाद कर देता है। तमिलनाडु में शीत ऋतू में भी वर्षा होती है जिससे यहां के किसानो को धान की खेती करने के लिए अनुकूल वातावरण मिलता है। पोंगल फसल कटाई के बाद किसानो की खुशिया और भगवान् इन्द्र को धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है।
About Pongal Festival In hindi
पोंगल पर्व चार दिनों का पर्व है। ये चार दिन भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और कैनम के नाम से जाने जाते है।
भोगी पोंगल
पोंगल का प्रारम्भ भोगी पोंगल से होता है। इस दिन लोग घरो से पुराने वर्स्त्र गाय का गोबर कूड़ा आदि एक जगह पे इकट्ठा करते है। अपने लोगो रिश्तेदारों को बुलाया जाता है। इसके पश्चात लकड़ियों गोबर के ढेर का दहन किया जाता है और ऐसी के साथ कामना की जाती है की बुराई का अंत हो दुःख का अंत हो। भगवान् इन्द्र को अर्पित किया जाता है धन्यवाद दिया जाता है अच्छी फसल के लिए अनुकूल परिस्तिथि के लिए। इस दिन अनेक पकवान बनाये जाते है और पूरा परिवार मिलकर खाना कहते है।
सूर्य पोंगल
सूर्य पोंगल जैसे नाम से ही प्रतीत होता है की ये सूर्य देवता की आराधना का पर्व है। अच्छी खेती के लिए भगवान् सूर्य का धन्यवाद सूर्य पोंगल के रूप में दिया जाता है। इस दिन दूध, मूंग, गुड़ और चावल से एक विशेष प्रकार की खीर बनाया जाता है और इसका भोग सूर्य देवता को लगाया जाता है। महिलाये और स्त्रिया सूर्य भगवान् की आकृति बनाकर इसकी वंदना करती है।
मट्टू पोंगल
मट्टू पोंगल में बैल जो शंकर जी के वाहन नंदी महाराज के प्रतिक है और गाय माता का पूजन किया जाता है। गाय को नहलाकर अच्छे से उनके माथे पे रोली सिन्दूर और गले में फूलो की माला पहना कर तरह तरह के पकवानो का भोग लगाया जाता है। इसी तहर बैल महाराज के सींगो को सजाया जाता है उसमे तेल लगाया जाता है। गाय और बैल की ऐसी सेवा दर्शाता है की किसानो के लिए वो सच में किसी वरदान से काम नहीं है। गाये जो हमें दूध, खेती के लिए श्रम और खाद भी देती है। तभी गाये को माता की उपाधि हिन्दू धर्म में दी गयी है।
कैनम पोंगल
पोंगल पर्व का आखरी दिन कैनम पोंगल है। इस दिन एक विशेष अनुष्ठान की परम्परा है जिसमे हल्दी के पत्ते को धो कर किया जाता है। इस पूजा में अनेक खाद्य प्रदार्थ मिठाई चावल सुपारी गन्ना आदि उपयोग किये जाते है।
इसी तरह चार दिनों का यह पर्व प्रेम ख़ुशी और पवित्र लिए हुए मनाया जाता है। लोग अपनी मनोकामनाएं पूर्ण हो इसका आशीर्वाद भगवान् से मांगते है। एक दूसरे को बधाई सन्देश देते है। हर्ष और उल्लास का ये पोंगल पर्व इसी तरह मनाया जाता है।
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